मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल २०२३ः पहिल दिनक सत्रवार चर्चा (संछिप्त रिपोर्ट)

१८ अप्रैल २०२३ । मैथिली जिन्दाबाद!!

विगत सप्ताह सम्पन्न भेल पाँचम मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल पर लिखित रिपोर्ट के प्रकाशनाभाव मे मैथिली जिन्दाबाद द्वारा संछिप्त प्रतिवेदन प्रकाशित कयल जा रहल अछि।

मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल के सत्र आ प्रस्तोताः एक दृष्टि मे

१. मोन पड़ैत छथि

प्रत्येक फेस्टिवलक आरम्भ ओहेन स्रष्टा सब केँ मोन पाड़िकय आरम्भ कयल जाइछ जिनक मृत्यु एहि बीच भ’ गेल रहैत छन्हि। एहि वर्ष के सब मोन पाड़ल गेलाह तेकर सूची, हुनका सभक व्यक्तित्व-कृतित्व पर वक्तव्य देनिहार प्रतिभागी विद्वान् साहित्यकारक नाम निम्नलिखित अछि।

१. प्रणव नार्मदेय – पंकज प्रियान्शु
२. छत्रानन्द सिंह झा “बटुक भाइ” – प्रकाश झा
३. मैथिलीपुत्र प्रदीप – हीरेन्द्र कुमार झा
४. रविन्द्रनाथ ठाकुर – फूलो पासवान
५. रामलोचन ठाकुर – भास्करानन्द झा
६. लिलि रे – डा. आभा झा
७. श्याम दरिहरे – संस्कृति मिश्रा
८. सुकान्त सोम – लक्ष्मण झा सागर
९. सोमदेव – डा. महेन्द्र नारायण राम
१०. हरेकृष्ण झा – गुञ्जन श्री

 

अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व जिनका सब केँ समयाभाव मे उद्घोषक द्वारा समग्र रूप मे मोन पाड़ल गेलनि ओ सब छलाह –

