विमर्शः जनकपुर मे ३ दिवसीय साहित्यिक-सांस्कृतिक महोत्सवः स्त्री आ दलित विमर्शक आकर्षण

६ जून २०२३ । मैथिली जिन्दाबाद!!

विमर्श फाउन्डेशन द्वारा यैह ९ जून २०२३ शुक्र दिन सँ ११ जून २०२३ रवि दिन धरि तीन दिवसीय साहित्यिक-सांस्कृतिक महोत्सव ‘विमर्श’ केर आयोजन होमय जा रहल अछि। ई आयोजन मिथिला यात्री निवास, जनकपुरधाम, नेपाल मे होयत।

विमर्श कार्यक्रमक आरम्भ शुक्र दिन ९ जून २०२३ केँ सन्ध्या ४ बजे सँ कयल जायत। सब सँ पहिल सत्र ‘जनकपुरक समृद्ध ऐतिहासिकता आ वर्तमान – ईएह छी हमर जनकपुर’ सँ होयत। एकर संचालन प्रसिद्ध संगीतज्ञ एवं इएह छी हमर जनकपुर जेहेन चर्चित गीत केँ धून देनिहार बहुप्रतिभावान् व्यक्तित्व सुनील कुमार मल्लिक करता। एहि सत्र मे प्रसिद्ध गीतकार अशोक दत्त, प्रसिद्ध पत्रकार सुजीत कुमार झा, प्रसिद्ध युवा राजनीतिकर्मी सह संचारकर्मी बीपी साह, प्रसिद्ध सामाजिक अभियन्ता सह संचारकर्मी सरोज कुमार मिश्र, प्रसिद्ध मैथिली स्रष्टा एवं गोरखापत्र मैथिली पेज के सम्पादक मनोज झा मुक्ति, प्रसिद्ध कवियित्री सह राजनीतिकर्मी पूनम झा मैथिली, प्रसिद्ध मिथिलाक्षर अभियानी सह कवि विनीत ठाकुर आ प्रसिद्ध मुरलीवादक सह संचारकर्मी घनश्याम मिश्र वक्ताक रूप मे सहभागिता देता। एतेक रास प्रसिद्ध व्यक्तित्व सभक एक सत्र मे संयोग जुड़ब विमर्शक आरम्भ लेल सूर्योदय समान होयब सुनिश्चित अछि। उम्मीद करैत छी जे शक्ति प्लस शक्ति डबल शक्ति के सिम्पल जोड़ मात्र अनुकरण करैत सूर्योदय सुन्दर होयत आ एहि सँ पूरे दिन (कार्यक्रम) बनि जेबाक सुनिश्चितता बनत।

९ जून २०२३ शुक्र दिन सन्ध्याकाल ५ः३० बजे सँ कवि गोष्ठीक आरम्भ होयत जाहि मे डा. भीमनाथ झा, डा. राजेन्द्र विमल, बुद्धिनाथ मिश्र, अयोध्यानाथ चौधरी, रोशन जनकपुरी, देवेन्द्र मिश्र, दिगम्बर झा दिनमणि, रमेश रंजन, तारानन्द वियोगी, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, डा. अशोक मेहता, अजित आजाद, आनन्द मोहन, कमलेश प्रेमेन्द्र, पूनम मैथिल, प्रेम विदेह, उगना शंकर, डा. गायत्री झा, विजय दत्त मणि, गजेन्द्र गजुर, नरेश ठाकुर, प्रभु मिश्र, बैद्यनाथ पासमान, डा. अरुणाभ सौरभ, गुञ्जन श्री, बालमुकुन्द, विकास वत्सनाभ, रूपा झा, वन्दना चौधरी आदि कविता प्रस्तुत करता।

पहिल दिनक अन्तिम सत्र सांस्कृतिक सन्ध्या लगभग १ घन्टा समयावधि लेल राखल गेल अछि। संगीतक विशेष प्रस्तुति आ पारम्परिक रंगारंग सँ अलग होयबाक जानकारी आयोजक करौलनि अछि।

