विचार
२७ अप्रैल २०२३ । मैथिली जिन्दाबाद!!
समकालीन भारतीय भाषा परिधि मे मैथिली साहित्यः मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल २०२३ पर हमर दृष्टि
– मनोरमा रामसुन्दर झा
मिथिला समाजक पैघ साहित्यिक आयोजन मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल 2023 के आयोजन एहि वर्ष मायानगरी मुम्बई मे भेल।
कुल 17 टा बहुआयामी सत्र सँ समृद्ध ई साहित्यिक महोत्सव अनेक रूप सँ सार्थक आ विशिष्ट रहल जाहि मे 100 सँ बेसी विद्वान, साहित्यकार, रंगकर्मी आदि लोकनिक आवागमन सम्पूर्ण भारतवर्ष आ अन्य देश व समाज सँ भेल। अनेक पोथीक लोकार्पण संग प्रदर्शन सेहो भेल। साहित्य के संग फ़िल्म उद्योग व शिक्षा जगत केर मूर्धन्य लोकक आवागमन एहि महोत्सव केँ प्रतिष्ठित कयलक।
त्रि-दिवसीय साहित्यिक महोत्सवक एकटा विशेष पक्ष रहल कम्युनिटी डायलॉग जेकर मिथिला समाज मे बेसीतर अभाव देखल जाइछ। एकटा पैघ समागम मे लोकक आवागमन व हुनका सभक बीच व्यक्तिगत आ सामाजिक संवाद सम्भव भेल, मिथिला समाजक मध्य संवाद स्थापित भेला सँ विभिन्न संवादहीनताक अन्त आ रिक्तताक बखूबी पूर्ति सेहो करबाक प्रयत्न कयलक। समापन दिवस दिन सायँकाल में सांस्कृतिक सत्र केर आयोजन कय मैथिली संगीत परंपरा सँ सेहो दर्शक लोकनि केँ बढियां साक्षात्कार भेलन्हि।
चूँकि कार्यक्रमक आयोजन मायानगरी मुम्बई मे छल त स्वाभाविक रूप सँ एहि कार्यक्रम मार्फत दूर-दूर धरिक लोकक मध्य साहित्यिक विमर्श सँ निकलल सामग्री-सन्देश सभक संचाल लेल लाइव टेलीकास्ट संग कार्यक्रम उपरान्त भिन्न भिन्न मीडिया व लेख केर माध्यमे जनचेतना जागृतिक नीक काज भेल। सामाजिक संजाल मे कार्यक्रम उपरान्तक वृहत् चर्चा एहि बातक ठोस प्रमाण रखैत अछि। मुम्बई मे सम्पन्न उपरोक्त ३-दिवसीय साहित्यिक महोत्सव सचमुच करोड़ों मैथिल पहिचानधारी केँ अपन भाषा-साहित्य, रंगकर्म, फिल्मकर्म, लोककला, लोकसंस्कृति आदि अनेकानेक महत्वपूर्ण पक्ष पर गर्वानुभूतिक अवसर जुड़ेलक कहय मे कनिको अतिश्योक्ति नहि होयत।
एहि कार्यक्रमक सूत्रधार एवं संयोजक मैथिली लेखक संघ केर महासचिव श्री विनोद कुमार झा ‘सरकार’ कार्यक्रम सफलताक श्रेय सकल मैथिल समाज तथा मुख्य आयोजक “शुभ सीता फाउंडेशन” केँ देलनि आ एहेन आयोजन समाज लेल वांछनीय अछि सेहो कहलनि। शुभ सीता फाउंडेशनक संचालिकाक रूप मे बहुत विनम्रता सँ हुनकर एहि आशीर्वचन केँ आत्मसात करैत छी, आगू सेहो एहि तरहक यथासम्भव योगदान सँ अपन मिथिला, मैथिली, मैथिलत्वक संरक्षण, संवर्धन आ प्रवर्धन करैत रहबाक वचनबद्धता एहि लेख केर मार्फत सेहो व्यक्त करैत छी। ई हमरा सभक कर्तव्य बनैछ जे अपन व्यक्तिगत उद्यम आ विकास संग समाजक लेल सकारात्मक सोच राखिकय अपन जीवन मे यतासम्भव सामुदायिक विकास लेल सेहो काज करी।
एहि आयोजन सत्र मे मैथिली पत्रकारिता पर आधारित सत्र, कथा वाचनक सत्र, सीता केँ मिथिलाक अस्मिता रूप मे प्रस्तुत करैत कयल गेल महत्वपूर्ण विमर्श, समकालीन भारतीय भाषा परिधि मे मैथिली भाषा-साहित्यक स्थान, अन्तर्सम्बन्ध आदिक सत्र अत्यन्त प्रभावशाली रहल। एहि सत्र सभक संचालन करबाक हेतु प्रत्येक सत्र लेल विशेष मॉडरेटर छलाह जिनक सुपरिवेक्षण मे एक-एक सत्र गुणवत्तापूर्ण आ एकदम घड़ीक चलैत सुइया संग निर्धारित समय-सीमा मे क्रमिकरूपेण पूरा कयल जेबाक अद्भुत प्रस्तुति सब भेल।
