दहेज मुक्त मिथिलाक साहित्यिक अभियानः लेखनीक धार अन्तर्गत २० अप्रैल २०२३ ‘मिथिला यात्रा संस्मरण’ पर संकलित आलेख
“स्वर्ग सँ सुंदर मिथिला धाम, मंडन अयाची राजा जनक के गाम”
– कीर्ति नारायण झा
मिथिला के स्वर्ग सँ सुंदर धाम कहल गेलैक अछि आ एहि स्वर्ग में देवी देवता के सभ ठाम बास छैन्ह। मिथिलाक सभ आंगन में एकटा कऽ गोसाओन के घर अवश्य रहैत छैक जाहि ठाम साक्षात भगवती गोसाओन के रूप में स्थापित भऽ परिवार आ समाज केर रक्षा करवाक लेल उपस्थित रहैत छैथि। मिथिला मे शिव आ शक्ति केर बास समान रूप सँ रहैत छैन्ह। भगवान भोलेनाथ तऽ मिथिला के अपन दोसर घर बुझैत छैथि, जखन – जखन कैलाश सँ मोन भरि जाइत छैन्ह ओ मिथिला में आबि जाइत छैथि। मिथिलाक प्रायः सभ दिशा में भगवान भोलेनाथ केर मन्दिर अछि जाहि मे प्रमुख अछि – कपिलेश्वर नाथ , विदेश्वरनाथ, सिंहेश्वरनाथ, कुशेश्वर नाथ, सिंहेश्वरनाथ, भुवनेश्वर नाथ, झालेश्वर नाथ, जागेश्वर नाथ, उगना महादेव इत्यादि।
सर्वविदित अछि जे महादेव के मिथिला एतेक प्रिय छैन्ह जे ओ अपन भक्त महाकवि विद्यापति के ओहिठाम हुनक सेवा करवाक लेल स्वयं उगना बनि कऽ उपस्थित भऽ गेल छलाह आ आजीवन हुनक सेवा में लागल रहवाक इच्छा छलैन्ह परन्तु पार्वती द्वारा अपन दूत क्रोध, पिपासा आ अभिमान के पठा कऽ उगना बनल महादेव के ओहिठाम सँ महाकवि के सेवा सँ दूर कयलनि। आइ मधुबनी जिलाक भवानीपुर गाम में उगना आ विद्यापति के कथा जीवंत अछि। तहिना कपिल मुनि द्वारा स्थापित शिवलिंग कपिलेश्वर स्थान के नाम सँ समस्त मिथिला में विख्यात अछि।
भगवान राम के छोट पुत्र कुश के द्वारा स्थापित बाबा कुशेश्वर नाथ मिथिलाक अत्यंत पवित्र शिव मन्दिरक रूप मे विख्यात अछि। बाबा भुवनेश्वर नाथ मन्दिर मधुबनी जिलाक भगवतीपुर गाम में अयाची मिश्र आ हुनक परिवार द्वारा पूजनीय शिव स्थल के रूप में विख्यात अछि जाहि ठाम कहल जाइत छैक जे शिवरात्रि दिन एक पहर के लेल भगवान भोलेनाथ एहि ठाम उपस्थित रहैत छैथि एकर अतिरिक्त मिथिला देवी स्थान के लेल सेहो विख्यात अछि।
भगवती स्वरूपा जगत जननी जानकी के जन्मभूमि होयवाक कारणे मिथिला में पुनौराधाम, उच्चैठ भगवती, श्यामा माय, भद्रकाली मन्दिर, नवादा भगवती, उग्रतारा स्थान, परमेश्वरी स्थान, राज राजेश्वरी डोकहर, छिन्नमस्तिका उजान इत्यादि अनेकानेक भगवती केर स्थान अछि जाहि ठाम बारहो मास भक्त लोकनि केर भीड़ लागल रहैत अछि।
मिथिला क्षेत्र सभ दिन सँ प्रशासनिक असहयोगक कारणे एहि धार्मिक स्थल सभक विकास बाधित रहल अछि। भक्त आ भगवान अथवा भगवती के बीच के सम्बन्ध ओना मन्दिरक विशाल आकार सँ नहिं होइत छैक मुदा दर्शनार्थी के सुविधा, स्थान के विषय में जानकारी इत्यादि बहुत आवश्यक होइत छैक। भगवान आ भक्त में सभ सँ पैघ विश्वास केर सम्बन्ध होइत छैक। भक्त के मोन मे बैसि जाइत छैक जे हमरा भगवान में शरण में पहुंचला सँ सभटा समस्या के समाधान भऽ जाएत जकर एकटा उदाहरण हम अपन आँखि सँ देखने छी।
हमर छोट बालक के मुंडन बाबा धाम में भेल छलैक, ओ जाहि दिन मुंडन हेतैक ताहि राति में ओकरा बहुत बेसी जर भऽ गेलैक, शरीर बहुत बेसी गर्म। आब सभके चिंता होमय लगलैक जे एहि बुखार में मुंडन कोना हेतैक। मन्दिर के भीड़ सभके बूझल मुदा कोनहुना कऽ बाबा के मन्दिर में प्रवेश कयलहुँ। केस कटयवाक काल ओ बहुत कनैत छल मुदा कोनहुना कऽ ओहिठाम सँ बाबा के कामना लिंग लग पहुंचलहुँ, हमर कनियाँ बच्चा के हमर कोरा सँ लऽ कऽ बाबा के लिंग लग राखि देलखिन्ह आ कहलखिन जे बाबा, आब अहीं सम्हारु एहि बच्चा के। सभ हल्ला करय लगलैक जे बच्चा के बाबा के शिवलिंग लग डूबा देलकै, किछु कालक उपरान्त बच्चा के उठा कऽ बाहर निकाललाक बाद देखैत छी जे बच्चा के बुखार समाप्त भऽ गेलैक, शरीरक तापमान सामान्य। ओहि दिन अनुभव कयल बाबाक प्रताप के। जय मिथिला आ जय मिथिलाक देवी देवता 🙏