औपचारिक उद्घाटन १० जून २०२३ केँ भोरे ९ बजे कयल जेबाक जनतब भेटल अछि। उद्घाटनक लगभग १ घन्टा सत्रोपरान्त विमर्शक आगूक क्रम जारी होयत, ई जनतब विमर्श फाउन्डेशनक अध्यक्षा विभा झा करौलनि।

उद्घाटनक तुरन्त बाद १०ः१५ बजे सँ ‘अतीतक आंगन मे भविष्यक अरिपन’ विषय पर धीरेन्द्र प्रेमर्षिक संचालन आ डा. राजेन्द्र विमल, महेन्द्र मलंगिया, परमेश्वर कापड़ि, प्रेमलता मिश्र प्रेम, डा. भीमनाथ झा तथा सी के लाल समान वयोवृद्ध वरिष्ठजन लोकनिक सहभागिता मे आयोजित कयल जायत।

शनि दिनक ऐगला सत्र ११ः३० बजे सँ ‘मध्य मैथिलीक सहायक क्रिया रूप’ विषय पर डा. राम अवतार यादव केर एकल व्याख्यान राखल गेल अछि।

१२ बजे सँ १ बजेक बीच १ घन्टाक समयावधि मे राजनीतिक अस्तित्वः वर्तमान चुनौती आ भविष्यक रणनीति विषय पर विमर्श राखल गेल अछि। एहि सत्र के संचालन भोला पासमान करता आ विमर्शी के रूप मे जिबनाथ चौधरी, दिपेन्द्र झा, दीपक कुमार साह, लाल किशोर साह तथा मुक्ता यादव सहभागी रहता।

फेर १० जून २०२३ शनि दिन १ः४५ बजे अपराह्न सँ ‘मैथिली साहित्यक समकालीन परिदृश्य’ विषय पर अजित आजाद के संचालन एवं रामभरोस कापड़ि भ्रमर, कमल मोहन चुन्नू, रमेश रंजन, डा. रमानन्द झा रमण, डा. अरुणाभ सौरभ तथा बालमुकुन्द केर सहभागिता मे विमर्शक तेसर महत्वपूर्ण सत्र आयोजित होयत।

१० जून २०२३ शनि दिनक ऐगला सत्र २ः४५ बजे सँ प्रवीण नारायण चौधरीक संचालन तथा प्रेम कुमार झा, डा. भोगेन्द्र झा, शंभू नाथ झा, सुभाष बिच्छा, राज झा एवं रामध्यान मंडल केर सहभागिता मे ‘मिथिला मे उद्योगक सम्भावना आ चुनौती’ विषय केर अर्थ-चिन्तन विमर्श कयल जायत।

तदोपरान्त, ४ः३० बजे सँ विमर्श फाउन्डेशनक अध्यक्षा विभा झा द्वारा लिखल गेल पहिल प्रकाशित पोथी ‘नहि सीता, नहि’ केर विमोचन आ पोथी पर चर्चा रूपी विमर्शक आयोजन निर्धारित अछि। एहि सत्र के संचालन डा. निक्की प्रियदर्शिनी करती, वक्ताक रूप मे अयोध्यानाथ चौधरी, दिलीप कुमार झा, कालीकान्त झा तृषित, कंचना झा एवं अजित आजाद केर उपस्थिति रहत।

१० जून २०२३ शनि दिन ५ः३० बजे सँ ‘मैथिलीक समकालीन कथा साहित्य आ नव पीढ़ीक चुनौती विषय पर विमर्श कयल जायत। एहि सत्र के संचालन प्रसिद्ध लेखक रमेश रंजन झा द्वारा कयल जायत। एहि मे वक्ताक रूप मे कथाकार अशोक, प्रदीप बिहारी, लेखक रमेश आ गुञ्जन श्री सहभागिता देता।

