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शनि-रबि पाबनि – मिथिलाक विशेष पूजा पाठ

मिथिलाक पूजा-पाठः शनि रबि पाबनि

– राज कुमार झा

“शनि-रबि पाबनि”
एहि बेर मिथिलामे शनि-रवि पाबनि २३ अप्रैल २०२३ अर्थात् अक्षय तृतीया केँ तथा ३० अप्रैल २०२३ केँ मनाओल जायत।मिथिलामे मनाओल जायवला एकटा अद्भुत पाबनि केर चर्चा करब जेकर नाम अछि शनि-रबि पाबनि। संतान, पति तथा परिवारक रक्षाक लेल मिथिलाक स्त्रीगण द्वारा ई पाबनि मनाओल जाएत अछि। जाहि दिव्यभूमि मिथिलामे एतेक पवित्र तथा परसुखक लेल अपन जीवन अर्पित करयवाली स्त्रीगण द्वारा एहेन पावनि मनाओल जाएत अछि ओहि मिथिलाधामक सांस्कृतिक सम्पन्नताक बखान के कS सकैत छथि। सम्पूर्ण मिथिलामे संतान, सम्पत्ति, निरोगी काया, ऐश्वर्य तथा ओजक रक्षा करयवाला शनि-रबि पाबनि अगहन मासक शुक्ल पक्ष रबि दिनसँ प्रारम्भ होएत बैशाख धरि चलैत अछि। दिनकर दिनानाथकें अर्घ्य देबाक संग प्रारम्भ होएत अछि ई पाबनि।
मिथिलामे स्त्रीगण अपन संतान तथा परिवारक सुख, समृद्धि एवम् मनोवांछित फल प्राप्तिक लेल मनाबैत छथि। ई पावनि छओ मास धरि चलैत अछि। छओ मासक समयावधिमे जतेको रबि पड़ैत छैक व्रती ओतेक दिन एकसंझा करैत छथि। किछु व्रती मासमे एकटा एकसंझा सेहो करैत छथि तथा बाँकी रबिके अनोना करैत छथि। पाबनिसँ एक दिन पूर्व पबनैतिन अरबा-अरबाईन खायत छथि। पुन: रबिदिन प्रात: उठि पबनैतिन स्नान कय केँ नीपल स्थान पर डालीमे ठकुआ, डाँट लागल पानक पात, सुपारी, मखान, फल-फूल, मधुर, केरा, बताशाक संग अरघौती बद्धी, आरतक पात आदि सजाय गोसाउनि अर्थात् भगबती केर पूजन-अर्चन कS नवका कपड़ासँ डाली झाँपि समीपक पोखरिक घाट पर जाएत छथि। व्रती स्त्रीगण जलमे ठाढ़ भS सूर्य भगवानकें डाली लS अर्घ्यदान करैत पोखरिमे डुबकी लगाय घाट पर पीढ़ीमे सेनुर लगाय कलश स्थापन करैत छथि। धूप-दीप, फूल, दूभि, अक्षत आ चाननसँ दिनकर भगवानकें पूजा कय बेराबेरी सब नैवेद्यक डालीकेँ उसगरैत छथि। तकरा बाद दिनकरकेँ हाथ जोड़ि प्रणाम करैत डाली सहित आँगन आबि जाएत छथि। डालीकेँ गोसाउनिक आगू राखि सपरिवार भगबतीकेँ (कुलदेवीकेँ) गोर लागि प्रसाद ग्रहण करैत छथि। तदोपरान्त डालीमे सँ आरतक पात लS ओकरा घरक मोंख पर साटि देल जाएत अछि। अगहन केर रबि-शनिकेँ पहिल अर्घ्य दिनसँ प्रारम्भ होमयवला ई पाबनि स्त्रीगणक लेल अति शुभ मानल जाएत अछि। प्रणम्य अछि मिथिलाक संस्कृति आ प्रणम्य छथि मैथिलानी नारीशक्ति। जय श्री हरि।

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