सन्दर्भः साहित्य अकादेमी मे मैथिलीक नव टीम
– केदार कानन
साहित्य अकादेमी मे मैथिली साहित्यक राज-काज अगिला पांच साल धरि चलाबै लेल साहित्य अकादेमी परामर्श मंडलक गठन भ’ गेल अछि। संयोजक छथि मैथिलीक वरिष्ठ लेखक उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’, जे मात्र मैथिलिये टा नहि, अपितु अनेक देसी आ विदेशी भाषाक जानकार छथि आ अंतरराष्ट्रीय स्तरक विद्वान मे हुनक गिनती होइत छनि। सहजहिं लोक कें हुनका सं बहुत बेसी आस छनि। मैथिली मे हुनक एगारह टा नाटक प्रकाशित छनि आ ‘जहलक डायरी’ नामक कविता संग्रह पर हुनका मैथिलीक मूल साहित्य अकादेमी पुरस्कार भेटल छनि।
एहि दस सदस्यीय परामर्श मंडल मे दूटा सदस्य – वीणा ठाकुर आ डॉ. अजय झा – सामान्य परिषदक सदस्य हेबाक कारणें स्वतः एहि परामर्श मंडल के सदस्य बनि गेल छथि आ हुनक चयन नचिकेता जी नहि केने छथि। तें नचिकेता जी द्वारा चयनित सदस्य मात्र सात अछि – डॉ. सुभाष चंद्र यादव, उषाकिरण खान, प्रमोद कुमार झा, देवशंकर नवीन, तारानन्द वियोगी, विद्यानंद झा आ रमण कुमार सिंह। एहि टीम मे एकहुटा एहन लोक शामिल नहि छथि, जिनका मैथिली भाषा साहित्य सं कनियो टा सरोकार राखै बला लोक नहि जनैत छथि। जेना कि पहिनुक परामर्शदातृ समिति मे होइत छल, जे बहुत रास सदस्यक लोक नामो धरि नहि सुनने रहैत छल आ एक-दोसरा सं मासो धरि पूछताछ केलाक बाद पता चलैत छल। रच्छ अछि, जे एहि बेर तेहन सन स्थिति नहि अछि।
डॉ. सुभाष चंद्र यादव मैथिलीक कुछेक विरल विद्वान मे सं छथि, जे सात टा देसी-विदेशी भाषाक जानकार छथि। बांग्ला आ अंग्रेजी भाषा पर हुनक पकड़ आ भाषायी प्रवाह स्पृहणीय अछि। मैथिली कथा मे एकटा नव भाषा आ एकटा नव दिशाक संधान करै बला प्रोफेसर सुभाष चंद्र यादव लब्धप्रतिष्ठ चिंतक-साहित्यकार छथि। कम शब्द मे विरल शब्द चित्र ठाढ़ करब आ समाजक सबसं निचला वर्गक बोल कें साहित्यिक गरिमा प्रदान करब हुनक लेखकीय विशेषता थिक। ओ कतेको वर्ष धरि हिंदीक अध्यापन सं जुड़ल रहलाह आ आइ काल्हि सेवानिवृत्त भ’ कें नव-नव साहित्यक सृजन क’ रहल छथि।
उषा किरण खान कें साहित्य अकादेमी सं मैथिलीक मूल पुरस्कार हुनक उपन्यास ‘भामती ’ पर भेट चुकल छनि आ ओहि उपन्यासक अनेक भाषा मे अनुवाद भेल अछि, जे निरंतर प्रशंसित भ’ रहल अछि। हुनका पद्मश्री सम्मान सेहो भेट चुकल छनि।
प्रमोद कुमार झा आकाशवाणी सं सेवानिवृत अधिकारी छथि। बहुत रास लोक कें संभवतः बुझलो नहि हेतनि जे मैथिली भाषाक कार्यक्रम अधिकारीक रूप मे हुनक चयन आ नियुक्ति संघ लोकसेवा आयोग द्वारा भेल रहनि। ओ सेहो अनेक भाषाक जानकार छथि आ एखनो अनेक पत्रिका मे निरंतर कॉलम लिखि रहल छथि। एखन रांची मे रहि रहल प्रमोद कुमार झाक गाम धमदाहा (पूर्णिया) छनि। बहुत रास लोक कें हुनक जीवनवृत्ति (बायोडाटा) देखि कें चकबिदोर लागि जेतनि। अनेक सरकारी, गैर सरकारी संगठन मे हुनका परामर्श देबय लेल आमंत्रित कैल जाइत छनि।
देवशंकर नवीन मैथिली आ हिंदीक सुपरिचित लेखक छथि, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय सन प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान मे प्रोफेसर छथि। एहि सं पहिने ओ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) आ इग्नू सं सेहो जुड़ल रहलाह अछि। अनुवाद कला के विशेषज्ञ छथि। हालहि मे प्रकाशित हुनक बृहद आलोचनात्मक पोथी ‘लोकमान्य मायानंद’ बहुत चर्चा मे अछि। साहित्य अकादेमी लेल ओ मैथिली टा मे नहि, हिंदी लेल सेहो अनुवाद आ मोनोग्राफ लेखनक काज करैत रहलाह अछि।
तारानन्द वियोगी मैथिलीक बहुचर्चित, बहुपठित लेखक छथि। हुनक रचनात्मक परिधिक विस्तार कथा, कविता, आलोचना, संस्मरण, गजल आदि विभिन्न विधा धरि छनि। बिहार सरकारक वरिष्ठ अधिकारी हेबाक कारणें ओ प्रशासनिक प्रबंधन कौशल सं सेहो सुसज्जित छथि।
