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सहरसा मे आयोजित एक दिवसीय परिसंवादः मैथिली सिनेमा आ साहित्य

४ अक्टुबर, २०२३ । मैथिली जिन्दाबाद!!

सहरसा सँ आबिकय…. हम प्रवीण नारायण चौधरी, एक सहभागी विमर्शी ई संस्मरण लिखि रहल छी।

पहिने संछिप्त समाचारः

३० सितम्बर २०२३ केँ साहित्य अकादमी, नई दिल्ली संग स्थानीय आयोजक ईस्ट एन वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कालेज, पटुआहा, सहरसा द्वारा एक दिवसीय परिसंवाद – मैथिली सिनेमा आ साहित्य विषय पर आयोजित कयल गेल। एहि मे उद्घाटन सत्र, सत्र एक आ सत्र दुइ संग समापन सत्र केर आयोजन कयल गेल। उद्घाटनककर्त्ता बीएनएमयू निवर्तमान उपकुलपति डा. आर के पी रमन आ साहित्य अकादमीक परामर्शदातृ समिति (मैथिली) संयोजक डा. उदय नारायण सिंह नचिकेता प्रमुख अतिथिक तौर पर उपस्थित भेलाह। तहिना साहित्य अकादमीक सचिव एन सुरेशबाबूक उपस्थिति सेहो छल। दुइ विमर्श सत्रक अध्यक्षता क्रमशः कुणाल व रमेश रंजन झा कयलनि। विमर्शीक तौर पर रमन कुमार सिंह, एन मंडल, प्रकाश झा, प्रवीण नारायण चौधरी, पुष्यमित्र, राम कुमार सिंह, राज शेखर एवं शैलेन्द्र शैलीक उपस्थिति छल। सब विमर्शी ओ सत्रक अध्यक्षता कय रहला व्यक्तित्व लेल मैथिली सिनेमा व साहित्य सँ सम्बन्धित विभिन्न विषय निर्धारित छल। कुल १० गोट विषय पर आलेख सहित आमंत्रित वक्ता लोकनि सन्दर्भित विषय पर विशद् चर्चा कयलनि। समस्त आलेख साहित्य अकादमी द्वारा पोथीक रूप मे प्रकाशित कयल जायत जे मैथिली साहित्य लेल एकटा अद्भुत उपलब्धि अवश्य होयत।

आब आउ हमर संस्मरण (समीक्षा) दिशः

सहरसा मे आयोजित मैथिली सिनेमा ओ साहित्य पर परिसंवाद कार्यक्रम पर प्रवीण दृष्टि

मैथिली सिनेमा आ साहित्य पर एक-दिवसीय परिसंवाद कार्यक्रम साहित्य अकादमी नई दिल्लीक आयोजन जाहि मे सहरसाक एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान “ईस्ट एन वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कालेज” सह-आयोजक केर भूमिका निर्वाह कयलक, एकर समग्र रिपोर्ट लेल टुकड़ी-टुकड़ी मे (पार्ट-बाय-पार्ट) लिखय पड़तः

