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उर्विजा द्वारा जानकी साहित्य कला महोत्सव दिल्ली मे सम्पन्न भेल

२५ अप्रैल २०२३ । मैथिली जिन्दाबाद!!

मैथिली भाषा-साहित्यक क्षेत्र मे उन्नति-प्रगतिक नित्य नव आयाम बनेबाक विभिन्न कार्यक्रम केँ निरन्तरता दैत काल्हि सोम दिन दिल्ली मे सम्पन्न एक अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम पर श्री अरुण कुमार मिश्र द्वारा फेसबुक मे पोस्ट कयल गेल अछि जेकर सम्पादित रूप प्रस्तुत अछि।

रिपोर्टः साभार अरुण कुमार मिश्र, दिल्ली

विगत किछु बरखमे दिल्लीक मैथिल समाजमे मिथिलाक संस्कृति, मैथिली भाषा आओर साहित्यक प्रति अनुराग, प्रेम आ समर्पणमे जे उत्तरोत्तर वृद्धि देखल जा रहल अछि से अन्यत्र कमे होइत देखाइत अछि। दिल्लीक मिथिला-मैथिलीक आयोजनक कुम्भस्थली कहल जाय त’ अतिशयोक्ति नहि होयत। दिल्लीमे मैथिलक संख्या आन महानगर सँ बेसी छैक आ से सत्ताक केंद्र, स्वास्थ्य, शिक्षा आओर प्रतियोगी प्रशिक्षार्थीक अध्ययन लेल विशेष सुविधाक कारणे, प्रवासी मैथिलक सुभितगर आश्रय स्थली बनि गेल अछि।

