ई १६ चक्रवर्ती राजा छथि भारतवर्षक निर्माता: भाग ४

मैथिली जिन्दाबाद पर पढू भारतवर्षक निर्माता १६ चक्रवर्ती सम्राटक खिस्सा
संकलन: अनिरुद्ध जोशी ‘शतायु’
अनुवाद: प्रवीण नारायण चौधरी
मैथिली जिन्दाबाद पर पढू भारतवर्षक निर्माता १६ चक्रवर्ती सम्राटक खिस्सा
मैथिली जिन्दाबाद पर पढू भारतवर्षक निर्माता १६ चक्रवर्ती सम्राटक खिस्सा

विक्रमादित्य : विक्रम संवत अनुसार विक्रमादित्य आइ सँ 2286 वर्ष पूर्व भेला। विक्रमादित्य केर नाम विक्रम सेन छल। नाबोवाहन केर पुत्र राजा गंधर्वसेन सेहो चक्रवर्ती सम्राट छलाह। गंधर्वसेन केर पुत्र विक्रमादित्य और भर्तृहरी भेला। विक्रमादित्य सम्राट बनलाह तऽ भर्तुहरी एक महान सिद्ध संत।

विक्रमादित्य केर प्राचीन नगरी उज्जयिनी केर राजसिंहासन पर बैसला। विक्रमादित्य अपन ज्ञान, वीरता और उदारशीलताक लेल प्रसिद्ध छलाह जिनकर दरबार मे नवरत्न रहैत छलाह। एहिमे कालिदास सेहो छलाह। कहल जाइत छैक जे विक्रमादित्य बड़ा पराक्रमी छलाह और ओ शक सबकेँ परास्त केने छलाह। उल्लेखनीय छैक जे अशोक और विक्रादित्य केर शासन सँ प्रेरित भऽ कय सम्राट अकबर सेहो अपना पास नवरत्न रखलनि।
उज्जैन केर विक्रमादित्यक समय सँ विक्रम संवत चलायल गेल छल। उज्जैन केर सम्राट विक्रमादित्य केर राज्य भारतीय उपमहाद्वीपक अलावा ईरान, इराक और अरब मे सेहो छल। विक्रमादित्य केर अरब विजयक वर्णन अरबी कवि जरहाम किनतोई अपन पुस्तक ‘शायर उर ओकुल’ मे केने छथि।
विक्रमादित्य सँ पहिने आ बाद आरो विक्रमादित्य भेला अछि जेकर चलते भ्रमक स्थिति उत्पन्न होइत अछि। उज्जैन केर सम्राट विक्रमादित्यक बाद 300 ईस्वी मे समुद्रगुप्त केर पुत्र चन्द्रगुप्त द्वितीय अथवा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य भेला।
विक्रमादित्य द्वितीय 7म सदी में भेला, ‍जे विजयादित्य (विक्रमादित्य प्रथम) केर पुत्र छलाह। विक्रमादित्य द्वितीय सेहो अपन समय मे चालुक्य साम्राज्य केर शक्ति केँ अक्षुण्ण बनेने रखला।
एकर अलावे एकटा आरो विक्रमादित्य भेला। पल्‍लव राजा जे पुलकेसन केँ परास्‍त कय मारि देलनि। हुनक पुत्र विक्रमादित्‍य, जे कि अपन पिता जेकाँ महान शासक भेला, गद्दी पर बैसला। ओ दक्षिण केर अपन शत्रुक विरुद्ध पुन: संघर्ष प्रारंभ केलनि। ओ चालुक्‍य केर पुरान वैभव केँ काफी हद तक फेरो प्राप्‍त केलनि। एते तक जे हुनक परपोता विक्रमादित्‍य द्वितीय सेहो महान योद्धा भेला।
विक्रमादित्य द्वितीय केर बाद 15म सदी मे सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ‘हेमू’ भेला। मानल जाइत अछि जे उज्जैन केर विक्रमादित्यक पूर्व सेहो एकटा और विक्रमादित्य भेल छलाह।
चन्द्रगुप्त द्वितीय : गुप्त काल केँ केर स्वर्ण काल कहल जाइत अछि। गुप्त वंश केर स्थापना चन्द्रगुप्त प्रथम केने छलाह। आरंभ मे हिनकर शासन केवल मगध पर छल, परन्तु बाद मे गुप्त वंश केर राजा संपूर्ण उत्तर भारत केँ अपना अधीन करैत दक्षिण मे कांजीवरम केर राजा सँ सेहो अपनहि अधीनता केँ स्वीकार करौलनि।
समुद्रगुप्त केर पुत्र ‘चन्द्रगुप्त द्वितीय’ समस्त गुप्त राजा मे सर्वाधिक शौर्य एवं वीरोचित गुण सँ संपन्न छलाह। शक सब पर विजय प्राप्त करैत ओहो ‘विक्रमादित्य’ केर उपाधि धारण केलनि। ओ ‘शकारि’ सेहो कहेला। मालवा, काठियावाड़, गुजरात और उज्जयिनी केँ अपन साम्राज्य मे मिलाकय ओ अपन पिताक राज्यक आरो विस्तार केलनि। चीनी यात्री फाह्यान हुनकहि समय मे 6 वर्ष धरि भारत मे रहला। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य केर शासनकाल भारतक इतिहास केर बड़ महत्वपूर्ण समय मानल जाइत अछि।
चन्द्रगुप्त द्वितीय केर समय मे गुप्त साम्राज्य अपन शक्ति केँ चरम सीमा पर पहुंचा देने छलाह। दक्षिणी भारत केर जाहि राजा सब केँ समुद्रगुप्त अपना अधीन केने छलाह, ओ सब अहु समय धरि अविकल रूप सँ चन्द्रगुप्त केर अधीनता स्वीकार करैत छलाह। शक-महाक्षत्रप और गांधार-कम्बोज केर शक-मुरुण्ड केँ परास्त भऽ गेला पर गुप्त साम्राज्य केर विस्तार पश्चिम मे अरब सागर तक और हिन्दूकुश केर ओहि पार वंक्षु नदी तक भऽ गेल छल।
गुप्त वंश मे अनेको प्रतापी राजा भेला – श्रीगुप्त, घटोत्कच, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त प्रथम (महेन्द्रादित्य) और स्कंदगुप्त। चन्द्रगुप्त द्वितीय केर काल मे भारत हर क्षेत्र मे उन्नति केलक। उज्जैन केर गंधर्वसेन केर पुत्र राजा विक्रमादित्य केर नाम सँ चक्रवर्ती सम्राट केँ विक्रमादित्य केर उपाधि सँ सम्मानीत कैल जाइत छल।
मौर्य वंशक बाद भारत मे कुषाण, शक और शुंग वंशक शासक केँ भारतक बहुत बड़का भू-भाग पर राज रहल। एहि वंश मे सेहो कईएको महान और प्रतापी राजा भेलाह। चन्द्रगुप्त मौर्य सँ विक्रमादित्य और फेर विक्रमादित्य सँ लैत हर्षवर्धन धरि कतेको प्रतापी राजा भेलाह।
क्रमश:…………