१. विषयक चयन सँ लैत एकर आयोजनक सम्पूर्ण परिकल्पना, ताहि मे स्रोत व्यक्ति सभक नामक चयन आ ताहि मे क्षेत्रीय-वर्गीय सहभागिताक आ ताहि स्तरक व्यक्तित्व सब केँ एकत्रित करबाक जे साहित्यिक आधार बनल, फेर एहि साहित्यिक परिकल्पना केँ साकार करबाक लेल एकटा राष्ट्रीय संस्थान संग सहकार्य आ स्वीकृति लेनाय, बहुत रास बात शुरुआते मे तय करय पड़ैछ। ठीक जेना रमेश रंजन भाइजी बड नीक उक्तिक प्रयोग कएने रहथि जे सिनेमा पहिने कागज पर बनय छय, फेर ओ विभिन्न स्क्रीन तक जाइत छैक, बस एहि विन्दु पर एकटा दूरगामी सोच, सक्षम दृष्टि आ सहभागितामूलक स्रोत व्यक्ति लोकनि तक पहुँच, अनुभव आ स्मृतिक विलक्षण प्रयोग जे आइ पाँचो दशक सँ उपर सँ मैथिली भाषा-साहित्य मे योगदान दैत आबि रहला अछि लेकिन हुनका अकादमी तक पहुँच नहि बनि सकलनि, कोनो क्षेत्र पूर्णतया उपेक्षित जाहि कारण मैथिलीक क्षेत्र तक संकुचित हेबाक दुष्परिणाम देखा पड़ि रहल अछि…. मतलब जे समस्त मैथिलीभाषीक स्वामित्व केँ ओहि सम्पूर्ण क्षेत्रक मैथिलीभाषी तक पहुँचेबाक सुझ-बुझ आ तदनुसार संयोजन – ई सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष रहल। एहि मे एकटा सर्वोत्कृष्ट सोच ई रहल जे पी-पी-पी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) केर तर्ज पर सरकार द्वारा पोषित संस्थान संग निजी शैक्षणिक संस्थान आ ताहि मे सेहो डा. रजनीश रंजन समान सकारात्मक व समर्पित मैथिली-मिथिलाक स्वयं एक विलक्षण स्रष्टाक संग, सोना मे सुहागा वाली कहावत चरितार्थ करबाक सोच सेहो यैक परिकल्पनाकार सँ सम्भव भेल। से छथि ईमान के पक्का आ मातृभाषा-मातृभूमि लेल ओ यात्री जे बटखर्चा तक के चिन्ता नहि करैत अपन मेहनत आ सृजन सँ सम्मानित-स्वाभिमानपूर्ण जीवन जिबि रहल छथि, से छथि किसलय कृष्ण।

२. सह-आयोजक संस्थान आ तेकर वातावरण, ओहि परिवारक संलग्नता आ से पूर्णतया स्पष्ट दृष्टि (विजन) लय कय, ठोस अवधारणा पत्र कागज, कम्प्यूटर ओ कपाल मे कोरिकय खट्-खट्-खट् बटन टिपैत जेना कोनो रिमोट कन्ट्रोल पर सारा सेट प्रोग्रामिंग केँ प्रोजेक्टर केर माध्यम सँ स्क्रीनप्ले पर उतारि देलनि – तेहेन उच्चस्तरीय व्यवस्थापन आ कार्यक्रमक सर्वोच्च भाग ‘क्रियान्वयन’ केँ ओहिना उतारि देलनि जेना सपना मे कोनो आँखि सुतैतो आ जागैतो देखने छल। से एकटा स्तरीय आयोजन जाहि लेल साहित्य अकादमीक सचिव सुरेशबाबू मुक्तकंठ प्रशंसा करैत अपन सम्पूर्ण भारतदेश केर विभिन्न राज्य व क्षेत्र मे अनेकों कार्यक्रमक आयोजन मे सहभागिता देबाक मुदा एहि तरहक आयोजन ‘न भूतो न भविष्यति’ केर उपमा प्रदान कयलनि। से सब तरहें छल। सब सँ बड़का बात ई रहैक जे लगभग ८०० छात्र-छात्रा (प्रशिक्षु अध्यापक-अध्यापिका जिनका छात्राध्यापक-छात्राध्यापिका सँ सम्बोधन कयल गेल छल) लोकनि एहि मे प्रत्यक्ष सहभागि भेलथि आ दुनिया भरि मे गण्य डा. उदय नारायण सिंह नचिकेता केँ, बी.एन.एम.यू. मधेपुरा (विश्वविद्यालयक) उपकुलपति डा. आर के पी रमन केँ सुनलनि। आ हमरा सँ जँ पुछी त सभक बात केँ अपन सुमधुर आवाज मे स्पष्ट कयलीह मनीषा रंजन, बीएनएमयू सिनेट मेम्बर सह उपरोक्त शैक्षणिक संस्थान व अन्य अनेकों शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र मे संचालित संस्थान सहरसा सँ पटना धरिक संचालिका एवं हुनक अति-सुयोग्य आ सक्षम-सामर्थ्यवान् पतिदेव सह शैक्षणिक संस्थानक अध्यक्ष (चेयरमैन) ततेक बढियाँ सँ सब बात फरिछेलनि आ बड सार्थक आशा जतबैत डा. नचिकेताक आह्वान केँ सफल होयबाक ई तथ्य उजागर कयलनि जे आइ ८०० छात्र-छात्रा मध्य सँ नहि किछु तँ १०-२० गोटे मैथिली सिनेमा आ साहित्यक परिसंवाद सुनि अपन जीवन ओ भविष्यनिर्माण मे जरूरे बढ़ता। ई छल सम्पूर्ण आयोजनक रीढ़!! डा. रजनीश रंजन एतेक सुन्दर ढंग सँ बजैत छथि, आशा केँ विश्वास मे परिणत होइत प्रत्यक्ष देखा दैत छथि आ जे दावी करैत छथि ताहि के पाछू एकटा सुन्दर तर्क आ दर्शन निश्चिते टा रहल करैत छैक, ओ मैथिलीभाषी क्षेत्रक जेना परिभाषा कयलनि आ मैथिली सिनेमाक बाजार क्षेत्र मात्र केँ पटल पर रखलनि से बेजोड़ मात्र नहि अपित अत्यन्त सटीक सेहो छल। झारखंड, नेपाल सहित सम्पूर्ण बिहार केँ मूलमैथिलीभाषी क्षेत्र मानलनि आ से सिद्ध करैत आ तदनुसार आत्मिकता मैथिली सिनेमा सँ रहबाक दावा कयलनि। त एहेन सार्थक-सकारात्मक ऊर्जाक परिस्राव सभा केँ गदगद कय देलक। हुनकर ओ वीडियो बेर-बेर सुनयवला होयत। बाद मे हम लिंक सेहो देब।

