लेखक रमेश केर जन्मदिन पर अंजय चौधरीक विज्ञतापूर्ण व्यक्तित्व परिचय

व्यक्तित्व-कृतित्व परिचय

– अंजय चौधरी

फोटोः साभार मिथिला सृजन, लेखक रमेश सब सँ बाम भाग विहुंसैत मोबाइल निहारि रहल छथि, बीच मे आदरणीय लेखिका इला झा एवं सब दहिन छथि आदरणीया माला मैडम, लेखक रमेश केर धर्मपत्नी

नवम दशकक समकालीन मैथिलीक प्रगतिवादी जनचिंतनधाराक महत्वपूर्ण कवि, कथाकार, गजलकार आ समीक्षक, विमर्शक, सर्वाधिक प्रयोगधर्मी रमेशजी केँ जन्मदिनक हार्दिक शुभकामना आ प्रणाम।

डाॅ सुभाष चन्द्र यादव, डॉ शिवेन्द्र दास हिनक कवि कर्म’क समाजशास्त्र, व्यापक फलक, साहसिक स्वर ओ समकालीन दृष्टि पर ओ शिवशंकर श्रीनिवास हिनक गजल‌ महत्वपूर्ण टिप्पणी’क सौंदर्य ओहिना स्मरण अछि।
हिनक कथा कर्म पर मोहन भारद्वाज, भीमनाथ झा, डाॅ रामानंद झा रमण संँ विभूति आनंद, अशोक, शिवशंकर श्रीनिवास, तारानंद वियोगी, देवशंकर नवीन आर अनेक महत्वपूर्ण कथा पर केन्द्रित चर्चा मे हिनक कथा कर्मक वैशिष्ट्य पर गंभीरता संग चर्चा करै छथि। कुमार गंगानंद सिंहक जन्मशती पर मैथिली कथा पर केन्द्रित संगोष्ठी मे अनेकक आलेख मे महत्ता संग चर्चा मोन पडै़ अछि। रमेश नवम दशकक समकालीन मैथिली’क प्रगतिवादी जनचिंतनधाराक सर्वाधिक प्रयोगधर्मी ओ महत्वपूर्ण कवि-कथाकार-गजलकार, समीक्षक ओ विमर्शक छथि। चर्चित ओ साहसिक स्वर।
हम लिखैत छी/अहाँ मेटबैत रहू/अहाँक मेटौना घसा जायत/हमर लीखब बन्न नहि हैत/ओ हमर जीवन थिक/अहाँक मेटायव आइ ने काल्हि/होयबे करत बन्न/ओ अहाँक संस्कार नहि/दुष्टता थिक’ –
ठीके कहै तारानंद वियोगी रमेश’क सृजनात्मक जिद्दक आत्मविश्वास’क बहुत बहुत गहराइ धरि पसरल अछि।
हमरा मोन पड़ै अछि रमेश’क पहिल कविता संग्रह संङोर’क समीक्षा खिलतोड़ जमीनक रचना-समीक्षक देवशंकर नवीन कहै छथि रमेशक एहि संग्रहक पहिल कविता जाहि दर्पपूर्ण आत्मविश्वासक संग प्रस्तुत भेल अछि से सहजे चौंकबैत अछि । राजकमल चौधरी अपन कविताक संबंधमे लिखने छथि जे हुनक कविता कांचे रहि गेलनि, ओहि सँ धधरा नहि उठलैक ।रमेश एहिपर अपन प्रतिक्रिया व्यक्त करैत छथि – हमर एकटा सहधर्मीक कविता/जे रहि गेल छलनि काँच/डमरस हेबाक प्रक्रिया मे/पहुंच गेल छैक से आब/पाकि क’ महमहेबाक छैक तकरा/देबाक छैक/एकटा अपूर्व स्वाद ओकरा एहि सँ दूटा बात ध्वनित होइत अछि – पहिल, रमेश अपनेकेँ राजकमल क परम्पराक कवि मानैत छथि, अपूर्ण कार्य केँ पूर्ण करबाक इच्छा रखैत छथि, ई कम महत्वपूर्ण बात नहि अछि। रमेश ओहि लोक संग छथि जे अन्यायक विरोध मे लड़ैत अछि। ठीके रमेश’क कवि कर्म जीवन ओ समाज’क अनुभूति गहन संवेदना मे आम मनुक्खक जीवन संघर्ष ओ संवेदनाक स्वर बेसी मुखर अछि। ई वस्तुतः समकालीन दृष्टिक गहन अनुभूतिक निस्सन्देह नवम दशकक त प्रखर-मुखर स्वर-साहसिक, से हिनक कवि कर्म, कथा कर्म हो हिनक दुनू विधा पर गहन अध्ययन ओ अन्वेषण क जमीन पर मूल्यांकन मे जीवन सँ समाज धरिक गहन दृष्टि ओ जतेक बात ई दुनू मे करैत छथि से समाज लेल, से स्वयं मौलिक