दोसर दिनक सन्ध्याकाल ७ बजे सँ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होयत। एहि मे तीन टा भाग समाहित कयल गेल अछि। पहिने डा. कमल मोहन चुन्नू द्वारा साहित्य-संगीत, पुनः गुरुदेव कामत द्वारा विद्यापति गीत आ विभा रानी द्वारा ‘साध रोए केः खीसा कहे खिसनी सिरीज अन्तर्गत’ केर प्रस्तुति निर्धारित कयल गेल अछि।

तेसर आ अन्तिम दिन ११ जून २०२३ रवि केँ भोरे ९ बजे सँ स्त्री विमर्श राखल गेल अछि। “यम तरुआरिक धार मुरछि गेल जिनकर लाहक कंगना सँ” – एहि आगाज संग राखल गेल स्त्री विमर्श मे एक सँ एक लौह महिला लोकनिक सहभागिता सुनिश्चित कयल गेल अछि। लौह महिला डा. सबिता झा (पूर्व मे सबिता झा खान) संचालन करती आ लौहतत्त्व सँ परिपूर्ण महिला नेतृ यथा मंचला झा, रीता साह, मणिका झा, प्रियंका झा, कुमारी श्रेया, विभा झा, करुणा झा, रूपा झा, खुश्बू झा, मंजू यादव, संजू मंडल, विभा रानी आ रंजू यादव केर सहभागिता होयत। एकरा संयोग कहू कि प्रयोग, एहि मे महिला-लौहतत्त्व आ स्त्री-चिन्तनक विशेष कला सँ परिपूर्ण कोनो लौहपुरुष केँ नहि राखल गेल अछि। सामान्यतया मैथिलीक अन्य कार्यक्रम सब मे एहि तरहक पुरुषे द्वारा ‘स्त्री विमर्श’ कयल जाइत रहल अछि। तखन ई नेपाल थिकैक, एतय महिला शक्तिक अभाव नहि रहबाक कारण ई खास विमर्श सेहो भोरे ९ बजे सँ बहुत खास होयत से पुरोधा लोकनिक बीच चर्चाक विषय बनल अछि। जनकपुर के पिरारी चौक सँ लैत बारहबिघबा मैदान धरि एहि सत्रक विशेष चर्चा भ’ रहल अछि।

स्त्री विमर्श आ तेकर प्रत्युत्पादित निष्कर्ष उपरान्त ‘जलाधार संरक्षण’ केर विषय पूर्ण रूप सँ वैज्ञानिक आधार पर राखल जेबाक अन्दाज लागि रहल अछि। स्वाभाविक बात छैक जे मानव गृहस्थी मे स्त्री-पुरुष के साम्य संयुक्तता सँ सब किछु सफल भेल करैत छैक, तथापि साहित्य मे ई विधा किछु बेसिये लोकप्रियता हासिल कय लेबाक बाद माहौल मे जल के शीतलताक अनुभव होइते छैक। एहि सत्र के संचालन सुप्रसिद्ध संचारकर्मी अनिल कुमार कर्ण करता आ वक्ताक रूप मे विजय सिंह दनुवार, नागदेव यादव एवं उमाकान्त झा सहभागी रहता। ई ११ः४५ बजे सँ १२ः ४५ बजे धरि होयत। जल बिना जीवन सून! एहि सत्रक महत्ता एहि उक्ति सँ बुझि सकैत छी।

पुनः १ः३० बजे सँ प्रखर युवा कवि सह कार्यक्रम-संयोजक विकास वत्सनाभ केर संचालन मे ‘समृद्ध मिथिलाक परिकल्पना आ नवतुरियाक भूमिका’ विषय पर विमर्श कयल जायत। एहि मे छरेछाँट युवा सब मे रिंकू गायत्री मिश्र, बिन्देश्वर ठाकुर, संजोग देव, ऋतुराज ठाकुर ओ विद्यानन्द बेदर्दी सहभागी रहता। कार्यक्रमक अन्तिम दिन युवा जोश के मिश्रण सेहो एकटा प्रयोग बुझल जा सकैछ। वृद्ध सँ आरम्भ आ युवा सँ सम्पन्न!

