आसिन पुनीतक मास शुक्लपक्ष मे दुर्गा मय भ जैत अछि मिथिलाधाम

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तृषित धरा जेना हरियेली, कियैक त’ आबिगेल आसिन पावन पुनीत मास। माँ भगवतीकेँ आगमनक महीना।पुनीत

भादवक पूर्णिमा के संग शुरू होइत अछि आसिन मास आ पन्द्रह दिनक कृष्ण पक्ष पितर पक्ष आ पन्द्रह दिनक शुक्ल पक्ष भगवती दुर्गाकेँ आराधनामे बितैत अछि।पितर पक्षक समापन करैत सभ कियो जुइट जाइत छथि माँ दुर्गाके स्वागतमे। बाट त’ भगवतीक सभ जोहैत रहैत अछि सभ एक महीना पूर्वे सँ।जहिया सँ चौरचनक दोसरा दिन खूटा -खूटी गराइत अछि आ अनंत चतुर्दशी दिन सँ माटि लगनाइ शुरू भ’ जाइत अछि।गाम भरीक लोक उत्साहित भए पहुँचैत रहैत अछि दुर्गा मंदिर लंग। जाबेत मूर्ती पूर्ण रूपेन तैयार नञि देख लैत छथिन ताबेत शांति नञि।सभहक मनमे एकदम सँ उथल पुथल रहैत छैन।जे सभ रोजगारक लेल घर सँ दुर रहैत छथिन ओ तीन चारि महिना पहिने सँ गाम जेबाक लेल टीकट जोगारमे लाइग जाइत छथि। जे निश्चित ठाममे रहैत छथि जे पूजामे एतहि रहबाक अछि ओहो अपन तैयारीमे किछु समय पहिने सँ लाइग जाइत छथि। एहि दुर्गा पूजाके शारदीय नवरात्रि कहल जाइत अछि।आब बहुतो लोक दशोदिन नवरात्रिक व्रतमे रहैत छैथ। घर-धर कलशक स्थापना कैल जाइत अछि। दुर्गा पुजा नियमित रूप सँ दश दिनक होइत अछि। मुदा कहियो कहियो नौ या ग्यारह दिनक सेहो भ” जाइत अछि, ई होइत अछि तिथिक हेर फेर सँ। दस दिन अगाते लोक कुमाइरक खोज करबामे लाइग जाइत अछि। कारण आब त’ घरे-घर कुमाइर भोजनक सेहो प्रचलन भ’ गेल अछि। स्त्रीगन कोन रंगक नुवा एहिबेर खोंइछ भरबामे लेब सेहो एक मास पूर्वहिं सँ सोच लगैत छैथ। फेर ओकर पेटीकोट,चूड़ी फाल्स आ आँगी सेहो सियेबाके रहैत छैन ने। कुमाइरकेँ कपड़ा चूड़ी सभ सेहो अगाते किनबाके चिंता।मंदिरमे साँझ देबालेल दीबारीके लेल माटिक जोगार सेहो होमय लगैत अछि। पार्थीव् महादेवक पूजा लेल सेहो माटि। हम सभ सबेरे घरमे साँझ दए मंदिरमे नित्य साँझ देखबैत छी।दसो दिन कोना बितैत अछि लोक नञि बुझैत अछि। नित्य दिन हम सभ मंदिरमे अक्षत, अंकुरी, खीरा, सेब, केरा आ किछु मीठ लक प्रसाद पठबैत छी। सप्तमी अष्टमी, आ नवमी क’ आँटाक चूर्ण आ रोट बनैत अछि। निशा पूजामे छप्पन भोग संग आँटाक चूर्ण आ मालपुआ अनिवार्य रूप सँ देल जाइत अछि। छप्पन भोग पुजारी जीके घर सँ। कियैक त’ ई मंदिर हमर सभहक निजी। दुर्गा पूजामे हम सभ अनिवार्य रूप सँ गामेमे रहैत छी सभ बरख। पष्ठी सँ मेला आ सप्तमी सँ नाच गान सेहो शुरू भ’ जाइत अछि। ई नाच गानक गामक लोककेँ भार रहैत छैन। चारी दिन खूम खुशीकेँ धमगज्जर होइत अछि। यात्रा दिन जखन भगवतीक समदाउन गबैत छी हम सभ त’ सभहक आँखि सँ नोरक टघार बहैत अछि। भगवतीक प्रतिमा जेना बहुत उदासीन भ’ जाइत छैन। मुदा ई त’ नियमपूर्वक विसर्जन करहे पड़ैत छै। हमरा ओहिठाम भगवतीक प्रतिमा कोजगरा तक रहैत छथिन।कोजगरा दिन लक्ष्मी पूजन कए कोजगराक प्रात भसओल जाइत छथिन।हमरा ओहिठाम ३५० वर्ष सँ पूजा होइत अछि से सुनैत छी अपन बड़का सँ।यात्रा दिन वेल्व भसाक निलकण्ठक दर्शन करबा नियम अछि हमरा ओहिठाम। हमरा गाममे गामक चारू कात मंदिर अछि जेना:-
गामक पूर्वमे :- हमर कुलदेवीक दुर्गा मंदिर
पश्चिममे :-हनुमान मंदिर, काली मंदिर, विसहरा मंदिर
उत्तरमे :- बतहा महादेव मंदिर आ पार्वतीके बड्ड भव्य प्रतिमा मंदिरमे स्थापित
दक्षिणमे :- बाबा लक्ष्मीनाथ गोसांईके पौखैर आ पौखैरक मोहार पर पूर्वमे रत्नेश्वर महादेव मंदिर, दक्षिणमे गमैया दुर्गा मंदिर, पश्चिममे लक्ष्मीनाथ गोसांईके कुटी आ दुखीत लोककेँ नहेबालेल घाट। सभ मंदिरक परिक्रमा दुनू दुर्गा मंदिरक पुजारीके संग पुरूष वर्ग करैत छैथ।
हमर सभहक कुलदेवी छैथ माँ दुर्गा त’ कनेक बेसिये उत्सुकता रहैत अछि।हमर घरक सोझाँमे हुनकर भव्य मंदिर छैन। जखन- तखन हुनकर मंदिरक दर्शन। हमरा सभहक परिवारमे कलशक सिर्फ मंदिरेटामे स्थापना होइत अछि कारण दुर्गा हमर कुलदेवी आ दक्षिण काली हमर इष्ट। त’ गोसाउनिक घरमे कलश स्थापित नञि कैल जाइत अछि। ओतैके जयंती गोसाओनके सेहो चढ़ैत छैन।हम दुनू प्राणी उन्नतीस बरख सँ नवरात्रिक व्रतमे रहैत अएलहुँ अछि।दिन राइत आरतीके पश्चात फलहार करैत।मुदा उत्साहित ततेक ने रहैत छी जे की दिन आ की राइत। नीत जोड़ा कुमाइरक भोजन करबैत छी आ दशमी दिन व्रतक पारना। एखनो बच्चा सभ मेला देखबा लेल पैसा सभ सँ मंगैत आ कनियो पैसा पाबि बड्ड खुशी होइत अछि। दुर्गा जी आ दुर्गा पूजाक महिमा अगम अपार।
नीलम झा✍️
जनकपुरधाम