३. डा. रजनीश रंजन अध्यक्षता कयलनि, स्वागताध्यक्ष मनीषा रंजन छलीह, धन्यवाद ज्ञापन संस्थानक प्राचार्य डा. एन. के. झा कयलनि – एकटा बहुत महत्वपूर्ण स्वागत एवं आयोजकक प्रतिनिधित्व कयनिहार प्रथम वक्ता साहित्य अकादमी सचिव एन सुरेशबाबू बजलाह, से खोंइचा छोड़ाकय आ बड़ा शालीनता सँ सब बात रखलनि। एकटा कमजोरी सँ निजात लेल आह्वान सेहो कयलनि, प्रकाशन अनुसार मैथिली पुस्तक केर मद्धिम किनबाक गति पर चिन्ता जतेलनि। जखन कि सच ई छैक जे साहित्य अकादमी ठीक ढंग सँ साहित्यिक प्रकाशन सँ मैथिलीभाषी केँ जोड़िये नहि पाबि रहल अछि। आब एकरा अक्षमता कहू आ कि चाँगुर मे बेधायल… लेकिन मैथिली पोथी सेहो साहित्य अकादमी सँ प्रकाशित पोथी जे निश्चिते अपन उच्च मानक केँ निर्वाह करैत कय रहल अछि तेकर मांग मैथिलीभाषी नहि करता से अविश्वसनीय बात थिक। मुदा सच्चाई ई जरूर छैक जे वर्तमान पूर्वाधार ओ वितरण व्यवस्था मे ई पोथी अल्प मात्रा मे मात्र किनल जा रहल अछि। कतय किनय लोक? कय गोट माध्यम छैक? कतेक प्रचार-प्रसार छैक? कि सब आयोजन करैत पोथी बिक्री पर जोर आ बेसी सँ बेसी पाठक धरि पहुँचेबाक प्रकल्प छैक अकादमीक? समीक्षा करू न!

