#लेखनी के धार: यात्रा मिथिला के धर्म स्थान के

दहेज मुक्त मिथिलाक साहित्यिक अभियानः लेखनीक धार अन्तर्गत २० अप्रैल २०२३ ‘मिथिला यात्रा संस्मरण’ पर संकलित आलेख

#लेखनी के धार: यात्रा मिथिला के धर्म स्थान के

– किरण झा

बाबा धाम – बाबा धाम हम अपन बड़का बौआ के मुंडन कर’ गेल रही। ओकर मानल रहय। ट्रेन स यात्रा केलौं। दिन मे विश्राम केला के बाद सांझ मे बाबा के दर्शन कर’ गेलौं, बहुत आराम स और नीक जेकाँ दर्शन भेल। तखने मोन मे ख्याल आयल लोग कहय छै बहुत भीड़ रहय छै एतय, मगर झूठ बात कहय छय। ई अहंकार के जन्म भेल छल हमर मोन मे। दोसर दिन बौआ के मुंडन संस्कार भेल अचानक लागल जनसैलाब मंदिर मे उमड़ि गेल रहे। ओइ दिन देवउठान एकादशी रहय। पंडा हमरा सभ के घेरिकय मंदिर के अंदर ल जाय लागल। बीच मे पहुंचला के बाद लागल आब प्राण नै बांचत, हमरा बेचैन देखि हमर दुनू बौआ सेहो कान लागल ई सेहो परेशान, सभ कहलक आब अहाँ पाछू नै जा सकय छी, बाबा के दर्शन करय पड़त। खैर बाबा के दर्शन होइत सब दुःख बिसरि गेलौं। मगर मंदिर के परिसर मे बिल्कुल ओइ समय सुविधा उपलब्ध नै रहैक, लाइन के व्यवस्था रहबाक चाही।

उच्चैठ भगवती – अगिला साल उच्चैठ भगवती करीब दस बजे पहुंचल रही। भौजी और भतिजा साथ रहथि। हम जे कल्पना केने रही साफ-सुथरा भगवतीस्थान के से बिल्कुल नहि रहय। कुमारिये मे गेल रही, बिल्कुल शांत और साफ रहय मंदिर तहिया। ओइ समय जाय के साधन कम रहैक त लोक बहुत कम पहुंचैत छल। एहि बेर पंडा सब केँ बहुत मनमानी देखलहुँ। मंदिर के अंदर बिल्कुल नहि जाय दैत छै। अहाँ हमरा साथ चलू और पैसा दिय’, हमरा त बहस भ’ गेल। सब पंडा मिलल। मंदिर के चारू दिश थाले-थाल आर गंदगी, भगवतीक दर्शन के नीक व्यवस्था नै। एतेक नीक तीर्थ स्थान केँ एहेन दुरावस्था-अव्यवस्था देखि मोन बहुत दुःखी भ’ गेल।

पुनौरा धाम – एतय हम दुइ बेर गेल छी। एक बेर पिताजीक संग और फेर अगिला साल। ओतय मंदिर के आसपास बिल्कुल नीक व्यवस्था अछि। बेसी भीड़ आ संकुचित गली, आदमी पर आदमी के भीड़ देखलहुँ। बाहरे स दर्शन कय आबि गेलौं।

मिथिला मे एक स बढ़िकय एक तीर्थस्थल अछि, मगर सरकार के अनदेखी और घुसखोरी के चलते एतेक नीक तीर्थस्थान के खराब हालत अछि।