कथा
– प्रवीण नारायण चौधरी
व्यंग्य प्रसंगः सम्मान आ सम्मानित
भारतक लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाइ मोदी सेहो ओतेक सम्मान पत्र प्राप्त नहि कयलनि जतेक हमर भाइ-बहिन/सखी-सखा सब पाबि गेलथि आ पेबाक क्रम मे छथि। हमर भैयाजी अमेरिकावला, गायिका बहिन दिल्लीवाली, सखी जनकपुरवाली, दीदी लहानवाली, साइर इटहरीवाली आ साढ़ू चम्पारणवला – हिनका सब लग सम्मान पत्रक ढेर लागि गेल अछि। कय टा अन्तर्देशीय आ लिफाफा संग तार मे पर्यन्त सम्मान भेटल, सम्मानित भेलहुँ आदि सन्देश पठा चुकल छथि। संयोगवश चम्पारणवला साढ़ू ओतय जाय के अवसर भेटल, सम्मानपत्र देखौलनि ताहि पर लिखल छल जे ‘ई चम्पारण सँ छथि, दिल्ली मे रहिकय मैथिली-मिथिला प्रति हिनकर योगदान बड असीम छन्हि कारण चम्पारण के निवासी रहितो ई मैथिली-मिथिलाक समर्थन करय जन्तर-मन्तर पर २-३ बेर धरना तक मे आबि गेल छथि, ई साधारण बात नहि भेलय, ताहि लेल हिनका सम्मानपत्र देल जा रहल छन्हि’। चाह पीबि आनन्दित भेलहुँ, साढ़ू सेहो कहलनि जे बड प्रसन्न छी, आब गाम मे किछु करब से सोचि रहल छी। चारि साल बीति गेल अछि, साढ़ू ई बात चारि बेर रिपीट कय चुकल छथि।
एक दिन गायिका बहिन अचानक सँ बंगलुरु मे भेटि गेल, कहलक “भैयाजी, अहाँ एतय, ब्रिगेड रोड मे?’ हम कहलियैक जे हँ, ब्रिगेड रोड के पब हमरा बड पसीन अछि। सेलर्स पब मे १९९७ मे बियर पिबय बैसल रही, वैह ताकि रहल छी जे कतय गेलय। बास्कोज-मेस्कोज दुइ टा म्यूजिकल आ डान्स फ्लोर सहितक पब सेहो गेल रही… बस आबि गेल छी वैह सब ताकय। फेर ओकरा सँ पुछलियैक जे तूँ एतय? कहलक जे हँ भाइजी, अहाँ सभक आशीर्वाद सँ हमर एतय सम्मान कयल जायत काल्हि मिथिला महोत्सव मे। हम कहलियैक जे सम्मान दयवला चिट्ठी देखो कनी, त चट बाजल जे नहि सबटा बात फोने पर भेल छय।
हमरा त सिगरेटक ल’त एहेन खराब जे एसी बार सँ निकलि स्मोकिंग जोन मे गेलहुँ त बहिनक संगे आयल बहिनोइ सेहो भेटलाह… सिगरेटक कश जोर सँ खींचैत ओ बजलाह जे कि कहू… परेशान छी हम। ई कलाकार घरवाली सँ ब्याह भेल से पहिने बड नीक लागल… लेकिन आब ई सम्मान पत्र लेबाक चक्कर मे महीने-महीने २५ हजार टका के एयर टिकट आ घुमाइ-फिराइ पर टका खर्च भ’ रहल अछि से बुझू जे आफद मचल अछि आर्थिक व्यवस्थापन करैत-करैत! हमहुँ धीरे-धीरे सिगरेट के कश लैत मस्तिष्कक पहिया केँ पूरे ७ चक्कर पृथ्वी केँ घुमबैत थाह पाबि गेलहुँ जे बहिन केँ सम्मानपत्र मे ओझाजीक माल कतेक टूटल होयत, एकटा आर सिगरेट देलियनि जे एकरो फुकिये दियौक… बेचार मिनटो नहि लगौलनि ओहो खत्म आ तेसर दिश ल’क लगौने देखि रहल छलाह। हम कहलियनि चलू भीतर नहि त फेर सम्मान सँ पहिने तूफान आबि सकैत अछि।