विद्यानन्द झा मैथिलीक कवि, लघुकथाकार आ साहित्य समीक्षक छथि। हुनका मैथिली आ हिंदीक अलावे बांग्ला, गुजराती, संस्कृत, फ्रेंच आदि भाषाक ज्ञान छनि। हुनक तीनटा काव्य संग्रह मैथिली मे प्रकाशित छनि आ हुनक पहिले कविता संग्रह पराती जकां साहित्य अकादेमी प्रकाशित कयने अछि। ओ किछु कथा सेहो लिखने छथि आ हुनक कविताक अनुवाद हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला आ तेलुगू मे भेल अछि। हुनका अनेक सम्मान भेटल छनि। आईआईएम, कोलकाता पीजीपी मे अध्यापनक अलावे हुनका आरो संस्थान सभ मे पढ़ाबै के अनुभव छनि। बर्टोल्ट ब्रेख्त आ पाब्लो नेरुदा, दुनूक कविताक ओ अनुवाद सेहो केने छथि।
रमण कुमार सिंह मैथिलीक कवि, गद्यकार, आलोचक, अनुवादक तं छथिहे, पेशेवर रूप सं पत्रकार छथि आ दैनिक ‘अमर उजाला’ मे विचार (संपादकीय) पृष्ठ पर वरिष्ठ पद पर कार्यरत छथि। एहि सं पहिने ओ देशक प्रतिष्ठित प्रकाशन गृह राजकमल प्रकाशन मे सेहो संपादक के रूप मे काज क’ चुकल छथि। पोथी प्रकाशन आ संपादन मे हुनका विशेषज्ञता हासिल छनि। हुनक दू टा कविता संग्रह-फेर सं हरियर आ दुःस्वप्नक बाद – प्रकाशित छनि। मैथिली मे मृतप्राय ललित निबंध विधा कें फेर सं पुनर्जीवित करबाक प्रयास मे लागल छथि आ हुनक ललित निबंधक एकटा पोथी- ’हमर पसार संसार सार’ – प्रकाशित छनि आ दोसर पोथी- ’महुअर बुज्झय’ – प्रेसस्थ छनि।
निश्चित रूप सं वर्तमान टीम मैथिलीक मुख्यधाराक, मुदा एखनधरि कतिआयल लेखक सभकें साहित्य अकादेमी सं जोड़बाक काज करैत, अनेक महत्वपूर्ण लेखकक कृति सबकें पाठक समूहक सोझां अनबाक प्रयास करत, एतेक आशा तं राखले जा सकैत अछि। हमरा सबकें धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करबाक चाही।
मुदा जेना कि कहबी छैक, जे थाल सजल नहि आ माछी भिनभिनाबय लागल। सैह स्थिति मैथिलीक भ’ गेल अछि। एखन तं टीमक गठने भेल अछि। एक्कोटा मीटिंग धरि नहि भेल अछि, मुदा एखनहि सं बहुत रास लोकक पेट मे मोचार उठि रहल छनि। निश्चित रूप सं ई सब ओहि गिरोहक शह पर भ’ रहल अछि, जे साहित्य अकादेमी कें अपन जागीर बुझि लूट-खसोट करैत रहल आ मैथिलीक परिधि कें निरंतर संकुचित करैत गेल। मैथिली आ मिथिला क्षेत्र मे एक सं एक अल्पज्ञ आ अजोध लोक सभ छथिन, जे एखने सं शंका-आशंका व्यक्त क’ रहल छथि। औ जी महाराज, कने धैर्य धरु, टीम बनल अछि, हिनका सभक काज देखू, किछु गलत करताह तखन टीका-टिप्पणी सं केओ रोकलक अछि। काज जखन शुरू होयत, तखन ओकर गुणानुवाद हो, कोनो अबोध जोतखी जकां पहिनहि भविष्यवाणी नहि कयल जयबाक चाही। सुभाष चंद्र यादव होथि आ की आर केओ, जे विद्वान लोक छथि, आ डिजर्विंग हेताह हुनका जरूर सम्मान भेटतनि। मैथिलीक सुच्चा लेखक वर्ग कें एहि टीम सं जरूर आस-भरोस बढ़लनि अछि, नहि तं पछिला किछु साल सं केहन-केहन लोक सभ मैथिलीक गंगा-लाभ करै मे लागल छलाह, से तं देखनहि छी अपने सभ।
बिना बुझने सूझने कोनो लेखक के विषय मे बचहौन टीका-टिप्पणी सं बचबाक चाही। संपूर्ण जनतब रहले पर विद्वतापूर्ण विवेचन कयल जयबाक चाही, ओना मिथिला मे समुचित जनतब आ बिनु टांग-हाथ बला गप सबहक कोनो ओर-छोर नहि अछि। मनुक्खक एकटा बहुत पैघ गुण होइत छैक धैरज राखब। मैथिलीक लेल साहित्य अकादेमी जतेक संसाधन एहि टीम कें उपलब्ध कराओत, हमरा विश्वास अछि, जे ई लोकनि ओकर समुचित सदुपयोग करताह। अति महत्वाकांक्षा बड़ खराब होइत छैक, जे टूटि जाइ पर बड़ दुख होइत छैक। दुख आ हताशाक घड़ी मे लोक अपन होश हेरा दैत छैक आ छिछियाएल फिरैत छैक। अहांक मोन मे संयोजक बनबाक आकांक्षा हुअय आ कि सदस्य बनै के, सपना देखब कोनो बेजाय बात नहि, मुदा सपना साकार करबा लेल ओहि जोगर बनब जरूरी होइत छैक। आ अंत मे एकटा शेर-इब्तदा-ए इश्क मे रोता है क्या…आगे आगे देखिये होता है क्या…!