शुभयात्रा काल मैथिलक मंत्र अछि- “ जय गणेश दुर्गा माधव

1892
  1. “गौरी के ललना, गणपति जी के, आरती उतारु ना, सोना के सुराही में, गंगाजल आनू, गणपति जी के चरण पखारू ना, गौरी के ललना……..” मिथिला जे शिव आ शक्ति के प्रिय स्थान मानल जाइत अछि जाहि ठाम सभक आंगन में माटिक महादेव बना कऽ पूजा पाठ कयल जाइत अछि आ सभक आँगन में आदिशक्ति जगदम्बा गोसाओन के रूप सभ मिथिला वासी के आँगन में शक्ति के रूप में स्थापित रहैत छैथि। समस्त मिथिला में शिव आ शक्ति के आराध्य स्थल भरल पड़ल अछि, ओहि ठाम शिव पार्वती के पुत्र दुलरुआ गणेश जी केर पूजा नहिं होअय इ कोना संभव अछि? मिथिला वासी जँ कतहु विदा होइत छैथि तऽ हुनक मुँह सँ अनायास निकलि जाइत छैन्ह “गणेश गणेश दुर्गा माधव” ।प्रथम पूज्य भगवान गणेश केर आह्वान के विना कोनो धार्मिक अनुष्ठान केर कल्पना नहिं कयल जा सकैत अछि। कोनो सांस्कृतिक कार्यक्रम के शुभारम्भ भगवान गणेश जी महाराज के आह्वान कयलाक उपरान्ते आरम्भ होइत अछि। सिद्धि विनायक मंगलमूर्ति भगवान गणेश जी केर मूर्ति मिथिलाक समस्त आँगन में माता लक्ष्मी केर मूर्ति के संग प्रतिस्थापित रहैत अछि । मिथिलाक सभ शिव अथवा शक्ति स्थल पर भगवान गणेश जी केर प्रतिमा अवश्य रहैत अछि। दुर्गा पूजा में भगवती के मूर्ति के संग संग कार्तिक आ गणेश जी केर प्रतिमा अवश्य रहैत अछि। बिवाह अथवा उपनयन के छपल कार्ड पर मंगलमूर्ति भगवान गणेश जी के फोटो निश्चित रूप सँ रहैत अछि। मिथिला आदिकालहिं सँ आस्थाक केंद्र बिंदु मानल जाइत अछि। एहि ठाम शापित भगवान के सेहो शाप सँ मुक्ति प्रदान करवाक हेतु उपाय कयल जाइत अछि। कातिक मास मे मिथिलाक आँगन- आँगन में शामा खेलेबाक प्रथा अछि जिनका विषय में कहल जाइत अछि जे भगवान कृष्णक श्राप सँ शामा चिरैई बनि गेल छलीह आ मुक्ति हेतु मिथिला आयल छलीह आ एहि ठाम मिथिलानी के द्वारा हिनक स्वागत सत्कार के रूप में गीत नाद आ सहानुभूति देखाओल जाइत अछि जाहि सँ चिरैई के योनि सँ हुनका मुक्ति प्राप्त भेलन्हि। समस्त भारतवर्ष में चौठचन्द्र के दिन चन्द्रमा के शापित मानल जाइत छैन्ह कारण गणेश जी हुनका श्राप देने छलखिन्ह जे गणेश चतुर्थी के दिन जे हिनका दिस तकथिन ओ शापित भऽ जयताह। इ शाप कृष्ण भगवान के सेहो लागल छलैन्ह। मिथिलावासी तखन भगवान गणेश जी केर पूजा पाठ कऽ कऽ चन्द्रमा के शाप मुक्त करवाक आग्रह करैत छैथि तखन भगवान गणेश मिथिला वासी के चन्द्र के संग संग हुनक पत्नी रोहिणी के सेहो पूजा करैत कोनो फल हाथ में लऽ कऽ चन्द्रमा के दर्शन करवाक आदेश दैत छैथि आ तें चौरचन पावनि समस्त मिथिला में खूब धुमधाम सँ मनाओल जाइत अछि। इ पावनि गणेश चतुर्थी के राति में मनाओल जाइत अछि। मंगलमूर्ति भगवान गणेश जी महाराज केर आशीर्वाद सँ समस्त मिथिला बासी चौरचन पावनि में गणेश जी के पूजा के संग संग शापित चन्द्रमा के पूजा करैत छैथि आ एहि प्रकारे चन्द्रमा के श्राप मुक्त करैत छैथि। – श्री कीर्ति नारायण झा