“देशक स्वतंत्रता लेल सभतरहक बलिदान देलाक बावजूद मैथिल समाज देश सँ अपन मिथिला राज्य नहि माँगि सकल।”

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— इला झा।   

एगारहम शताब्दीसँ मुस्लिम आक्राँता सब भारतवर्ष के लूट’ आब’ लागल। आगु चलिक यैह सब एतुका सुल्तान बनि बैसल। समय-समय पर अहि विदेशी आक्रांताक विरोध मे छिटपुट संघर्ष भेल, मुदा शनै-शनै प्रायः सम्पूर्ण देश गुलाम बनि गेल, जाहि मे मिथिला सेहो शामिल छल। आगु चलि भारत मुगलवंशक अधीन भ’ गेल आ ताहि पश्चात अठारहम शताब्दी मे अंग्रेज व्यापारी कम्पनी इस्ट इंडिया कम्पनी भारतकैं अपन अधीन क’ लेलक, आगु चलि हमसभ अंग्रेजी साम्राज्यक गुलाम भ’ गेलहुँ।
पहिने बिहार बंगालक भाग छल। तैं पहिनुका जे कोनो स्वतंत्रता लेल संघर्ष छैक से बंगालक इतिहासक भाग छलैक। मिथिला के राजा सभदिनसँ दिल्ली दरबारक भेंटस्वरूप कर दैत रहलाह आ अपन राजपाट चलबैत रहलाह। मिथिला समाज गरीबी आ दमनक शिकार होइत रहल।
आगु चलि बीसम शताब्दीक आरम्भ मे जखन स्वतंत्रता संग्राम जोड़ पकड़’ लागल ताहि समय मिथिलोमे अंग्रेजी शासन विरूद्ध गाम – घरमे सुगबुगाहट होब’ लागल। चुँकी ताहि समय मे बहुतौं कारोबारी आ विद्यार्थी बंगाल अबैत-जाइत छलाह तैं बंगालसँ स्वतंत्रता आन्दोलनक हवा मिथिलहु मे बेसी प्रसारित भेल। महात्मा गांधीक असरसँ बेसीतर देशभक्त कॉग्रेस मे शामिल भेलाह आ जन आन्दोलनक हिस्सा बनि गेलाह। एतहु विदेशी वस्त्र आ वस्तु बहिष्कार होब’ लागल। मिथिलाक सबसँ विख्यात क्रान्तिकारी खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर सँ छलाह।
हजारोक संख्या मे महिला – पुरुष सविनय अवज्ञा आन्दोलन करैत लाठिक मारि सहैत जेल जाइत रहलाह। मिथिलासँ बेतियाक सिद्धिनाथ मिश्र अहि मे अग्रणी छलाह जे १९४७ मे आजादीक समय बिहार कॉग्रेस के अध्यक्ष सेहो छलाह। १९४२ के आन्दोलनक समय युवा स्वतंत्रता सेनानीसभ मिथिला मे यातायात सेवा छिन्न-विछिन्न क’ देने छल, जाहि मे रेल पटरी उखाड़ब, टेलिफोन तार के ध्वस्त केनाइ इत्यादि शामिल छल। मिथिलाक कयेको विद्यार्थी पटना, कलकत्ता, बनारस आ प्रयागराजसँ जेना- तेना नाव आ पैदल चलि अपन गाम घुरल छलाह।एकटा मैथिल युवा जे अपन सासुर किशनपुर(पलामू) मे छलाह से ३६ दिन पैदल चलि गाम घुरलाह। अंग्रेज आन्दोलन विरोधी दमनतंत्र मे सैकड़ो मैथिल प्रताड़ित होइत रहलाह। किछु त’ जान बचाब’ लेल नेपाल पड़ा गेलथि। आन्दोलनकारी जयप्रकाश नारायण सेहो हजारीबाग जेलसँ भागलाक बाद मैथिल समाजक मददिसँ कहुना नेपाल पहुँचलाह। सुरेश झा के केना बिसरल जा सकैत छन्हि जे अत्यंत मेधावी छात्र छलथि परन्तु अपन पढ़ाई-लिखाई छोड़ि स्वतंत्रता संग्राम मे शामिल भ’ गेलथि। मिथिलाक सभ वर्ण, जाति, धर्मक लोक अपन परवाह नहि करैत स्वतंत्रता संग्राम मे अपना के झोंकि देलथि।
ओहि समय मे बिहार बंगालक हिस्सा छल तैं आरंभिक स्वतंत्रता संघर्ष बंगालक नामे चलि गेल। आगुओ चलि पूर्वी मिथिला मुख्यतः भागलपुर जिला मे छल तैं जिलावार आंदोलनकारिक सुचि देखल जाए त’ भागलपुर जिला मे सभसँ बेसी सुचिबद्ध आंदोलनकारी देखल जाइत छथि जखनकि जतेक नव जिला अछि ताहि मे प्रायः शुन्य पाओल जाइत अछि। मुदा ई बात सत्य नहि छलैक, हरेक गाम सँ आंदोलनकारी सभ छलथि। हजारो के संख्या मे हुनका लोकनि सँ जेल भरि गेल। कतेको छात्र देश पर न्योछावर रहथि। ताहि समय मे मिथिलाक बंगाल जँका अपन प्रबुद्ध प्रेस आ अखबार नहि छलैक तैं मिथिला मे भेल आंदोलन वा आंदोलनकारी सभक जानकारी नहि भेटैत अछि। बेसीतर मौखिक चर्चा वा बाद मे लिखल किछु पुस्तक पर आधारित अछि।
देश के स्वतंत्रता लेल सभतरहक बलिदान देलाक बादो मैथिल समाज देश सँ अपन मिथिला राज्य नहि माँगि सकल। जकर संघर्ष एखन धरि जारी अछि।

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