आगम तंत्रक आगमन : एक दृष्टि,एक दृष्टिकोण

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मैथिल यायावर, मधेपुरा / १० अक्टूबर २०२३// मैथिली जिंदाबाद

 

तन्त्र के, वेदकाल केर बादक रचना मानल जाइत छैक। जकर विकास प्रथम सहस्राब्दी केर मध्य के आसपास भेल रहय। साहित्यिक रूप मे , जेना कि  पुराणके प्राचीन ग्रन्थ, मध्ययुगक दार्शनिक – धार्मिक रचना मानल जाइत छैक ।

ओहिना तन्त्रो मे,  प्राचीन – आख्यान, कथानक आदिक समावेश होइत छैक । अपन विषयवस्तुक दृष्टि से ई धर्म, दर्शन, सृष्टिरचना शास्त्र, प्राचीन विज्ञान आदिके इनसाक्लोपीडिया सेहो कहल जा सकैत अछि।

किछु यूरोपीय विद्वानसब , अपन उपनिवीशवादी लक्ष्यके ध्यान मे राखैत हुए,  तन्त्र के ‘गूढ़ साधना’ (esoteric practice) वा ‘साम्प्रदायिक कर्मकाण्ड ‘ बताके लोकके भटकाबय के कोशिश केने रहय। मुदा, ई तथ्य ओतेक प्रभावित नहिं क सकलय।

ई शास्त्र मुख्य रूप से तीन भाग मे विभक्त छै— आगम, यामल आर मुख्य तंत्र ।

वाराही तंत्र के अनुसार, जाहिमे सृष्टि, प्रलय, देवतासभक पूजा, सब काज केर साधना, पुरश्चरण, षट्कर्म- साधन आ चारि प्रकार के ध्यानयोगक वर्णन होएत होए, ओकरा आगम कहैत छैक ।

जाहिमे सृष्टितत्व, ज्योतिष, नित्य कृत्य, क्रम, सूत्र, वर्णभेद आर युगधर्मक वर्णन होइत छैक ओकरा यामल कहैत छैक।

आ जाहिमे सृष्टि, लट, मंत्रनिर्णय, देवता सभकें संस्थान, यंत्रनिर्णय, तीर्थ, आश्रम, धर्म, कल्प, ज्योतिष संस्थान, व्रत-कथा, शौच आर अशौच, स्त्री – पुरूष – लक्षण, राजधर्म, दान – धर्म, युवा धर्म, व्यवहार आ आध्यात्मिक विषयक वर्णन होइत छैक, ओ मुख्य तंत्र कहल जाइत छैक।

एहि शास्त्रक सिद्धान्त अछि जे एहि कलियुग मे वैदिक मंत्र,जप ,तप आ यज्ञ आदि सभकें कोनो फल नहिं प्राप्त होइत छैक । तें एहि युग मे , सब प्रकार के काजक सिद्धिके लेल, तंत्राशास्त्र मे वर्णित मंत्रक आ की उपायक सहायता लेने से वांछित फलक प्राप्ति होइत छैक।

एहि शास्त्रके सिद्धान्त के बहुत गुप्त राखल जाइत छैक।आ एकर शिक्षा लेबाक लेल  मनुष्य के पहिले दीक्षित हुअ’  पड़ैत छैक । एहि शास्त्रक मुख्य प्रणेता महादेव के ही मानल गेल अछि।

एखन देखल गेल अछि जे प्रायः लोक मारण, मोहन ,उच्चाटन, वशीकरण आदि के लेल आ की  अनेक प्रकारक सिद्धि आदिके लेल ही साधना आ की  तंत्रोक्त मंत्रक प्रयोग करैत छैक । जखनकि एहि शास्त्रक प्रयोग हम सामाजिक न्याय आ विकासक लेल सेहो क सकै छी। मुदा, लोक अपन निजी स्वार्थ मे ततेक ने अन्हरा गेल अछि जे ओकरा आन लोकक वा समाजक हित नजरे ने अबैत अछि।

ई शास्त्र प्रधानतः शाक्त सभकें ही शास्त्र थिक।आ एकर मंत्र प्रायः अर्थहीन आर एकाक्षरी होइत छैक । जेना की

— ह्नीं, क्लीं, श्रीं, स्थीं, शूं, क्रू आदि । मुदा ,ई मंत्र सब साधक सभक लेल वास्तव मे प्रभावकारी साबित भ जाइत अछि।

तांत्रिक सभकें पंचमकार थिक —

मद्य, मांस, मत्स्य, मुद्रा आर मैथुन ।

ऊं नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय