महान् पुरुष डा. सर गंगानाथ झा व परिवार: एक छोट चर्चा

आलेख

– प्रकाश नारायण झा

dr. sir ganganath jhaमिथिलाक विभूति शिर्षक अंतर्गत मिथिला मंथनक सौजन्य सँ प्राप्त अहि दुर्लभ छविक लेल हुनका धन्यवाद दैत मित्रगण, अहि महान परिवार के विषय में उपलब्ध किछु जानकारी प्रस्तुत कय रहल छी ।

सर गंगानाथ झा (1871-1941) :- अपन समयक एक महान प्राच्यविद् छलाह । हिनक जन्म एवं लालन पालन ताहि युग में भेल छल जे संस्कृत शिक्षाक लहरि सँ ओतप्रोत छल । मुदा सर गंगानाथ झा अंग्रेजी माध्यम सँ शिक्षा प्राप्त कय प्रारम्भ में दरभंगा में आ बाद में काशी में अपन कार्यपथक अनुगमन कयलैन्हि । जी. थिवॉउट आ ए. वेनिस सन प्रख्यात प्राच्यविद् सँ प्रेरणा ग्रहण कय तथा महामहोपाध्याय चित्रधर मिश्र, शिवकुमार शास्त्री, जयदेव मिश्र एवं तात्कालिन एतादृश अन्य विद्वान लोकनि सँ मीमांसा, न्याय, स्मृति इत्यादि शास्त्रक अध्ययन कय ई अपन व्यक्तित्व आ कृतित्व कें तेहन बनाओल जे ओट्टो स्ट्राउसक शब्द में हिनका ज्ञानक गंभीरता सँ भरल प्राचीन पंडित आ विस्तृत उदार दृष्टिकोण सँ भरल अर्वाचीन विद्वानक एक सुखद संगम बनाए देलक । ई अंग्रेजी, संस्कृत, हिन्दी आ मैथिली में दर्जनक दर्जन ग्रन्थक रचना कयलन्हि । ई ख्यातिक पथ पर समुन्नत होइत गेलाह आ अन्ततः इलाहबाद विश्वविद्यालयक कुलपति पद केँ सुशोभित कयलैन्हि ।

हिनक संतति प्रवरक सन्दर्भमे ज्येष्ठ पुत्र डा. भवनाथ झा राज दरभंगाक अस्पताल में मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, द्वितीय बालक डा. अमरनाथ झा इलाहबाद विश्वविद्यालयक कुलपति, तेसर पुत्र डा. शिवनाथ झा उत्तरप्रदेश शिक्षा सेवा, चारिम बालक डा. विभूतिनाथ झा बिहार में उपसमाहर्ता आ पाँचम पुत्र डा. आदित्यनाथ झा भारतीय सिविल सेवा (आइ.सी.एस.) सन महत्वपूर्ण पद केँ सुशोभित कयलनि । हिनका लेल सर्वाधिक गौरवक विषय ई छलनि जे हिनक द्वितीय सुपुत्र डा.अमरनाथ झा ख्यातिक शिखर पर चढ़ैत कालान्तरमें विश्वविद्यालयक ओहि पद के सुशोभित कयलनि जाहि केँ
किछु समय पूर्व ई ख़ाली कयने छलाह ।

एकटा सन्दर्भ एहि परिवारक विषय में जे हम बाल्यकाल में पूज्य पिताश्रीक मुखारविंद सँ सुनने रही अहि क्रममें प्रस्तुत कय रहल छी । यद्यपि एहि में सत्यता अछि या लोकोक्ति मात्र, हम अनभिज्ञ छी, परञ्च सन्दर्भिकता अवश्यमेव अछि ।

हिनक छोट बालक आदित्यनाथ कें, परिवार में सबसँ छोट बेटा भेलाक कारण बाल्यकाल में अतिपरिवारिक स्नेह पवि, पढ़ाई लिखाई पर कम ध्यान रहैत छलैन । बहुत बेर सम्झौला बुझौलाक उपरान्त कोनो सुधार नहीं देखि एकदिन पिता अत्यंत आवेशित भय पुत्र के पिट लगलखिन्ह । क्रोधवश जखन पिताक प्रताड़ना अति होमय लगलैन आ हिनक माय केँ बर्दाश्त सँ बाहर भगेलैन् ओ बाध्यभय आगु बढ़ि पतिक हाथ रोकैत कहलथिन “एना कियाक लोहछिक मारैत छियैक, पढ़ाई पर ध्यान कम दैत अछि त कि भेलैक, कम्मो पढ़त तैयो कलक्टर मजिस्ट्रेट त बनवे करत “।


देखु, मातृवचनक शक्ति आऒर मिथिलानिक आत्मविश्वास, कालान्तर में आदित्यनाथ आई.सी.एस. के परीक्षा उत्तीर्ण कय बिभिन्न सम्मानित पदादि के सुशोभित करैत मिथिला के गौरव बढौलनि ।