सामुहिक गतिविधिक अनुपम उदाहरण
– प्रवीण नारायण चौधरी
दहेज मुक्त मिथिला परिवार के परिचय
(नवागन्तुक लेल विशेष)
बन्धुगण! ई फेसबुक समूह ‘दहेज मुक्त मिथिला’ केर स्थापना मूलतः ३ मार्च २०११ केँ भेल छल। सामाजिक संजाल मे मैथिल युवजन लोकनि एहि तरहक सोच संग आगू आयल रहथि। तदनुसार ई समूह मात्र फेसबुक पर कूरीति के विरूद्ध बिगुल बजेला टा सँ काज नहि चलत, बल्कि एकर उद्देश्य अनुसार लोक सब अपन जीवन जियथि एहेन जनजागरण अभियान सेहो चलाबय पड़त नियारल गेल।
सिर्फ दहेज-दहेज करबय त कतेको लोक दहेज के समर्थक केँ खराब लगतनि, हुनका हेतनि जे “हमर बनल-बनायल काज केँ बिगाड़यवला उग्रवादी सब ‘दहेज मुक्त’ के नारा लगबैत अछि, हमर काज केना बनल, कतेक बेलना बेलय पड़ल, कतेको मुश्किल भेल घर-वर ताकय मे… ताहि सब मे ई सब कियो गोटे कहियो मदति नहि कयलक आ जखन सब बात तय भ’ गेल, दहेजक टका हमरा जे लागत से हमहीं देबय… त ई सब आबि गेल झंझटि ठाढ़ करय।” – से दहेज मुक्त मिथिला या हम सब वास्तव मे केकरो काज मे बाधा-अड़चन दयवला नहि बनी, बल्कि स्वेच्छा सँ सब कियो दहेज मुक्त विवाह केँ बढावा देथि, तेकर प्रचार-प्रसार करी। लेकिन प्रचार-प्रसार लेल एकटा त बहन्ना चाही, जेकर आड़ मे हम सब गाम-समाज सँ जुड़िकय ‘दहेज मुक्त मिथिला’ निर्माणार्थ उचित आह्वान करी। से निर्णय लेल गेल जे ‘मिथिला केर सब गाम छय सुन्दर, बचाउ एहिठामक सब धरोहर’। ऐतिहासिक, धार्मिक, भाषिक, सांस्कृतिक, आदि धरोहर लेल गामक कमौआ बेटा, ई नहि जे सरकारी पाय पर फुरफैंस्सी करब… सब कियो अपन जेबी सँ जतबे निकालि सकब ततबे मे अपन-अपन गाम के धरोहर रक्षणार्थ काज करय जाय। यैह होयत ‘दहेज मुक्त मिथिला’।
जी, एहि अवधारणा पर ठाढ़ भेल दहेज मुक्त मिथिला। आर एखन तक २ बेर स्मारिका जेहेन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज समाज केँ प्रदान करैत एकटा रेकर्ड ठाढ़ कयल गेल अछि। जाहि मे अपने सब अपन-अपन स्वेच्छा सँ सब्सक्रिप्शन देलहुँ आ सब काज सफलतापूर्वक सम्पन्न भेल। स्मारिका २०२१ सँ ‘निर्धन कन्या कोष निर्माण’ केर सपना देखल गेल आ आइ नहि बेसी त थोड़-बहुत कोष जरूर ठाढ़ भ’ सकल अछि जेकर सदुपयोग लेल ‘दहेज मुक्त मिथिला मासिक बुलेटिन’ प्रकाशनक प्रकल्प चयन कयल गेल छल। मुदा प्रकाशकक शिथिलता आ विविध समस्याक कारण ओ प्रकल्प पुनः असोथकित मुद्रा मे जहिनाक तहिना पड़ल अछि। बीच मे समूह जे लगभग ७२ हजार सदस्यक परिवार बनि गेल छल, तेकरा पर्यन्त डिलीट करबा देल गेल। एखनहुँ अपन समाजक किछु लोक केँ हम आ हमर सोच-अवधारणा आदि बड़ा तीख लगैत छन्हि, ओ अपनो किछु करितथि त से ‘बाप जन्म’ मे पार लागयवला नहि छन्हि, मुदा हमरा सभक नाम सँ अनेकों तरहक अनर्गल प्रलाप सरेआम समाजक बीच राखैत भेटि जेताह। खैर, ईश्वर केर शरणागत आ पराम्बा जानकीक सहारे आगू बढ़निहार लेल ई सब कीड़ा-मकोड़ा-रतिचर सभक भभकी कतेक महत्व राखत से स्वतः बुझि सकैत छी। बस, हाथी जेकाँ अपन काज मे लगन सँ बढैत रहबाक संकल्प पर अडिग छी हम सब। अपने सभक नीक संग अछि आ एहिना यात्रा आगू बढैत रहत से विश्वास अछि।
पराम्बा जानकीक कृपा सँ बहुत जल्दी एकटा नव प्रारूप (वेबसाइट) आओत आ तदनुसार दहेज मुक्त विवाह केर प्रस्ताव व परिचय सब नीक ढंग सँ आदान-प्रदान अपने लोकनि कय सकब से विश्वास अछि। परिवार मे जाहि तरहें साहित्यिक-सांस्कृतिक समागम अपने सदस्य लोकनिक बीच भ’ रहल अछि ओ असाधारण छैक। अहाँ सब केँ पतो नहि चलत लेकिन एकर सुन्दर प्रभाव बहुत दूरगामी छैक। आइ संसार भरिक मैथिल परिवार जागृतिक पथ पर अग्रसर आ एकजुट भेल छैक से अहाँ सभक कारण। आइ कियो कतहु छुटल नहि छैक, सब एक-दोसरक डेन पकड़ि चुकल छैक, से अहाँ सभक सुन्दर सोच आ साहित्यक कारण। मैथिली भाषा आ साहित्य प्रथम आधार थिकैक मैथिल जीवनक, ताहि मे अहाँ सभक योगदान सर्वोपरि अछि। समूचा भारत, नेपाल व अन्य-अन्य मुलुक पर्यन्त मे अहाँक परिवार सँ निकलल सुगन्ध सब केँ सुवासित कय रहल अछि। बढ़ैत रहू – बढ़ैत रहू!!
हरिः हरः!!