आलेख
– एस. सी. सुमन
बैशाख १ : जइ धरती पर प्रेम फूलै छै कुश्मा आ सलहेश
(सातम् –आठम् शताब्दीसँ फूलैत आएल विश्वास अछि)
मूल लेखः नेपाली भाषा मे प्रकाशित, अनुवाद आ मैथिली प्रकाशनः साभार आइ लव मिथिला डट कम
नवका साल प्रारम्भ सङ्गे चर्चा होइत छैक सिरहा, लहान आ सलहेशके । मिथिलाञ्चलमे गाम देवताकेँ माटिके घोडा चढेबाक लोक परम्परा रहल अछि । ग्रामीण संस्कृतिमे अपन ग्राम देवताकेँ खुशी करबाक लेल माटिके घोड़ा आ घोड़ सवार उपहार चढ़ेबाक चलन अछि । सामान्यतया ग्राम देवताके कोनो नाम आ स्वरूप नहि होइत छैन्ह, हुनका डीहबार बाबा, काली माय, बरहम बाबाक नामसँ सम्बोधन कएल जाइत छैन्ह । गाम बहार बर या पीपरक गाछ तर हिनकर निवास भेल करैत छैन्ह । माटिसँ निपल, माटिक पिण्डकेँ देव प्रतीक मानिकय एकर पूजा कयल जाइछ । पाबनि तथा संस्कार केर समय एतय विशेष रूपसँ ‘झाँप’ आ माटिक घोड़ा चढ़ाय सुख–समृद्धिक मंगल कामना कएल करैत अछि ।
एहिनाक मिथिलाक गाममे ग्राम देवताक स्थान रहैत छन्हि । जाहिमे सम्पूर्ण गामक समृद्धि आ रक्षा करबाक उद्देश्य निहित रहैत छैक । ओइ देवताकेँ ग्राम देवता सलहेशके रुपमे पूजा होइत छैन्ह आओर हुनका लोक नायक राजा सलहेश कहल जाइत छन्हि । सलहेश दुसाध जातिके देवता छथि । हुनकर मन्दिरकेँ ‘गहबर’ कहल जाइत छैन्ह ।
राजा सलहेश : ऐतिहासिक जानकारी
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि अनुसार छठम् आ सातम् शताब्दीसँ मिथिला भूमि गढ़के रूपमे रहल छल । तइ समय ओतयके सेनापति भैरब भूपाल सोमदेव आ मन्दोदरीक कोखिसँ वीर बालक जयवर्धन (सलहेश) केर जन्म भेल छल । ओ कनियेटासँ सौर्यवान, प्रखर आओर बुद्धिमान् छलाह । ओइ समय उत्तरके किराँत प्रदेश तिब्बत आ भुटानसँ अन्नक बाली आ पशु आदि लुटिक’ ल’ जेबाक लेल पोखरियागढ, गोविन्दपुरगढ तरेगना, आ महिसोथामे बारम्बार आक्रमण भेल करैत छल । भोट आ किराँतके आक्रमण रोकबाक लेल सलहेशक बाबू सोमदेव तरेगनागढ (हाल लहान बजारसँ चारि किमी उत्तरदिस) के राजा हिन्दूपति शम्शेर भण्डारीक सहयोगमे गेलाह।
भुटानी भोट आ किरातसङ्ग भेल युद्धमे सोमदेव सहादत प्राप्त कएलाक बाद जेठ बेटाक हैसियतसँ सहलेस तरेगना गोविन्दपुरगढीक सेनापति नियुक्त भेलाह । सहलेश गणपति भेलाक बादो कोशीसँ पश्चिम गण्डकीधरि, उत्तर हिमालयके पद्म प्रदेश आ दक्षिण गङ्गा सागरधरि अपन सैन्य सङ्गठनकेँ सुसङ्गठित करि रहल छलाह।
पकड़ियागढीके राजकुमारी चन्द्रावतीक नौ लखा हार चोरी प्रकरणमे सहलेश पकड़ेलाक बाद चोहरमलकेँ दोषी करार करि रिहा भेल छलाह । सहलेशसङ्ग बाल्यकालहिमे तरेगना गोविन्दपुरके सात बहिनी मालिनीसङ्ग प्रेम भेल रहनि । अइ सङ्गे पकड़ियागढ़के राजकुमारी चन्द्रावतीसङ्ग सेहो बाल्यकालहिमे प्रेम सम्बन्ध रहनि। चन्द्रावतीसङ्ग प्रगाढ़ प्रेम भेलाक बादो सलहेशकेँ ओहिठामक राजा स्वीकार नहि कयल गेल छल ।