अजय सिंह, राज, पंचानन मिश्र, कुमार गगन, मनोज मनुज, रुद्र नारायण झा (जनकपुर), कैलाश झा किङ्कर, भगवान् प्रलय, दयानन्द दिक्पाल यदुवंशी, पवन नारायण (गायक), हेमचन्द्र झा (पूर्व अध्यक्ष, मैथिली साहित्यिक एवं संस्कृति समिति, मधुबनी)
ई सत्र ७ अप्रैल २०२३ केँ समय १० बजे सँ ११ बजेक बीच सम्पन्न भेल छल।
२. उद्घाटन सत्र
मैथिली लेखक संघ के उपाध्यक्ष डा. इन्द्रकान्त झाक अध्यक्षता मे उद्घाटन सत्र समय ११ः१० सँ १२ः१० के बीच सम्पन्न भेल छल। एकर संचालन कयलनि महासचिव सह कार्यक्रम संयोजक विनोद कुमार झा, तथा उद्घाटनकर्ता प्रमुख अतिथि रहथि मैथिली सहित विभिन्न भाषाक अद्भुत विद्वान् डा. उदय नारायण सिंह नचिकेता जे एखन साहित्य अकादमी दिल्लीक मैथिली विभागक संयोजक सेहो छथि। एहि सत्र मे मंचीय सहभागिता रहल – कथाकार अशोक, डा. बुद्धिनाथ मिश्र, अनिल जोशी, रमेश रंजन – जिनकर सम्बोधन मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल पर केन्द्रित रहल।
तहिना एहि सत्र मे मुम्बई आयोजन केँ अपन अनमोल सहयोग सँ सफल कयनिहार व्यक्तित्व सब जिनका सभा द्वारा भरपूर सम्मान कयल गेल ओ सब उपस्थित रहथि, एहि सूची मे – १. अंजनी कुमार, फिल्म निर्देशक (जे गैरमैथिलीभाषी रहितो अपन सहयोग सँ आयोजनक बुनियाद ठाढ़ कयलनि), २. सुमित कुमार मिश्र, आर्ट डायरेक्टर (जिनका द्वारा फेस्टिवलक सम्पुर्ण साज-सज्जा, फ्लेक्स, बैनर्स, स्टेज, आदिक व्यवस्थापन कयल गेल), ३. राम सुन्दर झा (श्री शुभ सीता फाउन्डेशन केर संचालक, जे महोत्सवक मुख्य प्रायोजक रहथि, जिनक प्रायोजन सँ आमंत्रित अतिथि लोकनि केँ ठहरेबाक व्यवस्थापन कयल गेल छल), ४. सुधा झा (प्रायोजक) ५. दीपक झा (स्वागताध्यक्ष)।
एहि सत्र मे बैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ केर अमर-रचना गीत ‘भगवान् हमर ई मिथिला सुख-शान्ति केर घर हो, आदर्श भय सभक ई इतिहास मे अमर हो’ गायक संजीब कश्यप द्वारा गाबैत आरम्भ भेल छल। तहिना दीप प्रज्वलन प्रमुख अतिथि सहित अन्य विशिष्टजन द्वारा कयल गेल। स्वागत सम्बोधन दीपक झा कयलनि। श्री शुभ सीता फाउन्डेशनक संचालिका मनोरमा झा एवं दीपक झा द्वारा सब अतिथि लोकनि केँ पुष्पगुच्छ दैत सम्मानित कयल गेल छल। एहि सत्र केर एकटा पैघ खासियत ई छल जे समस्त सहयोगी प्रायोजक लोकनि केँ सभा मध्य यशगानक संग सम्मान कयल गेल छलन्हि, जेकरा उपस्थित सैकड़ों लेखक-साहित्यकार हृदय सँ प्रशंसा करैत मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल २०२३ केर मुम्बई मे सफलताक दिएबाक श्रेय सेहो देलन्हि।
३. उपन्यास एवं उपन्यासकार केर यात्रा पर चर्चा
१२ः३० बजे अपराह्न सँ पहिल दिनक पहिल साहित्यिक विमर्श आरम्भ कयल गेल छल। एहि मे उपन्यासकार प्रदीप बिहारीक उपन्यास मे समाज आ संस्कृति विषयक चर्चा राखल गेल छल। एकर संचालन साहित्यकार दिलीप कुमार झा कयलनि। विमर्शीक रूप मे कथाकार अशोक, विभूति आनन्द, हीरेन्द्र कुमार झा एवं मेनका मल्लिक सहभागिता देलनि। वरिष्ठ साहित्यकार सुभाषचन्द्र यादवक स्वास्थ्य समस्याक चलते उपस्थिति नहि भ’ सकलन्हि, सब कियो हुनक शीघ्र स्वास्थ्यलाभक कामना कयलनि। उपन्यासकार प्रदीप बिहारी स्वयं सेहो उपस्थित रहथि।
४. भोजनावकाश – १ः३० बजे सँ २ः३० बजे धरि
विदित हो जे भोजनक समय मे विभिन्न स्थान सँ पहुँचल साहित्यकार व विमर्शी लोकनि बीच आ स्थानीय समाज व अभियानी सभक बीच जे वार्ता सब होइत अछि सेहो बहुत उच्चकोटि के आ बहुत-बहुत उपयोगी बातचीत होइत अछि। एकर दूरगामी असर भेल करैत छैक। समाज मे साहित्यक प्रभाव एहि औफसाइड वार्ता सँ बेसी सहजता सँ भेल करैत छैक।
५. विभा रानीक कथा आ कथा-यात्रा – समय २ः३० बजे सँ ३ः३० बजे धरि
दीपिका झा के संचालन तथा अरविन्द ठाकुर, परमेश्वर झा प्रहरी आ विभा कुमारी विमर्शी संग स्वयं कथाकार विभा रानीक उपस्थिति मे ई दोसर साहित्यिक विमर्शक सत्र सम्पन्न भेल। विभा रानीक कथा शिल्प आ एकर प्रभाव पर केन्द्रित रहल ई चर्चा। दुर्भाग्य सँ किछु विमर्शी केँ पहिने सँ विभा रानीक कथापर चर्चाक बात पता नहि रहबाक कारण अनचोके मे विमर्श मे सहभागिता जतेबाक कारण जतेक ठोस बातचीत होयबाक चाहैत छल से नहि भ’ सकल, एना हमरा बुझायल। विभा रानीक कथा सब मे प्रयुक्त यौनिक शब्दावली सामान्य साहित्य मे वर्जित शब्द सभक सीमा सँ आगू बढ़िकय खुलल चर्चा करय चाहैत अछि, एहि सब विन्दु मे बेसीकाल चर्चा ओझरायल। विमर्शीक रूप मे डा. विभा कुमारी द्वारा उत्कृष्ट चर्चाक साक्षी हमहुँ रही। विशेष विन्दुवार नोटिंग नहि रहबाक कारण वीडियो देखलाक बादे किछु कहि सकब।
