नवरात्रक सुअवसर मिथिलाक समस्त पत्नी लोकनि केँ समर्पित

सत्संग टा फल बाकी सबटा फूल
 
राति एकटा कथा पढ़लहुँ ‘कल्याण’ मे। भक्त जलारामजीक कथा। (अहाँ सब सेहो पढ़ि सकैत छीः https://maithilijindabaad.com/?p=21132) एहि कथा मे भक्तक भक्तिक बात पढ़बाक संग-संग किछु महत्वपूर्ण सिद्धान्तक बात सेहो पढ़य लेल भेटल। आध्यात्मिक तथ्य-तत्त्व स्वाभाविके गूढ़ भेल करैत छैक, ओ किछु लोक बुझत बेसी नहिये बुझत। मुदा एकटा बात एहि कथा मे बड़ा ठोकल-ठठायल लिखल छैक। मनुष्यक जीवन मे पत्नीक भूमिका प्रत्येक पुरुष लेल कतेक जरूरी छैक आर ताहि मे भक्ति-वेदान्त संग सफल गृहस्थी के बात सब कियो नीक सँ मनन करयवला भेटल उपरोक्त कथा मे।
 
आइ ई पोस्ट समस्त पत्नी केँ समर्पित अछि!!
 
दुर्गा पूजा चलि रहल अछि। परसू ज्ञानदाजी बड नीक सँ भगवतीक नौ रूप आ स्त्रीक नौ रूप बीच तुलना करैत स्त्री शक्तिक महत्ता उजागर कएने छलीह। प्रत्येक पति केँ ई पता छैक जे ओकर धर्माचरण सँ कर्माचरण मे पत्नीक सुन्दर सहयोग कतेक उच्चकोटिक होइत छैक। तहिना पत्नी सेहो अपन पुरुष केँ कल्पवृक्ष बुझि पूर्ण समर्पित भाव सँ पूरा जीवन, तन-मन-धन सब किछु अर्पित कय देल करैत छथि। अन्योन्याश्रय सम्बन्ध होइछ पति-पत्नीक बीच मे। हमेशा याद राखब एहि बात केँ जे आपस मे कोनो विवाद अथवा वाद मे उलझब जीवन लेल शाप समान होइछ, एहि सँ तुरन्त उबरबाक लेल शीघ्र अपन भीतर रहल ‘अहंकार’ केँ अन्त कय केवल आ केवल ‘दासभाव’ अनबाक अछि।
 
दहेज मुक्त मिथिला परिवार मे हजारों पति-पत्नी संयुक्त रूप मे छी। सब बुझैत छियैक जे गृहस्थी मे पति-पत्नीक महत्व सर्वोपरि छैक। तहिना केवल ‘मैं और तुम’ वाली हिन्दी फिल्मी कथा जेकाँ जीवन कियो बुझिकय ‘माता-पिता’ केर रूप मे पत्नी-पतिक भूमिका दुनू दिशक एकदम नहि बिसरब। गौर करैत चलू…! फेर भैया-भौजीक सम्बन्ध सेहो बाप-माय समाने महत्व रखैत छैक। दुइ-चारि दिन पहिने ‘रामचरितमानस मोती’ मे एकटा मोती भेटल छल जाहि मे श्री रामजी साधारण मनुष्य जेकाँ विलाप करैत कहने रहथिन ‘हा लक्ष्मण! सीता केँ हारियो कय हमरा लोकलज्जा नहि होइतय, मुदा भाइ केँ एना हारिकय हम लोक केँ कोन मुंह देखेबय?’ आर, हुनकहि श्रीमुख सँ ‘सब सम्बन्ध सँ ऊपर सहोदर भाइ के सम्बन्ध’ मानल जेबाक मोती चुनिकय पाकिट मे राखि लेलहुँ। कहबाक तात्पर्य ई अछि जे परिवार मे जतेक सम्बन्ध छैक से सबटा भगवानक बनायल अद्भुत-अनुपम प्रकृति थिकैक, सर्वस्व सहित चिन्तनयुक्त बनिकय जीवन जिबैत रहू सब।
 
आब, एकटा बात ई कहि दी, अपने सब गुम भ’ समय नहि बितबय जाउ। गुम रहब त १०० टा बीमारी आक्रमण करत गुम्मी के कारण। तेँ मुखर होइ जाउ। पति-पत्नी जेना परिवार चलबैत छी तहिना एहि समूह केँ चलाउ सब। भाइ-बहिन, सखा-सन्तान, माता-पिता, विभिन्न सम्बन्ध आ अन्त मे मानवताक सर्वोपरि सम्बन्ध – सब केँ बखूबी ढंग सँ जिबय जाउ।
 
हमर पत्नी ‘क्षणे तुष्टा, क्षणे रुष्टा’ के रूप मे रहली। हिनका पता छन्हि जे निजी जीवन आ सार्वजनिक जीवन मे कतेक अन्तर होइत छैक। पहिने ई बुझथिन जे हम फूटल ढ़ोल छी, सब बात सामाजिक संजाल मे लिखि देल करैत छी। आ धीरे-धीरे ई हमरो सँ बेसी फूटल ढ़ोल बनब पसिन कयलथि। आइ अपनहि टा लेल नहि अपितु समस्त मानव लेल अपन जीवन जिबि रहली अछि। एहि तरहें मनुष्य सदैव मनुष्यक संग-संग समस्त जीवमंडल लेल जिबय।
 
अपने मिथिलाक हजारों मिथिलानी लजाउ नहि, अपन विचार प्रकट करू। भैंसुर आ ससुर अथवा समाज कि गाम केर लाज जाहि लेल करबाक चाही से थिकैक चारित्रिक प्रस्तुति। मानुसिक आचरण व अभिव्यक्ति कदापि कमजोर नहि हुए। युवा आ महिला सहभागिता सँ मिथिलाक कल्याण सम्भव होयत। एहि परिवारक ई प्रयास अछि जे अपने सब मुखर भ’ अपन सुन्दर मिथिला केँ संरक्षण, सम्वर्धन आ प्रवर्धन करय जाय। बहुत गोटे म्यूट भ’ कय मात्र आनन्द त होइत छी, मुदा बजबाक इच्छा रहितो किछु लिखय-बजय नहि छी से हमरा कोना दनि लगैत अछि। तेँ सब कियो मुखर भ’ मिथिला लेल आगू आउ। कनी दिन चुनाव सेहो लड़य पड़त मिथिला लेल आ अहाँ सब जितबय, बदलि देबय समाज। ३३% आरक्षण के असल लाभ राष्ट्र केँ तखनहि भेटतय जखन अपने सब मुखर हेबय। पतिदेव सब त ततबा बेसी भार उठा लेलनि अछि जे पुछू जुनि…. तखन अहाँ सब कनी सम्हारियौन। दुनिया मे १० गो फ्लैट आ गाड़ी-घोड़ा (भौतिक) सुख लेल बेहाल भेलो पर अन्तिम सुख ओतबे जतेक टटघर मे रहयवला एकटा देहारी कमेनिहार पुरुष केर!
 
हरिः हरः!!