बुद्धिनाथ मिश्रक लिखल पोथी भेटल ‘पुरना सतघरवा मे बैसल’ – प्रदीप बिहारी

साहित्य चर्चा

– प्रदीप बिहारी

(साभार फेसबुक पोस्ट)

पोथी भेटलः पुरना सतघरवा मे बैसल

मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल 2023, मुम्बई मे भेंट भेल छलाह हिंदी-मैथिली गीतक आइकन बुद्धिनाथ मिश्र। “पुरना सतघरवा मे बैसल” नव-गीत संग्रह सनेस मे देलनि।

ओना छन्द-भास-मात्रा विधानक बेसी ज्ञान हमरा नहि अछि, जेहो किछु बूझै छी से बहुत आरंभिक स्तरक। गद्य लिखैत छी, तें पद्य, ताहू मे छान्दिक, मादे बेसी अध्ययन-अनुशीलन करबाक ने अवसर भेटल आ ने मन:स्थिति बनल। गीतक सफलताक पहिल शर्त हम मानैत छी जे ओ कर्णप्रिय होअय। सुनबा मे नीक लागय, सोहाओन लागय। तकर बाद विषय पर ध्यान जाइत अछि। जे से, एहि पोथीक गीत सभ पढ़लाक बाद आनन्दक अनुभूति भेल। संगहि, ई गीत सभ समय, समाज आ संस्कृतिक संग चलैत लागल, जे कोनो रचनाक महत्वपूर्ण गुण मानल जाइत अछि।

एहि पोथीक गीत सभ आ भूमिकाकें दू भाग क’ देखने तुलसीदासक ई पद मोन पड़ैत अछि- ‘को बड़ छोट कहत अपराधू।’

उनैस पृष्ठक एहि पोथीक भूमिकाकें गीतकार भने ‘छान्दस कविक उचिती-मिनती’ कहैत छथि, मुदा हमरा जनतबे से नहि छनि। उचिती-मिनती कहब गीतकारक विनम्रता छनि, सांच तं ई जे ई भूमिका ‘वैदिक छन्द’ आ ‘लौकिक छन्द’ कें परिभाषिते नहि, दुनूक मध्यक अन्तर, दुनूक विशेषता, स्रोत आ मारितेरास तकनीक पर विस्तृत अवगाहन प्रस्तुत करैत अछि, जे सिखबा योग्य अछि। संस्कृत आ मैथिलीक छन्द-विधान पर उदाहरणक संग विस्तार सं चर्च भेल अछि। गीतकार मानिते नहि, घोषणा सेहो करैत छथि- ‘महर्षि पिंगलक छन्द:शास्त्र मे एकटा बहुत उपयोगी सूत्र देल गेल छै- सुजयभारतमन:। ई सूत्र आजुक कम्प्यूटरक भाषा (01010)क आधारक पूर्वज अछि।’ एहि मादे अपन सोच आ विश्वासक विस्तार सेहो रखलनि अछि गीतकार।

यूरोपियन, फारसी आ चीनी भाषामे छन्दक चर्च करैत मैथिलीक काव्य-परम्परामे छन्दयुक्त आ छन्दहीन दुनूक बीचक सौहार्दपूर्ण सम्बन्धक चर्च सेहो इमानदारीपूर्वक कयल गेल अछि।

मैथिलीक अध्येतालोकनि लेल एकटा महत्वपूर्ण पोथी पढ़बाक सुयोग ई पोथी दैत अछि। आ ताहि लेल देशक दुलरुआ गीतकार बुद्धिनाथ मिश्रकें बधाइ आ एहि पोथीक प्रकाशन लेल नवारंभ, मधुबनी के सेहो बधाइ। एहू सभसं बेसी बधाइ अनुज अजित आजादकें, जिनक अनवरत तगेदाक कारणें गीतकार ई पोथी तैयार क’ सकलाह (द्रष्टव्य : भूमिका‌ पृ 7)।

एक सय बारह पृष्ठक एहि पोथीक मोल दू सय टका छैक, जे पोथीक स्तरीयताक अनुसार किन्नहु बेसी नहि बुझाइत छैक।