४. स्वागत-सत्कार आ आयोजनक विलक्षण रूप निश्चित डा. रंजन व मनीषाजीक संग हुनकर संस्थानक विगत १४ वर्ष सँ चलैत आबि रहल किछु परम्परागत तौर-तरीका केर रहल, जे अद्भुत, आकर्षक व सभक लेल अविस्मरणीय भेल। अतिथिक आगमनक समय रेड कार्पेट पर हुनका लोकनि केँ अगुवानी करैत छाता ओढ़ाकय संस्थान परिवारक छात्राध्यापक लोकनिक समूह लगभग १०० मीटर मुख्य भवन धरि लय गेलाह। मुख्य भवनक द्वार पर छात्राध्यापिका लोकनिक समूह हाथ मे अच्छत-चन्दन-पुष्प सहित ठाढ़ छलीह। अतिथि पहुँचिते हुनका सब केँ चन्दन-सिन्दुर-अच्छतक टीका लगा पुष्पक वर्षा कयल गेल। मानू जेना साक्षात् स्वर्गलोक केँ प्रत्यक्ष देखि रहल छलहुँ। संस्थानक दृश्य आ मौसम मे हल्का बरखा – गज्जब आ चमत्कारिक आनन्द दय रहल छल। संस्थानक प्रवेश द्वार सँ भवनक मुख्य द्वार धरि बिछायल गेल रेड कार्पेट आ तेकर दु-बगली सुन्दर-सुन्दर आ हरियर-हरियर गाछ सभक पतियान मे अतिथि लोकनिक परिचय व फोटो सहित के पोस्टर सब सजाकय राखल गेल छल। प्रकृतिक सुन्दर छटा मे आयोजक संस्था द्वारा जाहि तरहें अतिथि लोकनि केँ ई अनुभूति आरम्भहि मे करायल गेल से अपूर्व आ अद्भुत छल। सब अतिथि लोकनि केँ सीधे चेयरमैन केर चेम्बर मे पुनः स्वयं चेयरमैन संग सहचेयरमैन यानि डा. रजनीश रंजन संग मनीषा रंजन द्वारा भव्य स्वागत-सत्कार, तुरन्त पानि-चाह आदिक संग आपस मे परिचय आ सौहार्द्रता सँ मैथिली भाषा, साहित्य, मिथिला संस्कृति, मूल्यवान् परम्परा आ पुरखाजनक योगदान आदि विभिन्न महत्वपूर्ण पक्ष सब पर आपसी चर्चा सब भेल। स्वागत-अभिनन्दनक ई सिलसिला मंचीय प्रस्तुति धरि रहल आ से अन्य विभिन्न आयोजनक आडम्बरी तौर-तरीका सँ किछु भिन्न रहल। सब अतिथि केँ पाग-दोपटा संग पुष्पगुच्छ, पर्यावरण हित लेल एकटा नवगोछली (सम्भवतः भालसरिक फुल केर गाछ), एकटा मोमेन्टो, एकटा लाल कपड़ा मे बान्हल मौनी मे मखान-पान-सुपारीक सगुन, आह! कतेक सरस-सजल आ खूब नीक सँ सोचल सुन्दर डेग संग एहि आयोजनक ई स्वागत-सम्मान प्रभाग छल! हम विस्मित त रहबे करी, डा. रंजन संग पूर्व मे २-३ बेर एक अनन्य सहयोगी पाबि हृदय मे अत्यधिक प्रसन्न सेहो रही। ताहि पर सँ हुनका दुनू प्राणीक मधु चुबैत बोल-वचन आ सभक प्रति स्नेहक बरसात! गज्जब छल। पूरे संस्थान समर्पित छल जे कोना ई आयोजन अपन चरमविन्दु धरि सफलता हासिल करय। ई लगन आ सूझबूझ सँ कोनो आयोजन होयत ओ निश्चिते अपन गन्तव्य दिश सफलतापूर्वक पहुँचबे करत।

