मिथिला मे सूर्यदेवता क महत्व जगजानित अछि

1864

आदिदेव दिनकर दीनानाथ भगवान भास्कर एहि दुनिया में प्रत्यक्ष देवता के रूप में नित्य दिन हमरा सभके भोरे भोर दर्शन दैत छैथि। समस्त दुनिया हिनक उर्जा पावि प्रफुल्लित आ पुष्पित रहैत अछि। हिनका विना एहि पृथ्वी पर जिनगी के कल्पना नहिं कयल जा सकैत अछि। अपन सभक मिथिला में सेहो सूर्य भगवान केर भव्य मंदिर परसा धाम मे अछि जे अपन स्थान अन्य सूर्य मंदिर के संग नीक स्थान प्राप्त कयने अछि। झंझारपुर आ फुलपरास अनुमण्डलक सीमा पर स्थित परसा धाम मन्दिर में भक्त केर भीड़ सालों भरि लागल रहैत अछि मुदा दिवाली सँ छैठ पावनि धरि एहि मन्दिर मे आवय बला श्रद्धालु केर भीड़ देखय बला होइत अछि। सूर्य केर एहि दुर्लभ प्रतिमा केर बारे में पुरातत्व विशेषज्ञ लोकनि केर मतानुसार ई मूर्ति दसमी सँ ग्यारहवीं शताब्दी में बनाओल गेल अछि।मिथिलाक धरती धार्मिक आ आध्यायत्मिक रूप सँ कतेक महत्त्व रखैत अछि इ परसा गाम स्थित सूर्य प्रतिमा के दर्शन कयलाक उपरान्त भेटि जाइत अछि। एहि ठाम केर पौराणिकता केर गाथा मूर्ति के रूप देखला सँ भेटि जाइत छैक। एहि मूर्ति के ध्यान सँ देखला पर कारी ब्लास्ट पाथर सँ निर्मित एहि दुर्लभ प्रतिमा के कारीगरी अत्यंत कुशलता पूर्वक कयल गेल छैक। ई मूर्ति १९८० ई. में खुदाई करवाक समय एहि गामक एकटा किसान के भेटल रहैक। किछु दिनुका बाद गामक लोक सभ मिलि क एकटा छोट छीन मन्दिर बना क एहि मूर्ति के ओहि मे राखि देलकै। ओकर बाद राज्यक तत्कालीन मुख्यमंत्री आ मिथिलाक प्रति संवेदनशील जगन्नाथ मिश्र एहि प्रतिमा केर अनावरण ग्रामीण आ प्रशासनिक उच्चाधिकारी केर उपस्थिति मे आम दर्शनार्थी केर दर्शन आ पूजन हेतु स्थापित कयल गेल। हुनकहि प्रयास सँ एहि स्थान केर काया पलट कएल गेल। मूर्ति केर महत्व कए ध्यान मे रखैत एहि ठाम पुलिस फोर्स केर व्यवस्था सेहो कयल गेल। परसा धाम स्थित सूर्य प्रतिमा अत्यंत आकर्षक अछि। मूर्ति केर मध्य भाग में कृति मुख केर बारे लिखल गेल अछि। हाथ में माला लेने प्रतिमा के एहि रूप सँ बनाओल गेल अछि जेना लागि रहल अछि जेना ओ उङि रहल अछि। प्रतिमा के मुकुट माला आ उपवित्त पहिराओल गेल अछि। दुनू हाथ में पूर्ण रूप सँ खिलल कमल फूल छैन्ह आ मूर्ति केर असली सुन्दरता सात घोङा बला रथ अछि जकर निचला हिस्सा में पेएर लग एकटा शिलालेख अछि जाहि पर सूर्य देव ठाढ़ छैथि। आसन के नीचला हिस्सा में उषा, प्रत्युषा, दंडा आ पिंगला केर प्रतिमा देखाओल गेल अछि। जानकार केर अनुसार एहन कलात्मतक मूर्ति यदा कदा स्थान पर भेटैत अछि। एहि मूर्ति के मनोकामना मूर्ति सेहो कहल जाइत छैक। श्रद्धालु अपन मनोकामना ल क एहि धाम मे उपस्थित होइत छैथि आ हुनक मनोकामना पूर्ण होइत छैन्ह एकर प्रमाण दिनानुदिन श्रद्धालु केर बढैत संख्या सँ लगाओल जा सकैत अछि। हजारों साल पुरान एहि मूर्ति केर दर्शन करवाक लेल लोक दूर दूर सँ अवैत छैथि। खास क छैठ आ मार्त्तण्ड महोत्सव एहि मन्दिर मे श्रद्धालु केँ तांता लागल रहैत छैक। छैठ पावैन मन्दिर परिसर में स्थित खूब सुन्दर एकटा पोखरि मे होइत छैक। एहि दिन मन्दिर के विशेष रूप सँ सजाओल जाइत अछि। एहि ठाम केर बारे में कहल जाइत अछि भगवान सूर्य जे काया केर देवता छैथि संगहि पुत्र रत्न प्रदान करय बला देव छैथि। एहि ठाम आबि क पूजा पाठ कयला सँ कतेको श्रद्धालु पुत्र रत्न केर प्राप्ति करैत छथि संगहि असाध्य बीमारी सँ मुक्ति पाबि स्वस्थ जीवन प्राप्त करैत छथि। परसा धाम केर सूर्य मंदिर में साल मे एक बेर राज्य स्तरीय महोत्सव केर आयोजन कयल जाइत अछि जाहि मे राज्य के अनेको गणमान्य मंत्री सांसद विधायक इत्यादि उपस्थित रहैत छैथि। एहि उत्सव के मार्तण्ड महोत्सव के नाम सँ जानल जाइत अछि। जय श्री सूर्यदेव। समस्त जगत केर रक्षा करू हे प्रभु 🙏🚩🙏

लेख श्रोत : कीर्ति नारायण झा द्वारा लिखित