६. कथा-वाचन आ विमर्श – समय ३ः३० बजे सँ ४ः३० बजे धरि
एहि सत्र मे कथाकार अरविन्द ठाकुर केर ‘पियासल पानि’ केर वाचन मनोरमा मैथिली द्वारा कयल गेल छल। हुनक वाचन शैली बहुत आकर्षक आ रोचक छलन्हि। ओ बड नीक सँ कथा पढ़िकय सुनौने रहथि। तदोपरान्त संचालक पंकज प्रियान्शु द्वारा संचालित विमर्श मे प्रीतम निषाद, मेनका मल्लिक एवं एक गोट (नाम अस्पष्ट) आर भाग लेने रहथि। स्वयं लेखक अरविन्द ठाकुर केर उपस्थिति मे ई सत्र भेल छल।
७. मैथिली पत्रकारिताक समकालीन स्थिति आ प्रयोजन – ४ः३० बजे सँ ५ः३० बजे धरि
मिथिला मिरर के सम्पादक ललित नारायण झाक संचालन मे एहि सत्र मे विमर्शीक रूप मे किसलय कृष्ण, गुञ्जन श्री, धर्मेन्द्र कुमार झा, संजीव सिन्हा, कृष्ण कुमार झा एवं हम प्रवीण नारायण चौधरी सहभागी रही। एहि १ घन्टाक सत्र मे चर्चाक केन्द्र भले मैथिली पत्रकारिता रहल, ऐतिहासिक तथ्य आ समकालीन अवस्था संग नेपाल व भारत के मिथिला मे रहल पत्रकारिताक अवस्था सब पर जानकारीमूलक बात सब आयल, लेकिन कतहु न कतहु व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तथा गैर-जरूरी व्यक्तिगत अनुभव आ कटुता आदिक बात सब सेहो आबि गेल जे सत्रक गरिमा केँ कमजोर कयलक। ओना, पत्रकारिता मे प्रिन्ट, दृश्य, श्रव्य आ नागरिक स्तर पर सामाजिक संजालक पत्रकारिता आदि सब विन्दु पर नीक जानकारी सब सोझा जरूर आयल। विमर्शक जेहेन स्कोप छल तेकर व्यक्ति केन्द्रित चर्चा मे परिणति देलाक कारण श्रोता-दर्शक थोड़ेक निराश बुझेलाह। विमर्शीक तौर पर नेपाल मे विद्यमान स्तरीय मैथिली पत्रकारिता आ एकर अनिवार्यताक पक्ष पर हम प्रकाश देने रही। कहने रहियनि जे धन्य मैथिलीभाषी पत्रकार जे आइ विज्ञापनदाता सभक बीच एकटा विश्वास बना लेलनि अछि जे मैथिली मे विज्ञापन नहि करब त अहाँक उत्पाद सँ बड पैघ जनमानस अपरिचित रहत। ई सकारात्मक पक्ष के रूप मे गानल गेल। तहिना किसलय कृष्ण द्वारा मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश केर प्रकाशन मे निरन्तरता कतेको रास मिथक केँ तोड़िकय आगू बढ़बाक उदाहरण दैत आगू के समय मे मैथिली पत्रकारिता जेना-जेना जनसरोकार सँ जुड़ैत बढ़त त ई निश्चिते नीक दिन देखत कहलनि। धर्मेन्द्र कुमार झा व गुञ्जन श्री सहित कृष्ण कुमार झा द्वारा मैथिलजन केर सरोकार सँ जुड़ैत पत्रकारिताक स्तर उच्च बनेबाक विन्दु पर जोर दैत एक तरहें नीक संकल्प लेल गेल छल।
८. आधुनिक रंगमंच पर विमर्श आ लघु नाटकक प्रस्तुति – समय ६ः३० बजे सँ ८ः३० बजे धरि
एहि सन्ध्याकालीन सत्र मे राजकमल चौधरीक कविता – ओ जखन अस्पताल मे खतरनाक बीमारी सँ संघर्ष करैत मृत्युशैय्या पर पड़ल असीम पीड़ा भोगैत काव्य रचना कएने रहथि, ताहि अवस्था मे निकलल तीक्ष्ण मानवीय संवेदना सँ ओतप्रोत शब्दक प्रयोग कयल काव्य पर आधारित नाटक ‘हुनके नाम’ प्रस्तुत कयल गेल छल। एकर मंचीय संयोजन आ उद्घोषण मैथिली सिनेमाक चर्चित अभिनेता संजीव पूनम मिश्र कएने रहथि। अभिनय भास्कर झा के एकल प्रस्तुति रहनि। संगीत प्रवेश मल्लिक केर, प्रकाश परिकल्पना सुजीत कुमार, कला एवं सामग्री प्रेमचन्द कुमार, परिकल्पना निर्देशक भास्कर झा, साउन्ड व्यवस्था एम एम साउन्ड महेन्द्र चौधरी आ ई प्रस्तुति ‘एक्ट मुम्बई’ केर बैनर द्वारा राखल गेल छल।
तहिना दोसर नाटक ‘बोझ’ केर मंचन कयल गेल छल। लेखक कश्यप कमल केर लिखल ई नाटक, निर्देशक शिवा तुन्देर आ प्रस्तुति अछिञ्जल, दिल्ली केर भेल छल।
नाटकक प्रस्तुति उपरान्त विमर्श मे पंकज झा, प्रकाश झा आ रमेश रंजन केर बड़ा अद्भुत आ मनलग्गू प्रस्तुति भेलनि। पहिल दिनक आखिरी प्रस्तुति सँ मानू समस्त सहभागी-दर्शक-श्रोता लोकनि जेबी भरि-भरिकय आह्लादित हृदय सँ रातिक भोजन करय लेल आगू बढ़लाह।
अस्तु, दोसर दिन आ तेसर दिनक सत्र सब पर चर्चा निरन्तरता मे रहत।
शेष रिपोर्ट क्रमशः….
हरिः हरः!!