५. एहि आयोजनक बीज भाषण मे किसलय कृष्ण ई फरिछा देलनि जे आगू कतेक महत्वपूर्ण सत्र आ विषय सब पर दृष्टिपात होयत। ई परिसंवाद आगामी समय मैथिली सिनेमाक स्वरूप आ सृजन मे कोन तरहक भूमिका निर्वाह करत। मैथिली सिनेमा कोना साहित्य केर अभिन्न हिस्सा छी, साहित्यक अनेकों विधा मे कोना श्रव्य सँ दृश्य मे परिणति पबैत चलचित्र (सिनेमा) केर जन्म होइछ आ फेर केना-केना एकर यात्रा आगू बढ़ैछ, आइ ई कतय अछि आ भविष्यक गन्तव्य कतय छैक, कतय हेबाक चाही, कि सब करबाक आवश्यकता छैक, कि भ’ रहल छैक, एकर सम्पूर्ण विवेचना पर आधारित परिसंवाद (सिम्पोजियम) केर आयोजन साहित्य अकादमी समान प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्था द्वारा आयोजित भेल। ई आयोजन कियैक एकटा शैक्षणिक संस्थान मे राखल गेल, एहि पाछू के सोच जे उपर मे लिखल जा चुकल अछि, ताहि पर सेहो बड़ा कृतज्ञताक भाव मे किसलय कृष्ण फरिछेलनि। ‘कहबाक त आरो बहुत किछु छल परञ्च समयक सीमा देखैत बस संछेप मे एतबे कहिकय बाकी स्वतः आगामी सत्र आ संवाद कहत’ – ओ अपन विचार केँ विराम देलनि। एहि संगे डा. एन. के. झा, प्राचार्य धन्यवाद ज्ञापन हेतु अयलाह लेकिन हुनको भीतर बड भड़ास रहनि, शायद ओहो हमरे जेकाँ बच्चा मे फिल्मक हिरो बनबाक सपना देखने रहथि, मुदा बनि गेलाह शिक्षक आ आइ भेटि गेलनि मंच त लगलाह सब किछु निकालय, हिन्दी, मैथिली, अंग्रेजी सब भाषाक ज्ञान छन्हि सेहो सिद्ध कइये देलखिन आखिर मे, हड़बड़ी मे धन्यवादक शब्द बिसरा गेलनि, किसलय माथ पर सवार भ’ गेल छलखिन्ह शायद तेँ… चूँकि समय आब कहि रहल छल जे हम पहिनहि निर्धारित शेड्युल सँ २ घन्टा विलम्ब छी त आब ई सब औपचारिकता खत्म कय सीधे सत्र दिश चलू। भावना सँ जुड़ल आयोजन मे विलम्ब बड पैघ बात नहि, भोजनो मिथिला मे २-३ घन्टा मे होइत छैक, फेर ई त इतिहास मे पहिल बेर आयोजित आ एतेक भव्यता साथ योजनावद्ध तरीका सँ निष्पादित आयोजन छल। विलम्ब के कारण किछु त अस्त-व्यस्त भेल, तथापि सम्हरि गेल।

६. सत्रारम्भ – सत्र १ः अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार सह रंग ओ फिल्म निर्देशक, सिनेमा सम्बन्धी विषयक सुविज्ञ व्यक्तित्व ‘कुणाल’, विमर्शी वरिष्ठ लेखक एवं समीक्षक रमन कुमार सिंह, फिल्म निर्माता-निर्देशक एन मंडल, प्रसिद्ध रंगकर्मी निर्देशक एवं बहुप्रतिभावान् व्यक्तित्व प्रकाश झा (मैथिली लोक रंग, नई दिल्लीक संस्थापक) तथा सभक बीच हम अल्पज्ञ दर्शकक प्रतिनिधित्व करैत उपस्थित भेलहुँ। सभक लेल विषय पूर्वहि सँ निर्धारित आ ताहि पर लिखित आलेख सहित उपस्थित होयबाक कोर्स तय रहबाक स्थिति मे आदरणीय रमन कुमार सिंह राजकमल चौधरीक लिखल ललका पाग आ ताहि पर आधारित सिनेमाक निर्माण आदिक चर्चा कयलनि। साहित्य आ फिल्म बीच तादात्म्यक समझ केँ एतहि सँ आरम्भ करैत दोसर वक्ता एन. मंडल मैथिली सिनेमाक निर्माण-निर्देशन सम्बन्धित अपन अनुभव आ ताहि मे होयवला समस्या आदिक जिकिर कयलनि। ओ निष्कर्ष सेहो सुनौलनि जे मैथिली फिल्मक भविष्य लेल आपसी समझदारी आ सहयोग केर वातावरण बनेनाय समयक मांग थिक। तहिना मैलोरंग निर्देशक प्रकाश झा मैथिली सिनेमाक स्तरीयता पर जोर दैत हुनका लेल निर्धारित विषय रंगकर्म आ सिनेमा बीचक सम्बन्ध पर प्रकाश देबाक कार्य बड़ा रोचक ढंग सँ कयलनि। जेतय सभागार मे भूखक मूस कूदि रहल छात्राध्यापक-छात्राध्यापिका सभक गल-गुल हल्लाक परिदृश्य पर मंच संचालक किसलय कृष्ण आ स्वयं अध्यक्ष कुणाल द्वारा बेर-बेर कहल गेल जे श्रोता मे गम्भीरता नहि त श्रोताक आवश्यकता नहि, ओतहि प्रकाश झा सब श्रोता केँ तेनाकय वर्कशौप करबय लगलाह जे स्वाभाविक रूप सँ सब गोटे शान्त आ मनोरंजनक संग हुनकर बात सुनय लगलाह। एकर बाद हमर बजबाक बेर छल। ७-८ पन्नाक लिखल आलेख पढ़बाक छल। सभागार मे श्रोताक स्थिति हमरो चिन्ता देने छल, लेकिन प्रकाशजी द्वारा कनी बुझेला उपरान्त हम आश्वस्त भ’ अपन आलेख पढ़य लगलहुँ, फेर लागल जे आलेख पढ़ैत पूरा सभागार खाली भ’ जायत त जल्दी-जल्दी अपन बात केँ समेटलहुँ। ठीके-ठाक विन्दु सब पर प्रकाश दय सकलहुँ। दर्शकक निराशा प्रति आलोचनात्मक पक्ष हमर आलेखक विशेषता छल जे आगामी प्रकाशन मे अपने सब सेहो पढ़ब। पुनः अध्यक्ष महोदय सभागारक अवस्था देखि बहुत कुपित अवस्था मे रहितो सब वक्ताक कहल गेल बात केँ संछिप्त समीक्षा करैत अपना लेल निर्धारित विषय ‘नयन न तिरपित भेल’ धारावाहिक जे ७० सँ बेसी भाग के निर्माण भेल आ डीडी बिहार पर प्रदर्शित सेहो भेल, तेकर यात्रा सुनौलनि। हमर एक गोट सुझाव जे मैथिली सिनेमाक दुर्दशा पर नियंत्रण लेल एकटा मजबूत संगठनक आवश्यकता अछि, तेकर सेहो ओ स्वागत कयलनि। एहि तरहें पहिल सत्र अन्त भेल आ फेर तुरन्त दोसर सत्रारम्भ भेल।