हमरा लेल सर्वाधिक विशेष आ ध्यानाकर्षण करयवला सत्र छल ‘समकालीन भारतीय भाषा परिधि मे मैथिली साहित्य’ जाहि में अंग्रेजी, गुजराती, हिन्दी, मराठी आदि अनेकों भाषाक प्रतिनिधित्व करनिहार चर्चित विद्वान लोकनि द्वारा अपन-अपन भाषाक जनप्रियता व ओकर संवर्धन लेल कयल जा रहल काज सभक वृहत् चर्चा राखल गेल छल। गुजराती प्रतिनिधि भाषाक प्रासंगिकता व बाल्यावस्था सँ व्यवहारिक प्रयोग पर विशेष टिप्पणी कयलनि जे केना मातृभाषा आ अन्य भाषाक प्रयोग अपन धियापुताक मध्य मे करैत रहला सँ ओकरा सभक संग समग्र भाषा पर सेहो दूरगामी प्रभाव पड़ैत अछि। तहिना रंगमंच या कथावाचन द्वारा मातृभाषा केँ सहज बना कय ओकर अस्मिता केँ अक्षुण्ण राखल जाइत अछि सेहो चर्चा ओ विद्वान लोकनि कयलनि। मराठी प्रतिनिधि अपन भाषा प्रसार हेतु रंगमंचक प्रयोग आदि पर अपन वक्तव्य रखलनि जे एखनहुँ मराठी रंगमंचक विभिन्न महत्वपूर्ण प्रस्तुति सब लोक लेल पूर्ण निःशुल्क राखिकय बेसी सँ बेसी दर्शक लोकनि अपन भाषा सँ जुड़ैत छैथ आ भावनात्मक संबंध सेहो बनैत छन्हि, संगहि हुनका लोकनि एहि महोत्सव मे अपन सबटा बात मराठी मे बाजलाह जे बहुत प्रशंशनीय लागल। नेपाल सँ आयल भाषा प्रतिनिधि ओहिठाम सामाजिक आ सरकार द्वारा मैथिली भाषाक संवर्धन आ संरक्षण लेल प्रयास केर विशेष चर्चा कयलनि, ओ नेपाल आ भारत केर राज्य सम्पोषणक तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कयलनि। अंग्रेजी प्रतिनिधि द्वारा भाषाक प्रयोग बाल्यकाल सँ भेला सँ केना ओ व्यक्ति आ समाजक अभिन्न अंग बनैत अछि ताहिपर वक्तव्य राखलनि।
एहि विशेष सत्र मे मैथिली भाषाक प्रतिनिधिक रूप मे हम भाषाक प्रसार व प्रवाह केर आभाव के किछु सूक्ष्म कारण केँ सेहो इंगित कयलहुँ जे मातृभाषाक व्यवहारिक प्रयोग सँ लोककेँ कम आकलन आ आंग्ला भाषाक प्रयोग सँ बुद्धिजीवी हेबाक जे टैग समाजक व्यवहार मे आयल अछि ओकर परिणाम अछि जे मैथिली भाषाक बजनिहार व्यक्ति मे ह्रास भ’ रहल अछि, खासकय एहेन व्यवहार केर प्रयोग असमानतायुक्त समाज मे बेसी होइत देखल जा रहल अछि। दोसर, जे मैथिली भाषा सरकार द्वारा उपेक्षित रहला सँ भाषा आधारित रोजगार सृजन मे तथा सार्वजनिक काज मे सहभगिता नगण्य भ’ रहल अछि। जे भाषाक ह्रास केर प्रमुख कारण अछि।
3 दिवसीय एहि दिव्य समागम अनेक प्रकार सँ मैथिली समाजक मध्य प्रश्न सेहो राखि क’ गेल आ संगे एकटा विश्वास सेहो स्थापित केलक जे भाषाक समृद्धि समुचित प्रयास सँ पुनः शिखर पर पहुँचत, एकर पैघ संभावना अछि। संगहि वर्तमान समय मे व्याप्त जे समस्या सब अछि ओहि विषय दिश ध्यान देबाक आवश्यकता पर सेहो संकेत कयलक।
(नोटः लेखिका, मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल २०२३ मुम्बई केर मुख्य प्रायोजक ‘शुभ सीता फाउन्डेशन’ जे ‘मैथिली’ फिल्म केर निर्माता सेहो थिक, तेकर संचालिका थिकीह। एहि फेस्टिवल केर सफल आयोजन मे हिनकर समर्पित योगदान, समय, सोच आ संसाधन संग स्वयं पूरे फेस्टिवल मे उपस्थित रहि एक-एक बात केँ ढंग सँ पूरा करय मे एक-एक घड़ी व्यस्त रहलीह। नमन योग्य योगदानक जतेक प्रशंसा कयल जाय से कम अछि। हिनका सँ आम मैथिल समाज केँ प्रेरणा लेबाके टा चाही। – प्रवीण नारायण चौधरी, सम्पादक)