२१ अक्टूबर २०२३ । मैथिली जिन्दाबाद!!
प्रत्येक वर्ष होयबला उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव मे विद्वत् विमर्श कार्यक्रम अनिवार्य रूप सँ राखल जाइछ। एहि मे पूरे भारत सँ विद्वान् सब अबैत छथि आ विभिन्न महत्वपूर्ण विषय पर विचार रखैत छथि। एहि वर्ष नेपालक मिथिला सँ सेहो विद्वान् लोकनि केँ आमंत्रित कयल गेलन्हि। एहि मादे सहभागी विद्वान् परमेश्वर कापड़ि लिखैत छथि –
एहि सन्दर्भ मैथिली जिन्दाबाद के सम्पादक प्रवीण नारायण चौधरी प्रतिक्रिया दैत लिखलनि अछि –
बहुत उच्चकोटिक आयोजन होइत अछि महिषीधाम मे – विद्वान् सभक जुटान आ गूढ़-गम्भीर विषय पर विमर्श, एहि मैथिल परम्परा केँ मंडन-शंकराचार्यक शास्त्रार्थ समान आइ तक निर्वाह करब आ एहि गाम के बगले मे धर्ममूला नदीक कछेर पर ‘धर्मसभा’ जेहेन महत्वपूर्ण धार्मिक-आध्यात्मिक विमर्श ओ निर्णय आदिक मासिक/आबधिक विशिष्ट सभाक आयोजन (बनगामक ठकुरबाड़ी मे) बहुत विलक्षण लगैत अछि। एतबा कहाँ – बगले मे चलि जाउ बाणेश्वरधाम जाहि ठाम लक्ष्मीपतिक गुणगान लक्ष्मीनाथ गोसाईंक लिखल साहित्यक आधार पर होइत अछि, से बनदेवी दुर्गाक सान्निध्य आ साक्षात् बाणेश्वर बाबाक सान्निध्य मे। आर त आर, बड लोक सब मिथिला-मैथिली केँ बाभन-सोलकन मे गन्हायल राजनीति करैत बदनाम करैत रहैत अछि, तेकरा ठाढ़े चुनौती दयवला ‘लछमिनियाँ’ (सत्तरकटैया, सहरसा) के ‘विद्यापतिधाम’ गबाही रूप मे खिलखिलाइत दर्शन दैत अछि। कहियो जाउ, एहि क्षेत्र मे त समय लयकय जाउ। मंडनक डीह पर सुग्गाक सुन्दर सुबोल सुनि कारू खिरहर केर दरबार मे जरूर जायब। ओतय देखब जे कोना लोकदेव कारू केर दरबार सजैत अछि। बगलहि देने कोसी मैया बहैत छथि, आर ठाम बड मनमानी करैत रहली कोसी माय, परञ्च एहि दरबार लग ओहो अपन अद्भुत सुपुत्र कारू केर स्थान केँ कनिकबो प्रभावित नहि करैत बस अपन स्नेहिल मातृत्वक स्पर्श दैत निरन्तर आ अविरल धारा संग बहि रहली अछि। एतय जायब त क्विन्टल के क्विन्टल दूध के चढ़ावा आ ताहि सँ बनल विलक्षण मीठ-अमृतमयी खीर के प्रसाद सेहो खायब। आ हमरा जेहेन रहब त बाबाक बूटी सेहो चढ़ावा बला चाखबे करब। एहि तरहें मोन हुए त नाव सँ राम कुमार सिंह – किसान कवि के गाम सेहो घुमि लेब। भकुआ दिश आयब त किसलय के गाम सेहो घुमि लेब। क्रान्ति भूमि थिकैक जनक राजाक ई सहरसा। हरदम लोक हर्षे सँ भेटैत रहैत अछि। घुमघुमौआ जाल लयकय ठकैती-फुसियैती वला लक्षण कम्मे लोक मे भेटत। ताहि ठाम एहि वर्ष नव अध्याय जुड़ल जे नेपाल दिश सँ सेहो विद्वान् व्याख्याता सब केँ आमंत्रित कयल गेल। एहि परिकल्पना केँ साकार करनिहार अक्षय भाइ केँ धन्यवाद-आभार। हरिः हरः!!
उपरोक्त कार्यक्रम पर श्री अक्षय कुमार चौधरी – महोत्सव संयोजनक संग विद्वानक सहभागिता मादे सोच आ परिकल्पना बनेनिहार व्यक्तित्वक रिपोर्ट निम्न अछिः
श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव केर अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार कार्यक्रम भेल। नव अतिथि सबकेँ सम्मान तथा सर्वनारायण सिंह रामकुमार सिंह कॉलेज केर प्रोफेसर आदरणीय संजय कुमार चौधरी केर स्वागत भाषण सँ कार्यक्रम प्रारंभ भेल। मंचक अध्यक्षता कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगाक पूर्व कुलसचिव डॉ शशिनाथ झा कयलनि। महावीर मंदिर पटना द्वारा प्रकाशित होयवला पत्रिका ‘धर्मायण’ के संपादक पं. भवनाथ झा, त्रिभुवन विश्वविद्यालय जनकपुर, नेपाल केर प्रोफेसर डॉ परमेश्वर कापड़ि एवं डॉ श्याम सुंदर शशि संग डॉ पंकज मिश्र और डॉ सुमित पाठक मंच पर आसीन व्याख्याता रहथि।
मिथिला संस्कृति पर पं भवनाथ जीक विद्वतापूर्ण संभाषण, डॉ शशिक संस्कृति केर पारिभाषिक निर्धारण, आर डॉ परमेश्वर कापड़ि केर लोकजीवन मे मिथिलाक आंचलिक सौंदर्यबोध काफी रोचक छल। पं भवनाथ जतय धर्म मे मिथिला स्कूल ऑफ लॉ केर चित्रण प्रस्तुत कयलनि ओतहि डॉ कापड़ि कबड्डी खेल केर माध्यम सँ शिव केर नाम कपर्ती कपर्ती कहिते अरिदल केँ मारबाक लोकधर्मशास्त्र केर चित्र उपस्थित कयलनि। डॉ शशिक आलेख संस्कृति केर पारिभाषिक तत्त्वक नीक विवेचना पर आधारित छल। प्रारंभिक समस्याक बादो सेमिनार पूरा सफल रहल। आइ सेमिनार स्थल पर एडीएम श्री ज्योति कुमार काफी समय देलनि। पं भवनाथक विद्वतापूर्ण प्रस्तुति केँ सेहो ओ काफी सरहाना करैत रहलाह। सेमिनार कार्यक्रम केर सफलता हेतु सब प्रतिभागी विद्वान लोकनि आ जिला प्रशासन के धैर्यशील और शैक्षिक गतिविधिक समर्पित प्रतिनिधि डीसीएलआर सहरसा श्री ललित कुमार सिंह, स्मारिकाक संपादक मंडल सदस्य श्री मुक्तेश्वर सिंह मुकेश एवं श्री उग्रतारा न्यास समितिक सचिव श्री केशव कुमार चौधरीक प्रशंसनीय सहयोग सँ सेमिनार कय गोट अविस्मरणीय उद्धरण सहित संपन्न भेल। जिला प्रशासनक सामान्य शाखाक प्रभारी वरीय उप समाहर्ता सुश्री सुरभि और स्मारिका व सेमिनार समितिक समन्वयक स्थापना उपसमाहर्ता श्री रविन्द्र कुमार केर सेहो न्यास समितिक तरफ सँ हार्दिक आभार व्यक्त कयल गेल।