एतय विभिन्न क्षेत्र मे आयोजित विद्यापति समारोहक अतिरिक्त आर बहुतो तरहक कार्यक्रम सब होइत रहैत छैक। गीत संगीत, लोकनृत्य, रंगकर्म, कवि गोष्ठी, कथा गोष्ठी आदि विभिन्न प्रस्तुति ओ परिचर्चा सब देखय-सुनयमे अबैत अछि। किछु संस्था एहि कार्यमे निरंतर सक्रिय छथि आ अपन सदस्य सभक सहयोग सँ एहि तरहक आयोजन सबकेँ क्रियान्वित करैत रहैत छथि। एहि क्रम केँ निरन्तरता दैत काल्हि सम्पन्न एक भव्य साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम जाहि मे हम स्वयं सहभागी रही तेकर रिपोर्ट राखि रहल छी।
जानकी साहित्य कला महोत्सव, दिनांक: २३ अप्रैल २०२३ (रबिदिन) – आयोजक सशक्त मैथिलानी ‘उर्विजा’ जेकर संस्थापिका आ संयोजिका मैथिलीक जानल-मानल कवियित्री-लेखिका सविता झा ‘सोनी छलथि, हिन्दी भवनमे समय सँ कनिक विलम्ब सँ प्रारम्भ भेल। दीप प्रज्ज्वलन आ गोसाउनिक गीत “जय जय भैरवि” केर सामुहिक गान सँ सभागार अनुगुंजित होइते समस्त उपस्थित मैथिलजनमे मैथिलत्व जागृतिक अनुभूति पसरि गेल। ई कार्यक्रम कुल चारि सत्रमे बांटल गेल छल जकर पहिल सत्रक नाम छल “महिला विमर्श”।
१) महिला विमर्श
एहि सत्रक संचालिका मधुलता मिश्र आ अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा. शेफालिका वर्मा कयलनि। मंचस्थ अतिथिमे डा. सविता झा, श्रीमती कुमकुम झा आ डा. अनीता झा ‘नीतू’ छलीह। डा. ममता ठाकुर कुनू कारणवश उपस्थित नहि भ’ सकलीह। चर्चामे अंजना झा, मंजूषा झा, मंजू मिश्र, अनुराधा झा, सोनी चौधरी, आदिक वक्तव्य प्रस्तुत भेल। वक्तृ लोकनि महिला सशक्तिकरण लेल शिक्षा, स्वावलंबन आ स्वरोजगार पर जोर देलीह। महिले महिलाक सम्मान मे आगू रहथि सेहो विमर्शमे आयल।
प्रमुख वक्ता मध्य सँ कुमकुम झा सीताक आदर्शक सुन्दर चर्चा प्रस्तुत कयलीह। ओ ‘सीता पुनि बाजलि’ पोथीक संदर्भ दैत महिलाक जीवनक संघर्ष पर प्रकाश देलीह। सीता राजाक पुत्री आ राजाक पुतोहु रहितहु कोना अपन पतिक कठिन वनवास मे हुनक अनुगामिनी बनि कष्ट सहबाक निर्णय लेलीह, एहि सँ वर्तमान नारी समाज केँ प्रेरणा लेबाक कथन ओ रखलनि। डा. सविता झा अपन वक्तव्यमे कहलनि जे महिला सशक्त छथि आ छलीह तेकर आत्मबोध सब महिला केँ हेबाक चाही। प्रत्येक महिलाकेँ अपन महिला हेबापर गर्व करबाक चाही। महिलामे सृजनात्मक गुण विद्यमान रहैत छन्हि आ एहि विशेष गुण लेल हुनक विशेष पहिचान बनैत छन्हि। पुरुषोकेँ महिले जन्म दैत छथि तेँ पुरुषवर्ग सँ कोनो तरहें महिला कम नहि होइत छथि, हुनकर कहब भेलन्हि। डा. अनीता झा ‘नीतू’ अपन वक्तव्यमे महिला केँ आगू अनबाक विन्दु पर जोर दैत कहली जे शहर सँ बेसी गामक महिला समाजमे सशक्तिकरण करबाक खगता छैक। ओ अपन अनुभवक आधार पर कहलीह जे गाममे महिला एखनहुँ ताउम्र पिता, पति आ पुत्रक अधीन रहैत छथि आ हुनकर व्यक्तित्व विकासमे ई परनिर्भरता बड पैघ बाधक सिद्ध होइत अछि। एकटा दृष्टान्तक वर्णन करैत ओ कहलीह जे एक गोट महिला प्रतिनिधि केँ सभामे उपस्थित रहितो हुनकर स्थानपर हुनक पति बाजय चाहलथि जेकर ओ बीचमे टोकिकय महिले केँ बाजय देबाक प्रेरणा देबाक बात कहली। एहि तरहक प्रयास उच्चस्तर पर हेबाक चाही हुनकर कहब भेलनि।
डा. शैफालिका वर्मा अस्वस्थताक बादहु कार्यक्रम मे उपस्थित भ’ अपन जीवनक विभिन्न अनुभव सब साझा कयलीह। पति पत्नीक सम्बन्ध केँ फरिछाबैत एक-दोसरक प्रति आपसी विश्वास बढ़ेबाक आवश्यकता पर हुनकर विशेष जोर छलन्हि। प्रेम सँ पति आ समस्त परिवारक दिल जीतब आ राज करब ई उक्ति संग सफल गृहस्थी जीवनक मार्गदर्शन कयलीह।
दोसर सत्र