सखी त ब्लौक कएने छथि, कारण एक बेर बुझबय लगलियनि त मुंह सँ झाग-पोटा सब निकलि पड़लनि आ ५ साल भेल ब्लौक कय देलीह। तखन त हमरे कोन! एहेन-एहेन १६ हजार सखी हमरा पास छथिये, के पुछय य’ जनकपुरवाली केँ। लेकिन हिनकर खिस्सा सब बड सुनबैत छथि हमर बम्बइवाली सारि। कहय लगलीह जे कि कहू चौधरीजी, अहाँक सखी त एतबा बेर फोन कयलीह जे कोहुना विरार वला महोत्सव मे हमरो नाम घुसाउ, मंच पर बजाबय पड़तैक, माला पहिराबय पड़तैक, सम्मान पत्र संग आलुमुनियम वला लेकिन प्लेटिनम के पाइन चढ़ेलहा सम्मान पत्र दियए पड़तैक… हमरा संगे हमर ३ टा सखी आरो आओत, टिकट के स्पोन्सरशिप ओकरे सभक छैक, से ओकरो सब केँ कम सँ टिनही फ्रेम वला ३ टा मोमेन्टो कहबैक स्टेजे पर बजाकय हैन्ड ओवर करय लेल…! रुकबाक इन्तजाम अहाँ सब छोड़ि देबय… से हमर हब्बी के जुब्बी फ्रेन्ड ओतय एहि बेर रहब ५ दिन, वैह घुमेता-फिरेता जुहु के चौपाटी सब पर। एना-एना विरार महोत्सव मे ओ देशपान्डे हाथे सम्मान प्राप्त कयलीह। हम पुछबो नहि कयल जे एहि सम्मान पत्र मे मजमून कि छल, सेहो ओ अपने कहि देलीह जे हिनकर सम्मान पत्र मे व्योरा लिखल छल जे बड़ा क्रान्तिकारी महिला जे विज्ञान विषय मे ८९ मार्क्स मैट्रिक मे आ आइएससी मे ९१% आनि एखन विज्ञानक सूत्र सँ महिला सब लेल सैनिटरी नैपकीन घरे मे बनेबाक आ मासिक धर्म मे सुरक्षित रहबाक कैम्पेन चला रहल छथिन, ताहि वास्ते ई सम्मान भेटलनि।
एहि तरहें चेन्नई सँ हिन्दू अखबारक पत्रकार सँ बंगलुरु बार मे जे मित्रता भेल छल ओ कहलक जे ई तोहर अमेरिकावला भैया छियौक… हम कहलियैक हँ.. तोहर चेन्नई मे हिन्दू द्वारा कतेक पैघ सम्मान हिनका भेटलैक से पता छौक तोरा? ओ कहलक, यार चुप्पे रह। पत्रिका सभक सम्मानक गाथा बड पैघ छैक। एहि संसार मे आत्मरती लोक सब सँ बान्हल टैरिफ मे टका असुलि, विज्ञापन असुलि आ कोनो तरहक फेवर लयकय सम्मान पत्र देल जाइत छैक। कारपोरेट सोशल रिस्पोन्सिबिलिटी के खानापूर्ति सेहो भ’ जाइत छैक आ एम्हर सम्मानित लोक के संख्या बढा टका सेहो नीक आबि जाइत छैक। भैयाक सम्मान एहि लेल भेलनि जे ओहि कैम्पेन मे अपन बायोडाटा लिखिकय पठेलखिन आ मिथिला वला सम्मान केर लम्बा सूची अपन टेस्टिमोनियल्स के तौर पर रखलखिन। हम कनिकाल लेल सोच मे पड़ि गेलहुँ, अमेरिका मे रहैत छथिन ततबे लेल मिथिला मे सम्मान कयलक लोक जे भैया अमेरिका मे रहितो मैथिली-मिथिला लेल सोचैत छथिन से मामूली बात नहि भेलय। लेकिन आब त ई मिथिला वला सम्मानक फेहरिश्त देखा हिन्दू अखबारो के सम्मान लय लेलखिन! खैर! बधाई त बनिते छैक, भैया केँ बधाई देला सँ हमर कि घटत!
