दुर्गा पूजा आबसँ पहिने मोनक उत्साह आ पूजाक तैयारी “-
नेनपनमे दुर्गा पूजा या दशमीकेँ बहुत बेसब्रीसँ इंतजार रहैत छल। नेनपनमे सब पाबनि-तिहारमे सामान्य जीवनसँ अलग एक स्वप्न लोककेँ जेकां लगैत छल। दुर्गा पूजाक उत्साह एक मास पहिनेसँ शुरू भऽ जाइत छल।
घरक सब लोक साफ-सफाईमे जूटि जाइत रही।पूजाक सामग्रीकेँ लिस्ट बनेनाइ। नेनपन हमर राँचीमे बीतल। राँचीकेँ दुर्गा पूजा बड्ड नीक होइत छल। नेनपनक दुर्गा पूजाक याद अबैत मन उत्साहित भऽ जाइत अछि कि काश फेरसँ वैह नेनपन आ वैह जमानामे हम लौटि जाइ। दुर्गा पूजाक एक मास पहिनेसँ माँकेँ नब कपड़ा कीनयकेँ लेल तंग कऽ दैत रही। माँ हमरा राँचीकेँ मेन रोडमे रिफ्यूजी मार्केटसँ नब कपड़ा दियबैत छल। माँकेँ संग कपड़ा लेबयकेँ लेल जाइत रही तखन माँ हमरा पंजाबी स्वीट्स हाउसमे दही बड़ा आ मिठाई खुआबैकेँ लेल जरूर लऽ जाइत रहै। दुर्गा पूजाक पहिल दिन महालया जे देवीक आगमनक प्रतीक अछि। हमर बाबूजी भोरे रेडियो पर महालयाक ” महिषासुर मर्दिनी ” बजा दैत छलाह आ हमसब खूब उत्साहित आ आनंदपूर्वक सुनैत रही। घरमे रोज दुर्गा पाठ होइत रहै आ दुर्गा जीकेँ रोज तरह-तरहकेँ पकवान भोग लगैत छलनि। सप्तमी, अष्टमी आ नवमी , दशमीक दिन कोना बीत जाइत छल पतो नहिं चलैत छल। प्रातःकाल स्नान कऽ दुर्गा पूजा आ आरतीमे सम्मिलित भेनाइ। सांझमे नब कपड़ा पहिर कऽ खूब सुंदरसँ तैयार भऽ जाइत रही आ अगल-बगलक परिवार आ सहेली सभ संग मिलि कऽ दुर्गा जीक दर्शन करय लेल जाइत रही आ मेला सेहो घूमैत रही। रंग-बिरंगक पंडाल आ लाउडस्पीकरमे अलग-अलग गीतक स्वर वातावरणमे गुंजायमान रहैत छल। मेलाक दोकान आ खिलौनाकेँ दोकान पर हमर नजरि टिकल रहैत छल।दुर्गा पूजामे आयोजित नृत्य कार्यक्रम आ नाटक आ सिनेमा राति भरि जागि कऽ देखैत रही। ओहि समय कोनो डर भर नहिं छल। मेला देखयकेँ लेल पचीस-पचास टका भेटैत रहै। ओहि पाइसँ रंग-बिरंगक बैलून कीनैत रही। बैलून वाला आवाज लगबैत छल ले ले बैलूनिया पांच-पांच पैसे, ले ले बैलूनिया दस-दस पैसे। ओहि पाइसँ सखी सभ संग लाइ – मुरही, कचरी, जलेबी, फुचका, सोन-पापड़ीक पार्टी करैत रही। सप्तमी, अष्टमी, नवमीमे सँ एक दिन हमसब राँचीकेँ दुर्गा पूजा देखय लेल जाइत रही। भोरे जे निकलैत रही से थाकि हारि कऽ रातिमे वापस घर अबैत रही। ओतुका पंडाल सब एक सऽ बढ़ि कऽ एक रहैत छल। खूब सुंदर सजावट रहैत छल। अपन गामक दुर्गा पूजाक तऽ बाते अलग छल। नाहर भगवतीपुरक दुर्गा पूजा नामी छै। खूब धूमधामसँ मनाओल जाइत छैक। हमहुँ सब राँची सऽ हरेक साल तऽ नहिं मुदा दू -तीन साल पर दुर्गा पूजामे अवश्य जाइत रही। बाहरसँ सब लोक सभक जुटानी दुर्गा पूजामे अवश्य होइत छलैक। गामक वातावरण सौहार्दपूर्ण रहैत छल। चारू दिस खुशी व उल्लासक माहौल रहैत छल।सब एक-दोसर सऽ मिलि कऽ खुशी बांटैत छल। पूरा परिवार एकत्र होइत छल। आपसी संबंध मजबूत बनैत छल। पहिने पाबनि-तिहार होइकेँ अपन अर्थ, उमंग आ उत्साह छलैक। पहिने लोक आर्थिक रूपसँ ओतेक मजबूत नहिं रहैत छल तइयो कोनो पाबनि-तिहारमे उमंग आ उत्साहक कोनो कमी नहिं रखैत छल। मुदा आब लोकक जतबे आर्थिक स्थिति मजबूत भऽ गेल छैक ओतबे पाबनि-तिहारक उत्साह खतम भेल जा रहल छैक। आजुक दुर्गा पूजाक माहौल आ चालीस बरख पहिने केँ पूजामे कतेक अंतर आबि गेल छैक। सचमुच ओ गुजरल जमाना हमर जीवनक स्वर्णिम दौर छल। आब बस ओहि यादसँ अपना आपके सांत्वना ही दऽ सकै छी।
आभा झा
गाजियाबाद