सिरहा जिलामे पूर्व कर्णाटकालीन राज्यक अवशेष भेटल अछि । अत्यधिक सम्मान पाओल राजा सलहेश देवतोसँ बेसी लोकनायक छलाह । अपन वीरता, पुरुषार्थ आ व्यक्तिद्वारा पूजित हुनकासङ्ग सम्मिलित अइ जिलामे बहुत ऐतिहासिक स्थलसभ रहल अछि । सलहेश कोनो काल्पनिक पात्र नहि भ’ क’ अपन समयके लोकनायक छलाह । सलहेश गाथामे वर्णन कएल अनुसार राजा सलहेश एक्केदिनमे माणिकदहमे नहेनाइ, फूलबारिसँ फूल तोड़नाइ, सिलहट अखाड़ामे कुस्ती खेल्नाइ तथा कुलदेवीक पूजा कय कञ्चनगढ़मे पहुँचि जनतासभक समस्यासब सुनल करैत छलाह । सलहेशके गाथासङ्ग जोड़ल ऐतिहासिक ठामसभ सिरहा जिलाक जनजीवनसङ्ग गहिर सम्बन्ध रखैत अछि । पुरातात्विक महत्व भेल अवशेषके उत्खनन् करि राज्य एकर विकास करत तँ आन्तरिक आ बाह्य पर्यटक केँ आकर्षित करयमे सहयोग भेटत ।
कुश्मा आ सलहेशके प्रेम प्रसङ्ग
सहलेश फुलबारि सिरहा जिलाक सिस्वानी गाम विकास समितिमे रहल अछि । करिब नौ बिघामे फैलल से फुलबारि दुसाध आ दनुवार जातिक इष्ट देवता सहलेशकेर फुलबारिक रूपमे प्रसिद्ध अछि । फूलके गाछमे फूल फूलेनाइ कोनो विशेष गप नहि छियैक मुदा एक्के गाछमे प्रत्येक वर्ष एक दिन मात्रे माला आकारके फूल फूलाइत देखि बहुत आश्चर्य लागनाइ स्वाभाविक अछि । फुलबारिके मध्यभागमे रहल हारम नामक गाछके ठाढ़िमे प्रत्येक वर्ष नयाँ सालके पहिल दिन भोर भिन्सरेसँ माला आकारमे उज्जर फूल फूलेनाइ आ साँझमे फूल माैलाए जाइत अछि ।
सातम्–आठम् शताब्दीसँ फूलैत आएल विश्वास अछि, ई फूल देखबाक लेल विदेशी पर्यटक सब सेहो एतय अबैत अछि । हारमके गाछिके लगमे सहलेश महाराजा तथा मालिनीक मन्दिर (गहबर) अछि। ओतय कएल कबुला पूर्ण होइत छैक से जनविश्वास अछि । युवायुवती ओइ फूलकेँ साक्षी राखि प्रणयसूत्रमे बन्हाइत अछि। गहबरमे सहलेश आ मालिनीके भव्य मूर्ति रहल अछि । पूजारीके अनुसार मन्दिर पछाड़ी इनार आ बालीगंगा नदी बहैत छैक आ इनार कहियोकाल अनायासहि रूपमे मात्र देखाइत छैक ।
सात बहिन रेशमा, कुशमा, हिरिया, जिरिया, पनमा, फुलवा आ दौना लगायतके सुन्दरीसभक सहयोगसँ सहलेश आ चन्द्रावतीक बीच प्रेम भेल से किंबदन्ती अछि आ सातो बहिन सलहेशसँ प्रेम करैत छलीह । मुदा, सलहेशक विवाह बलाठक राजाक बेटी सत्यावतीसँ भेल छल । सलहेश तीन राजाक बेटीसभसँ ९ गोटासङ्ग प्रेम बन्धनमे छल । मेलाक दिन बहुते युवा जोडी आबिकय फूलकेँ साक्षी मानि प्रेमविवाह करैत अछि । मिथिलामे एखनो गाम गामेमे गीत, नाच आ महराई मार्फत सलहेश गाथा गेबाक परम्परा जिबिते अछि ।
मूर्ति बनेबाक परम्परा
पहिने खरके छप्पर भेल गहबर अखन पक्कीके छत भेल अछि। गहबरके बदलैत स्वरूप ग्रामीण समृद्धिकेँ देखबैत अछि । लहान बजारसँ ४ कि.मि. पश्चिममे ऐतिहासिक धार्मिकस्थलके रूपमे राजा सहलेशके फुलबारि अछि । ओइ फुलबारिमे प्रत्येक वर्ष वैशाख १ गतेक दिन मेला लगैत छैक । सलहेश गहबरमे राजा सलहेशसङ्ग विभिन्न सहायक मूर्तिसभक निर्माण तथा रङ्गरोगन करैत छैक ।
