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“मिथिलाक धियाकमे हुनरक कमी कहियो नहि छल।”

— ममता झा। 

मिथिला में धियाक लेल रोजगारक स्थिति पहिने निक नई छल। आब समय बदलल विचार बदलल आ सरकारो अई पर ध्यान केंद्रित केलैन।
पहिलुका स्त्रीक स्थिति अत्यंत दयनीय छल। ओ दहलीज पार नई करैत रहैथ व्यवसाय त दूरक गप्प अई।जखन बात अवसर के अई त मिथिला के धिया पाछु नई छैथ। आब सब महिला मिलकअ सशक्तिकरण दिवस मनबैत छैथ। सब अप्पन उत्थान के लेल चर्चा करैत छैथ। मिथिलाक धियाक में हुनर के कमी कहियो नई छल। सब दिन सं मिथलानी गुणी छली। व्यवसाय कर के साधन उपलब्ध नई छलैन। आब समय बदलि गेल अई। घर गृहस्थीक आय व्यय बहुत बढ़ि गेल अई। महंगाई के कारण सब तबाह। सब महिला चाहैत छैथ पुरूखक कंधाक भार हलुक करैत किछ काज करि। आब मिडिया के सहयोग सं कोनो व्यवसाय प्रचार प्रसार आराम सं भ जायत अई। सरकारो लघु उद्योग के लेल मदद करैत अछि महिला सबके। समयानुसार परम्परा के बदलैत धियाक पढ़ाई लिखाई आ रोजगार के लेल सब चिन्तित रहैत छैथ। किछ लोग स्वरोजगार के लेल प्रेरित करैत छैथ। बहुतो धिया घर बैसल रंग बिरंग के मिथिला पेंटिंग , जनऊ काटब,पाग बनेनाइ, अगरबत्ती बनेनाइ, सिलाई-कटाई, रंग बिरंगक अचार, अदौडी, पापड़,अमोट, चरौरी, मखाना, इत्यादि घर बैसल बना क पठा रहल छैथ देश-विदेश भरि में।
आब ई व्यवसाय सं महिला खूब कमा क अप्पन आर्थिक विकास कऽ रहल छैथ। घरेलू चीजक माँग विदेश में बहुत अछि तां लक आब ई व्यवसाय बहुत फलि फूल रहल अई। जे पढ़ल लिखल छैथ ओ ऑनलाइन बच्चा सबके पढाबैत छैथ। बहुत घर बैसल रंग बिरंगक खेनाई के विडिओ बनबैत छैथ त क्यो गीतक बना क अप्पन कारोबार करैत छैथ।
मुखपोथी पर अप्पन अप्पन गुण के उजागर करैत रचनाक सृजन करैत छैथ। आब महिलाक स्थिति खूब मजबूत त नई भेल अई लेकिन पहिने जकाँ लाचारो नई छैथ। आब धिया सब जागृत भ रहल छैथ।

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