२) पोथी विमोचनः लघुकथा संग्रह ‘सेहन्ता’ – लेखिका डा. सविता झा ‘सोनी’ – एहि सत्रक अध्यक्षता डा. ललितेश मिश्र कयलनि। अतिथि आ वक्ताक रूप मे आमंत्रित रहथि – डा. कैलाश कुमार मिश्र, अजित आजाद, डा. आभा झा आ मणिकांत झा ‘आमारुपी’। मंच संचालनक भूमिका मे मनीष झा ‘बौआभाइ’ रहथि। विमोचनक बाद पोथी पर समीक्षात्मक विमर्श प्रारम्भ भेल। अजित अजादक एहि लघुकथाक प्रसंशा करैत अपन प्रकाशकीय मन्तव्य सँ सभा केँ अवगत करौलनि। डा. आभा झा कहलनि जे लघुकथा-संग्रह ‘सेहन्ता’ सामाजिक परिस्थितिक बेवाक उपस्थापन थिक।
स्त्रीक निराशाकेँ अंगीकार करब एक स्त्रीकेँ कनि कम अरघतै, कारण स्त्री लेल अपनाकेँ स्टेपनीक रूपमे स्वीकार करब कठिनाह जकाँ होइछ। बुढ़ाड़ीमे गाम रहब किंवा वृद्धाश्रममे रहब – दू टा विकल्प द’ लेखिका कनेक ओझरायल सन बुझेबाक बात, स्वाभिमानक रक्षा लेल गाम जयबाक विकल्पक चयनमे कनेक आर स्पष्टताक खगता, कथाक उपस्थापन शैली पर कनेक आरो काज करबाक आवश्यकता आदिक अपन अनुभूतिक टिप्पणी दैत प्रत्येक लेखक लेल आजन्म सिखबाक अवसर रहबाक मार्गदर्शन सेहो ओ देलीह। डा. कैलाश कुमार मिश्रक वक्तव्य मे एहि लघुकथा संग्रह पर अन्वेषणक दृष्टि सँ विभिन्न कथा कनि आर विस्तार आ स्पष्टता सँ लिखल जेबाक आलोचनात्मक टिप्पणी देलनि। डा. ललितेश मिश्र अपन अध्यक्षीय उद्बोधनमे एहि लघुकथा केँ अंग्रेजीक अनेको Short Stories सभक उदाहरण सँ तुलना करैत एकर पाठकीय स्वीकार्यता पर प्रकाश देलनि। साहित्यकार ललितकथाक सन्दर्भ दैत एहि तरहक कथा संग्रहक ग्राह्यता बुझौलनि। लघुकथामे बहुत किछु पाठक केँ अपने विवेक वा समझ पर छोड़ि देल जाइत छैक। आब मैथिलीमे लघुकथा विशेष प्रचलन मे आयल अछि जे पहिने अंग्रेजी आ अन्यान्य भाषाक साहित्यमे दृष्टिगोचर होइत छल सेहो हुनक वक्तव्य छल। श्री मणिकांत झा ‘आमारुपी’क वक्तव्य पूरा नहि सुनि सकबाक कारण नहि लिखि पायब।
तेसर सत्र (विशेष आकर्षण)
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३) बाल काव्य/ कथा गोष्टी
आयोजनक विशेष आकर्षण एहि सत्र पर केन्द्रित छल। छोट छोट धीया पूताक उत्साह देखवाक योग्य छल। एहि गोष्टीमे सहभागिता देेलनि अशिति झा, आइशी झा, कृष्णा चौधरी, अक्षिता झा ‘ लड्डु’ , मन्नन मिश्रा, भाव्या झा, नमन कामत, मिलिंद झा, नमन मिश्रा , शुभ्रांगी झा, कुसुमांगी झा, आकृति झा, अदिति झा, नव्या ‘नमन’ आओर आद्या चौधरी। मंच संचालन श्री मनीष झा बौआभाइ केलनि, कार्यक्रमक सफलतामे हिनक अद्भुत मंच संचालनक अहम भूमिका छलनि।
कार्यक्रम त’ बहुतोँ होइत अछि मुदा नेना भुटका लेल काव्य वा कथा गोष्टीक आयोजन अह्लादित केलक। चारि बरखक कुसुमांगीक ‘हम बेटी छी नै बोझ’ देखि अभिभूत भेलों। एक टा चारि मासक बच्चा अपन मायक कोरामे बैसल टुकुर टुकुर सम्पूर्ण कार्यक्रमके आनंद लैत देखल गेल जे सभक अपना दिस आकृष्ट करैत छल।
श्रीमती सविता झा ‘सोनी’ द्वारा मैथिली साहित्यक प्रति बच्चा सभक अभिरूचि जगेवाक ई अनुपम प्रयासक सराहनीय आ अनुकरणीय अछि।
चारिम सत्र
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४) नाटक
‘जनगणनामे मैथिली’
अभिनय : ज्योति झा
नाटकक मंचन दिल्लीमे अक्सर होइते रहैत अछि आ रंगकर्मी श्रीमती ज्योति झाक अभिनय देखलो अछि, हिनक अभिनय प्रसंशनीय होइत छनि मुदा एहि बेर जनगणनामे मैथिली विषय पर एक नाटिका प्रस्तुत क’ एक गोट संदेश समाज केँ देल गेलैक जे जनगणनामे अपन मातृभाषा मैथिली अवश्य अंकित कराबी।
एक सय सँ बेसी मैथिलक उपस्थिति एहि पांच घंटाक कार्यक्रममे देखल गेल। श्रीमती सविता सोनीक अथक प्रयास सँ ई कार्यक्रमक अभूतपूर्व आ सफल आयोजन भेल।

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