कोनो समयमे देवी देवताकेँ चढाबैबला मूर्ति बजारसँ नइँ किनल जाइत रहए । आवश्यकता अनुसार जरूरीके मूर्ति कुम्हारेसँ बनबाओल जाइत छल, बदलामे धोती, साड़ी तथा आनाज देबाक चलन रहए । प्रत्येक घर परिबारके लेल अपन अपन कुम्हार होइत रहए, जेकरा वार्षिक रूपमे अन्न देल जाइत रहए, जेकरा ‘साली’ कहल जाइत छैक ।
किछ साल पहिने तक मिथिलाक कुम्हार प्राकृतिक रङ्गहि टाक प्रयोग कएल करए । ओ सब वनस्पति आ खनिजसँ रङ्ग बनबय । समतोला रङ्ग गोदाबरी आ सिंगहारक फूलसँ, नीलसँ नील, हरदीसँ पियर रङ्ग बनाबैत रहए, तँ गेरुआ माटिसँ लाल रङ्ग बनाकय माटिक बर्तन सब रङ्गैत रहए । संगहि चुनसँ उज्जर आ रोसनाइसँ करिया रङ्ग बनेबाक प्रचलन छल।मुदा आइ काल्हि आधुनिक रङ्गसँ प्राकृतिक रङ्गकेँ पुर्णतया विस्थापित कयल देखल जा रहल अछि ।
सरकार आ हमरासभक दायित्व : सलहेश फुलबारि प्रति
सिरहा जिला भितर राजा सलहेशक गाथासँ सम्बन्धित धार्मिक स्थल सभक खोज (अनुसन्धान) करैत सरकारी संरक्षण सँ राष्ट्रीय तथा अन्तराष्ट्रीय स्तरमे नेपालकेँ चिन्हाओल जा सकैत अछि । पुरातात्विक महत्व भेल अवशेषक उत्खनन् कय राज्य एकर विकास करत त आन्तरिक आ बाह्य पर्यटक केर आवाजाही बढ़ि सकैत अछि।
मिथिलाक ऐतिहासिक एहेन गौरवशाली इतिहास रहल धरोहरकेर संरक्षण सम्वर्धन आ विकास लेल सरकार केँ अग्रसरता देखाबय पड़त। राष्ट्रीय गौरव केर रूपमे रहल एहेन अद्भुत फूलक सरकारी स्तरसँ प्रचार–प्रसार मात्र नहिं अपितु वनस्पति वैज्ञानिकक सहयोगमे एहि क्षेत्रमे अइ फूल केँ आरो विस्तार कयनाय जरूरी छैक ।
प्रेम तँ अमर छै : राजा सलहेश
कहल जाइत छैक, प्रेम अमर होइत छैक । प्रेम युग–युगान्तर तक रहिये जाइत छैक आ तेकरा नहि त समाज रोकि सकैत अछि आ नहिये कोनो पहाड़ छेकि सकैत अछि । ओ एक दिन अमर बनिकय सभक हृदय मे बसिये टा जाइत छैक । एहने प्रेमसङ्ग एखन सिरहाक ऐतिहासिक सलहेश फुलबारिमे वैशाख १ गते फुलाइत रहल फूल देखनिहारक मोनमे स्वस्फूर्त आस्थासँ अभरैत छैक…
“जहि धरती पर प्रेम फुलाय छै कुशमा आ सलहेस के ।
गीत गबै छी हे हौ बगड़िया सएह तिरहुतिया देशके ॥”
कोनो समयमे लिखल ई पाति (पंक्ति) संगीत तथा नाट्य प्रज्ञा प्रष्ठिानके प्राज्ञ धीरेन्द्र प्रेमर्षिक निजी छल तँ, ई आइ मिथिला, मैथिली, सलहेश, सिरहा, लहानके लोकगीत भ’ गेल अछि, आइ एतबे मात्र नहि, एतय मेला देखयलेल आबयवला अधिकांश प्रेमी जोड़ी या निःसन्तानसभ सन्तानक आशमे कबुला कयकेँ राजा सलहेशक फुलबारि अवलोकन करैत अछि। मेलामे हजारोंके संख्यामे भक्तसब अबैत अछि । आओर ई फुलबारि हमरासबसँ अपनासभक भेल अछि। सङ्गे एहि लेखकेर संगहि नवका वर्ष २०८० के शुभकामना देबय चाहैत छी।
(लेखक एस. सी. सुमन मिथिला चित्रकलाक ख्याति प्राप्त चित्रकार सेहो छथि आ मिथिलाक लोकसंस्कृति पर आधारित, लोककला पर आधारित महत्वपूर्ण लेखनकार्य मे सेहो सक्रिय रहैत छथि। हिनकर मूल लेख मे भाषा एवं भाव स्पष्ट करबाक लेल वाञ्छित सम्पादन सेहो कयल गेल अछि। कारण हिनकर मूल लेख नेपाली भाषा सँ अनुवादित रूप मे देखायल जे सामान्य मैथिली पढ़निहार लेल अत्यन्त कठिनाह आ असहज बुझाइत छल। – सम्पादक)