एम्हर साइर इटहरीवाली केँ इटहरी मे कोनो पहचान भले नहि बनलैक, लेकिन दुबई मे ओकरा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान भेटलैक आ ताहि लेल बड पैघ भोजो कयलक ओ। लहानवाली दीदी त ओझाजीक टीक धेने रहैत छन्हि… हुनकर स्कोर्पियो गाड़ी आ ड्राइवर ओझाजी केँ परियोजना कार्यालय पहुँचा देलक तेकर बाद दिदिये ओकर उपभोग करैत छथि। आइ मुशहर बस्ती, आइ डोमक बस्ती, केकरो कौपी, केकरो किताब, कतहु चाउरक बोरा… ओ बहुत करैत छथिन। ओझाजी आनलथि हँसोथिकय आ दीदी अपन लुटेलथि कैसिकय! नीक तालमेल मिलल छन्हि। हुनका सम्मान-तम्मान सँ बड मतलब नहि रहैत छन्हि, मुदा भाषण देबय नहि देतनि त मंच केँ फूँकिकय उखाड़ि देथिन। एक बेर बैरेज पर कोसी किनारे मोरा गाँव फिल्म के देखेबाक कार्यक्रम रहैक, भूत-प्रेत सब पच्छिम सँ पूब भाग आबि गेल रहैक…. स्थिति बड़ा भयावह रहैक। दीदी सँ फीता कटायल गेल रहैक। साढ़े सात हजार टका दीदी फूलमाला लेल देने रहथिन। फिल्म प्रदर्शनक बाद भूत-प्रेत सब आर बवाल कय देलकैक जे एहि फिल्म मे एकोटा हमरा सभक मोन लाइक के आइटम सौंग नहि, अंग प्रदर्शन करयवला नाच नहि… हम सब श्मसान मे रहयवला अहाँ सब जेकाँ शहरी छौंड़ी सब देखि नयन नहि जुड़बैत छी… हमरा सब केँ त एहने-एहने फिल्म, भोजपुरी फूहड़ नाच आदिक इन्तजार रहैत अछि। सन्नू कुमार जेहेन गायक हमरा सब केँ तृप्त करैत अछि। एहि बीच दीदी मुख्य अतिथि… क्रान्तिकारी भाषण दय मे नामी… गेलखिन भाषण दय ल’ आ भूत-प्रेत सब केँ नियम-कायदा सिखबय लगलखिन… बुझू जे कोहराम मचि गेल… अन्त मे कोसी देवी अपन प्रतापे कोहुना बचा-तचाकय लहान दिश भगेलखिन दीदी केँ।
आब कहबाक तात्पर्य अछि जे सम्मानक भूख मानवक स्वभाव होइत छैक। सम्मानक मानदंड अपन सेटिंग सँ भेल तेकर कम मान नहि छैक, बहुत पाय खर्च होइत छैक। आ, दोसर सम्मान जे समाज स्वतःस्फूर्त भावना सँ कोनो व्यक्तिक कृति केँ देलक, नहि देलक… लेकिन कृति जिबैत रहल त ओ स्वयं एकटा सम्मानक बात भेलैक। कृति वैह जिबैत छैक जाहि मे त्याग आ समर्पण रहैत छैक। अस्तु! कथा लम्बा रहैक। पात्र सब मे हेर-फेर आ तेकरा फेर मिलायब, बड कठिन काज छैक औ बाबू… लेकिन यथार्थे बुझब ई सब।
हरिः हरः!!