— आशीष अकिंचन।
सब स पहिने दहेज शब्द एकटा विष्ठा सन घृणित शब्द अछि।जेकर उच्चारण स दुर्गंध अबैत अछि।
आब ई आलेख मे ई शब्द हम नहि दोहरा सकैईत छी।एहि शब्दक सर्वनाम स एकरा चिन्हब।ई कुप्रथा शुरुआत तथाकथित कोनो पुरखा(बुजुर्ग) केने होयतथि। एखनो लड़काक(वर)कोनो मांग नहि रहैईत छन्हि। लड़काक माय वा बाबू के अपन मनोरथ मे ई लालसा रहैत छन्हि जे पोसलाहा बरद के कतेक मे बेची वा लड़कीवा स की टानि ली। अपन लड़का के बड़ाई वियाह स पहिने लड़कीवला लग तेना करताह जेना सर्वगुण संपन्न राम होईथ।नहि मांगयवला स्टाईल मे सब किछु मांगि लेताह।बहुतो संपन्न घर वाला लड़का के माय -बाबू,दादा-दादीक ई आदत बहुत पहिने स देखैईत अयलहुं अछि।आब कहू एहि मे लड़काक कोन दोष। पहिने के युग मे त लड़की के बिना देखने,लेन-देनक बात बूझने लड़काक गरदनि मे लड़की के बान्हि देल जायत छल।बाद मे लड़का के जखन पता चलैत छल वा कनिया आ कनियाक माय-बाप कहैत छलखिन जे अहांक वियाह मे एतेक गिनलहुं त बेचारा अपन वियाह के अपन आत्महत्या बुझैईत छलाह।मिलाजुला क पुरनका वा नवका चलन मे ई कुप्रथाक दोषी मात्र लड़काक माय-बाप वा हुनकर गार्जियन छथि।
रहल एकर निदानक उपाय त क्मश: लिख रहल छी।
१-लड़की के पैत्रिक संपत्ति मे बराबर के हकदार बनावी।
२-लड़की के लड़का स बेसी शिक्षित बनावी।
३-वियाहक मुद्दा पड़ लड़का-लड़की स सेहो राय विचार ली।
४-लड़का के लड़की वा लड़की के लड़का के देखा-सुना क वियाह कराबी।
५-विवाहक बाद लड़की पक्ष वा लड़का पक्ष एक दोसर परिवार मे कम टांग अड़ाबी।
इति।