लेख
– शशि भूषण झा ‘नागदह’
मैथिली भाषा
शब्दक ओ समूह जे कोनो भाषाक आधार होइत छै, ओकरा ओहि भाषाक आधारभूत शब्दावली कहल जाइत अछि। कोनो भाषा सिखबाक लेल ओहि भाषाक शब्दावली केर ज्ञान हेबाक परमावश्यक होइत छै।
कोनो भाषामे एहि प्रकारक आधारभूत शब्दक संख्या प्रायः तीन हजारसँ पाँच हजार धरि होइत छै। मैथिली आधारभूत शब्दक संख्या पाँच सएसँ पाँच हजार धरि होइत अछि। अन्यान्य भाषामे तँ आधारभूत शब्दक सूची प्रकाशित भ’ गेल अछि, मुदा, मैथिली मे ई सूची अनुपलब्ध अछि। आधारभूत शब्दावलीमे अप्रचलित, अल्पप्रचलित, दुरूह आ’ पारिभाषिक शब्द नञि होइत छै। भाषामे एकर प्रयोग सत्तरि प्रतिशतसँ बेसिए होइत छै तथा ई जीवित शब्द होइत अछि, जकर प्रयोग यथार्थ रूपेँ कएल जाइत छै।
जखन नब क्षेत्र वा भाषा – भाषी लोकसँ सम्पर्क स्थापित होइत अछि तँ दुनू परस्पर नबीन शब्द ग्रहण करैत छैक। भारतक सम्पर्क अरबी, पुर्तगाली, इरानी, अंग्रेजी भाषासँ भेल तँ मैथिलीक संग अन्य आधुनिक भारतीय भाषामे अनेको शब्दकेँ ग्रहण कएल गेल संगहि एहि भाषासभमे सेहो भारतीय भाषाक शब्द समाहित भ’ गेल। विश्वक प्रायः सभ भाषामे एहि प्रकारेँ नबीन सम्पर्कसँ आपसमे भाषाक आयात – निर्यात होइत अछि। भाषा कोन रूपेँ अपन स्थान बनबैत छैक आ समाज ओहि भाषाकेँ कोन रूपेँ ग्राह्य करैत छैक तकर बानगी अहि बातसँ चलि सकैत अछि कि :-
(माए ~माय~ माँ~ मम्मी)
( बाबू~पापा~डैडी, डैड )
( भाए ~ भाइ ~ ब्रो)
( गाए~ गाय)
मैथिली भाषामे तुर्की सँ ८०, अरबी – फारसीसँ ६५००, अंग्रेजीसँ ३५०० तथा पुर्तगालीसँ लगभग ८० शब्द ग्रहण कएल गेल अछि! जतैक नबीन शब्द स्वीकार्यता बढत मैथिली ओतेक फूलत – फलत।
जखन नबका शब्द समाजमे ग्राह्य भ’ जाइत छै तँ शब्द संख्या तँ अवश्ये बढ़ि जाएत छै।
सभ भाषाक आपन – अपन शब्दकोश होइत छै, मैथिली भाषाक छपल शब्दकोश लगभग लगभग पेँतीस हजार ( ३५००० ) छैक, मुदा जँ छिरिआएल सभ शब्द संकलित भ’ जाए तँ वास्तविक संख्या संख्या ६०-७० हजार तक पहुंचि सकैत छैक। अहि विषय पर काज करक आवश्यकता।