चिंतन ओ शैली मे, सामाजिक सरोकार ओ संवेदनाक मे लोक दृष्टि ओ अनुरागक मौलिक सौन्दर्य संग जीवन सँ समाज धरि कतेको सन्दर्भ मे मुठभेड़ करैत, जनपद सँ वैश्विक चिंतन, से नव भाव दृष्टि मे, व्यापक दृष्टि ओ समकालीन अन्वेषण, से दुर्लभ! हिनक कवि, कथा ओ गजल कर्म क ई अत्यंत महत्वपूर्ण कवि, कथाशिल्पी, एहू मे बेबाकपन, सामाजिक सरोकार ओ संवेदनाक ओ जाहि बात केँ उठबैत छथि ई वस्तुतः साहसिक काज छैक । भ्रम मे फँसैत लोक ‘क यथार्थ केँ उठबैत छथि। मोहन भारद्वाज कहै छथि रमेश राजनीतिक ओ सांस्कृतिक विद्रूपताक बात उठबैत सावधान करैत छथि । एहि सभ बात उठबैत कथा मे रमेश प्रतीकात्मक शैली मे अभिमुख कयलनि अछि, से हिनक फूट विशिष्टता थिक। रमेशक कथाक विशेषता ओहिठाम महत्वपूर्ण भ’ जाइत अछि। अशोक, शिवशंकर श्रीनिवास ओ प्रदीप (ई तीनू) आठम लेखन शुरू कएनिहार मुदा, से अशोक से आठम मे सक्रिय मुदा वस्तुतः ई तीनू नवम दशकक (1981क) बाद मे महत्वपूर्ण, फराक अस्तित्व निर्माण कएनिहार, हं एहि मे अशोक, शिवशंकर श्रीनिवासक आत्मीय मित्र शैलेन्द्र आनंद ओ विभूति आनंद दुनू आठम दशकक मध्य के बाद महत्वपूर्ण कथाशिल्पी विनोद बिहारी लाल, मनमोहन झा, राम भरोस कापड़ि, रेवती रमण लाल, रामधारीसिंह दिवाकर, अयोध्या नाथ चौधरी, शैवाल, राज, विनोद भारती, धीरेन्द्र कुमार, आदि क संग बेछप ओ अनिवार्य स्वर छथि। तारानंद वियोगी, चन्द्रेश, केदार कानन, नीता झा, विभा रानी, ज्योत्सना आनंद ओ सुस्मिता पाठक, नारायण जी, देवशंकर नवीन, शैलेन्द्र कुमार झा आदि विपुल आर पीढ़ी महत्वपूर्ण छथि रमेश। ई अभिनव दुष्यंत (नरेन्द्र), वैचारिक दृष्टि सोड़हआना कुलानंद मिश्र, रामलोचन ठाकुर, सुकांत, अग्निपुष्प, कुणाल ओ दुर्लभ हरेकृष्ण झाक (ओना हिनका सँ मैथिली मे पहिने सँ, हरेकृष्ण झा क्रान्तिधर्मी चिंतनक जकाँ असल ठाम पर क समगोत्री छथि नरेन्द्र ई वस्तुतः हिंदी गजल मे दुष्यंत कुमार ओ आदम गोंडवी चिंतनधाराक संवाहक से हिनक गजल कर्म क मूल मंत्र ओ सुवास मे सामाजिक सरोकार , संवेदनाक ओ समरसता, कुव्यवस्था ओ अन्याय के विरुद्ध विद्रोह, रमेश नरेन्द्रक बादक पीढ़ीक प्रखर गजलकार छथि)।
रमेश जी सर’क तीन दशक सँ निरन्तर पाठक छी, हम हिनक लेखन कर्म पर समग्र दृष्टिएँ ओ समग्र पोथी पर अध्ययन ओ अन्वेषण क जमीन पर स्वयंक पाठकीय प्रतिक्रिया अबस्से लिखब, से निर्मम, तुलनात्मक, तथ्यात्मक ओ न्यायपूर्ण, से विवेक ओ अनुराग संग, से सहमति ओ असहमति संस्कृति दृष्टिएँ। सर’क ई निम्नलिखित पोथी स्नेहोपहार भेटल अछि। हमरा पोथी कीनि क पढबाक प्रकृति अछि, मुदा से विराट समस्या सँ ग्रस्त छी। स्वाभिमान आत्मसंघर्ष कए रहल अछि। आर कतेको महत्वपूर्णक पोथी पहिने सेहो भेटल अछि आर तीन चारि दिन मे भेटल अछि। समग्र पर किछु काज कएल अछि, से जतेक बोध ओ दृष्टि अछि। शीघ्र एक एक क’ फेर सँ पढ़ सभ पर लघु चर्चा करबाक अछि। से तीन-चारि बरख मे जिनकर भेटल अछि। से ओहि सँ कम महत्वपूर्ण नइँ जे कीनि क पढ़ैत छी। दुनू एकरंग हमरा लेल।