— आभा झा।
जानकी नवमी कियैक मनाओल जाइत छैक – बैशाख मासक शुक्ल पक्षक नवमी कऽ जानकी नवमीक पाबनि मनाओल जाइत अछि। धार्मिक ग्रंथक अनुसार एहि दिन माता सीताक प्राकट्य भेल छलनि। सनातन संस्कृतिमे माता सीता अपन त्याग एवं समर्पणक लेल पूजनीय छथि। भगवान रामकेँ विष्णुक अवतार मानल जाइत अछि। एहि तरहें माँ सीताकेँ लक्ष्मीक अवतार मानल जाइत अछि। कहल जाइत अछि कि एक बेर मिथिलामे भयंकर अकाल पड़ल। अकालसँ मिथिलाक प्रजा भूखे मरय लागल। राजा जनक एहिसँ व्यथित भऽ गेलाह। अकालसँ छुटकारा पाबयकेँ लेल ओ एक ॠषि लऽग गेलाह। ॠषि राजा जनकसँ कहलथिन कि ओ यज्ञ करबैथ आ यज्ञ भूमि पर हल जोतैथ। ॠषिकेँ कहल अनुसार राजा जनक यज्ञ भूमि पर हल चलेलाह। जहाँ ने हलक नोक जमीनमे गेल, तखन किछु बाजयकेँ आवाज आयल। राजा जनक माटिक अंदर आकर्षक संदूक देखलथिन। राजा जखन संदूक खोलि कऽ देखलथिन तऽ ओहिमे एक छोट बच्ची नजरि एलनि। राजा जनककेँ कोनो संतान नहिं छलनि। संदूकसँ निकलल ओहि बच्ची केँ अपन पुत्री बना लेलनि। कहल जाइत छैक कि ओहि समय मिथिलामे मूसलाधार बरखा भेल छल आ अकाल दूर भऽ गेल। जखन कन्याकेँ नामकरण भेलनि तऽ कन्याकेँ नाम सीता राखल गेल जिनकर विवाह आगू चलि कऽ प्रभु श्रीरामसँ भेलनि। जानकी नवमी केँ बहुत शुभ फलदायी पर्वक रूपमे मनाओल जाइत अछि कियैकि भगवान श्रीराम स्वयं विष्णु आ माता सीता लक्ष्मीकेँ स्वरूप छथि। माँ सीता भूमि रूप छथि, भूमिसँ उत्पन्न भेलाक कारण हुनका भूमात्मजा सेहो कहल जाइत छनि।
प्रकारांतरमे जानकी नवमी महिला सशक्तीकरणक प्रतीक अछि। स्त्रीकेँ सृजनक शक्ति मानल जाइत अछि अर्थात स्त्रीसँ मानव जातिक अस्तित्व मानल गेल अछि।एहि सृजनक शक्तिकेँ विकसित-परिष्कृत कऽ ओकरा सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, न्याय, विचार, विश्वास, धर्म आ उपासनाक स्वतंत्रता, अवसरक समानताकेँ सु-अवसर प्रदान केनाइ ही नारी सशक्तीकरणक आशय अछि। महिला सशक्तीकरणक अर्थ महिलाकेँ सामाजिक आ आर्थिक स्थितिमे सुधार अननाइ अछि। ताकि हुनका रोजगार,शिक्षा, आर्थिक तरक्कीकेँ बराबरीक मौका भेटैन। जाहिसँ ओ सामाजिक स्वतंत्रता आ तरक्की प्राप्त करैथ। भारतमे नारीकेँ सशक्त बनाबैकेँ लेल सबसँ पहिने समाजमे हुनकर अधिकार आ मूल्यकेँ मारय वाला ओहि सभ राक्षसी सोचकेँ मारनाइ जरूरी अछि, जेना – दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाक प्रति घरेलू हिंसा, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी आ एहने दोसर विषय। आइयो नारी ओतेक सुरक्षित आ सम्मानित नहिं छथि जतेक अधिकार आ अवसर हुनका संविधान प्रदत्त अछि। ओ पीड़ित, प्रताड़ित, भयभीत छथि आ अपन अस्तित्वकेँ लऽ कऽ आशंकित सेहो। आजु हमरा महिला सशक्तीकरणक दिखावाकेँ बजाय हुनका अपराधमुक्त जीवनक अवसर देबय आ संत्राससँ उबारि कऽ ऊपर आनैकेँ चिंता करयकेँ आवश्यकता अछि। आजुक नारी घर, बजार या कार्यस्थल सभ स्थान पर मानसिक व शारीरिक हिंसा आ प्रताड़ना झेलय लेल मजबूर छथि। महिला सशक्तीकरण महिलाकेँ ओ मजबूती प्रदान करैत अछि जे हुनका अपन हककेँ लेल लड़यमे मदद करैत अछि। हमरा सभकेँ नारीक सम्मान करबाक चाही, हुनका आगू बढ़यकेँ मौका देबाक चाही।इक्कीसवीं सदी नारी जीवनमे सुखद सम्भावनाक सदी अछि। आजु ई पूरा समाजक दायित्व अछि कि ओ नारीकेँ बराबरीक स्थान देथुन। नारीक स्थितिमे बदलाव आनैकेँ लेल पूरा सामाजिक ढांचा एवं सोचमे बदलाव अननाइ जरूरी अछि। ताहि दुवारे जानकी नवमीक महत्व सेहो कहियो कम नहिं होयत।
नारीकेँ सम्मान करू, नहिं हुनकर अपमान करू, नारी छथि अपराजिता हुनकर हमेशा गुणगान करू।
जय मिथिला, जय मैथिली।
आभा झा
गाजियाबाद