लेकिन सम्पन्न होइ सँ पहिने पुनः २ः३० बजे सँ सुप्रसिद्ध स्तम्भकार आ राजनीतिक विषय के मधेशी वरिष्ठ पत्रकार चन्द्र किशोर (झा) केर संचालन मे “दुनू पारक मिथिलाक लोकसंबंधक पुनरावलोकन’ विषय पर विमर्श कयल जायत। एकर थीम छैक ‘सौंसे मिथिला एक्के टोल, जकर मैथिली मायक बोल’, एहि मे दुनू टोल सँ बड़-बड़ वक्ता लोकनिक सहभागिता निर्धारित कयल गेल अछि। रामरिझन यादव, चन्दा चौधरी, मैथिल प्रशान्त, किसलय कृष्ण आ अमरेन्द्र यादव जेहेन नामी-गिरामी कवि, कथाकार, अभियानी, संचारकर्मी लोकनिक सहभागिता रहत। ई सब दुनू टोल के नीक जानकार मानल जाइत छथि, संगहि नेपाल आ भारत बीच मित्रताक मूल सेतु निर्माण मे मिथिलाक भूमिका सँ सेहो खूब परिचित छथि।

सम्पन्न होइ सँ पहिने, ‘मैथिली साहित्य मे दलित चेतना’ नाम के विमर्श ३ः४५ बजे सँ राखल गेल अछि। ‘दलित’ शब्द वर्तमान राजनीति मे कतेक पैघ महत्व के बनि गेल अछि से किनको सँ नुकायल नहि अछि। मैथिली बिना देक्सी कएने कोना रहय! अर्थात् दलित चेतना नामक एहि सत्र मे विशेष रूप सँ दलित सहभागिता आ मैथिली साहित्य पर चर्चा केन्द्रित रहबाक सुनिश्चित कयल गेल अछि। एकर संचालन सुप्रसिद्ध अभियन्ता सह प्राध्यापक एवं वरिष्ठ संचारकर्मी श्यामसुन्दर शशि करताह, एहि मे सहभागिता डा. तारानन्द वियोगी, डा. अशोक मेहता, नित्यानन्द मंडल, रोशन जनकपुरी, चन्देश्वर सदाय एवं बहुत मुश्किल सँ ताकिकय निकालल गेला सम्भवतः आरो किछु विशिष्ट दलित लेखक-विमर्शीक नाम सेहो शामिल कयल जेबाक सूचना भेटल अछि। नाम प्राप्त नहि हेबाक कारण एहि समाचार मे नहि लिखि पाबि रहल छी।

बीच मे एकटा १५ मिनट के क्षेपक समान ‘मैथिलीक दुनिया आ दुनिया मे मैथिली’ विषयक विमर्श अछि, तदोपरान्त सन्ध्याकाल ५ बजे सँ विद्यापतिकृत ‘पुरुष परीक्षा’ केर अनुवाद (अनुवादक धीरेन्द्र प्रेमर्षि) केर लोकार्पण तथा परिचर्चा राखल गेल अछि जाहि मे डा. राजेन्द्र विमल, अवधेश पोखरेल ‘जनकपुरिया’, राम मनोहर साह, विनयभूषण दत्त आ स्वयं अनुवादक धीरेन्द्र प्रेमर्षि वक्ताक रूप मे सहभागी रहता।

आर, एहि महत्वपूर्ण आयोजन ‘विमर्श’ केर अन्तिम दिन, अन्तिम प्रस्तुतिक रूप मे सांस्कृतिक सन्ध्याक आयोजन राखल गेल अछि जेकर प्रस्तुति मिथिला नाट्यकला परिषद् जनकपुर द्वारा होयब निर्धारित अछि।

मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ हार्दिक शुभकामना!!