७. सत्रारम्भ – सत्र २ः अध्यक्षता सुप्रसिद्ध लेखक, फिल्मकर्मी, निर्देशक आ एक उत्कृष्ट समीक्षक-विश्लेषक रमेश रंजन झा केर छल, तहिना विमर्शीक तौर पर हिनका संग चर्चित पत्रकार पुष्यमित्र, बौलीवुड के चर्चित गीतकार राज शेखर, अभियानी सह मैथिली कवि राम कुमार सिंह, अपन लेखनी ओ वाणी दुनू मे शिष्ट-विशिष्ट शैलेन्द्र शैलीक सहभागिता छल। एहि सत्र मे सेहो सभक विषय निर्धारित रहनि आ सब कियो अपन वक्तव्य सँ श्रोता केँ मंत्रमुग्ध कय देलनि। एहि सत्र मे हम कनेक भोजन करबाक लेल बाहर चलि गेल रही। तेँ एकर सम्पूर्ण विश्लेषण बाद मे करब। लेकिन राज शेखर, राम कुमार सिंह एवं शैलेन्द्र शैलीक संग अध्यक्षीय सम्बोधन केँ समग्र मे सुनला सँ ई बुझायल जे मैथिली सिनेमा मे कार्ययोजना आ कार्यदलक निर्माण मे सुविज्ञता आ तकनीक संग मित्रता सँ स्थिति निश्चिते टा बदलत। एहि बीच नेपाल के विख्यात युवा निर्देशक पूर्णेन्दु कुमार झाक सम्मान सेहो कयल गेलनि। आर पुनः डा. रजनीश रंजन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन संग कार्यक्रमक समापन कयल गेल। एतहु डा. रंजनक सम्बोधन एकटा विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत कयलक। हुनक ई सम्बोधन सेहो बेर-बेर सुनय योग्य होयत से पूरा विश्वास अछि। पुनः ओ कथनी उपरान्त करनी पर ध्यानकेंद्रित करैत फिल्म सँ जुड़ल समस्त तकनीकी लोक सभक संग एकटा आन्तरिक बैसार करैत बहुत जल्द मैथिली सिनेमा केँ एकटा नव आयामक चौजुगी जिययवला उपहार देबाक कार्ययोजना दिश आ हम सब अपन विश्राम स्थल दिश विदाह होइत सहरसाक ई ऐतिहासिक आयोजन केँ स्मृति मे समेटि आइ ई अपन संस्मरण लिखल अछि। धन्यवाद।

हरिः हरः!!

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