विचार
– संजय कुमार झा
प्रवासी मैथिल जे सभ गाम-घर छोड़ला, नौकरी चाकरी के क्रम मे शहर गेला, ओ सबटा अपना केँ शहरी बुझय लगलाह। मैथिल सभ तेज़ त होयते छथि, शहर गेला सँ आरो खूब तेजी सँ दोसरक नकल करय मे अव्वल बनि गेलाह। कनियाँ सभ जे गेलखिन शहर मे तैं जे बच्चा सभक जन्म परदेश मे भेलनि से सब पूराक पूरा ओहिठामक संस्कार आर संस्कृति अपना लेलाह। तैं नवतुरिया पीढ़ी जे मध्यम वर्गीय परिवार मे जन्म लेलनि, हुनका किछु ज्यादा इंटरएक्शन अंतर्मिलन ओहि ठामक समाज सँ मजबूरीवश आर जरूरतवश सेहो भेलनि, तैं जल्दी ओहिठामक संस्कृति केँ महत्वपूर्ण बुझैत ओहि मे रचि-बसि गेलाह।
जे मैथिल संभ्रांत छथि, नीक पदासीन, हुनकर धियापुता कनी सुरक्षित रहि गेलनि भाषाई संरक्षण मे। मुदा नाच, गायन आर डीजे पर नचनाइ, किट्टी पार्टी, बहुरंगी परिधान, हुनकर सभक जीवनक हिस्सा भ’ गेलनि। वैश्वीकरण आर बाजारीकरण केर बाजीगरी मे मैथिल आर मिथिला केर संस्कृति आ संस्कार पीसा रहल स्पष्ट छैक।
मीडिया खूब निकट लयलक एकदोसर केँ, मुदा समाजक अगुआ खुदे संस्कार छोड़ि रहल छथि। गामक सुशिक्षित, उच्च पदासीन आर पायवला लोक समाज मे मानक तय करैत छथि। हुनकर नकल मध्यवर्गीय परिवार सब करैत छथि। उपरे सँ संस्कृति तार-तार भ’ रहल छैक। नीकक नकल करबाक चाही। मुदा नक़ल सदिखन देखहंसाउत होयत अछि। परिवेश आर परवरिश दुनू केर संस्कृति आर संस्कार पर विशेष प्रभाव पड़ैत छैक। हम अप्पन गप्प कहैत छी। हमरा घर मे बज्जिका बाजय के प्रचलन छल। कनिया बजैत छलखिन भोजपुरी मिश्रित बज्जिका। हमर मां पिताजी सेहो बज्जिका। हम देखलहुँ बच्चा सब कोना नीक हिन्दी-इंग्लिश बाजत तैं घर मे हिन्दी बाजय के शुरुआत कयलहुँ। बच्चा सब हिन्दी-इंग्लिश त सीख लेलक मुदा अप्पन मायक भाषा पर कमांड घटि गेलैक। आब घर मे मैथिली आर बज्जिका के बोलबाला अछि। गलती त हमहीं कयने छलहुँ। बेटीक विवाह बेनीपट्टी भेल, सेहो बेटी आब मैथिली बजैत छथि। आर हमहुँ अपने सबसँ किछु-किछु सिखैत आबि रहल छी। लिखबाक प्रयास कऽ रहल छी।
घरक गार्जियन, गामक विशिष्ट लोक सब आर समाजक अगुआ सब जखन अप्पन आचार-विचार, रहन-सहन मे मैथिलीक आर मिथिलाक गौरवशाली विरासत केँ परोसता, तखन कल्याण सुनिश्चित अछि।
आब त बेटी सब सेहो पढ़ि-लिखि रहल छथि। अप्पन अधिकार आ कर्तव्य बुझि रहल छथि। आर्थिक आज़ादी एकटा नीक निर्णय निर्माण मे पैघ भूमिका सेहो निभा रहल छैक। तेँ अपसंस्कृतिक विषय गंभीर जरूर छैक मुदा समाधान सेहो बेसी दूर नहि छैक। जखन जागू तखन सवेरा। दहेज मुक्त मिथिला समूह भले फेसबुक पर अछि, परञ्च अपन मूल-मौलिक विषय सब चिन्तन-मनन करैत अछि से अनुकरणीय उदाहरण थिक। एहि पटल पर आबिकय लगैत रहैत अछि जे अप्पन माटि मे ठाढ़ छी आर अप्पन लोक सब सँ भाषाई गलबहियां आर विमर्श कय रहल छी। बिलासपुर छत्तीसगढ़ आयल छी मुदा अहि पोस्ट पर लगैत अछि जे मिथिला केर माटी में बिलास कय रहल छी।
प्रवीण भाइ के दृष्टि आर दृष्टिकोण भगवती जरूर सफल करथिन्ह आर अंजू झा सहित अनेकन विदुषी मिथिलानी पूर्ण जागृतिक संग सिनेह दैत छी एहि पटल केँ, एतबा नीक लिखैत छी, सत्ते बैदेही केर विशेष आशीर्वाद भेटबे टा करतैक। शुभाशंसा। जय मिथिला जय मैथिली!!