विक्रम संवत २०७९ के हमर अनुभवः तीत आ मीठ
आइये के दिन राजा विक्रमादित्य भारतवर्षीय भूमि, भेष, भूषण पर बाहरी आक्रान्ता शक पर विजय हासिल करैत मुक्त करौलनि तेँ एकरा ‘विक्रम संवत’ साल कहल जाइछ। एतबा नहि – आइ नव वर्ष, ‘जुड़ि शीतल’। जुड़ायल रहू – पैघक आशीर्वादक लोकरीतिक मंत्र। खाली ढ़कोसला आ आडम्बर नहि, अपितु यथार्थ भाव जे अहाँ सदिखन शीतल जल सँ सिक्त रहि शान्ति आ सुख केर अनुभूति करू। एतबा कहाँ? आइये ब्रह्मा द्वारा सृष्टि आरम्भ भेल छल। बहुत रास बात छैक। बुझू सब बात मैथिली जिन्दाबाद परः https://maithilijindabaad.com/?p=5118
शीतल जल सँ जुड़ेबाक पाछू सेहो पौराणिक कथा सब केना मिथिलाक सम्भ्रान्त लोक अपनौलनि सेहो मनन करब। देखब उपरोक्त वर्णित आलेख मे जे शालिवाहन नाम के एकटा कुम्हार (जिनका पण्डित सेहो कहल जाइछ) से केना माटिक सेना निर्माण करैत जल-छिड़काव सँ ओहि सेना केँ जिवन्त कयलनि आ फेर केना शक पर विजय हासिल कयलनि, तेँ आजुक दिन केँ शालिवाहन शक सेहो कहल जाइछ। आर बहुते रास बात सब छैक आजुक! लेख पढ़ब त स्वयं बुझब, नहि पढ़ब त ‘हैप्पी-हैप्पी’ करैत शुभकामना त बँटबे करब।
हम आइ हैप्पी-हैप्पी के मूड मे बिल्कुल नहि छी, बस २०७९ साल मे समेटल बहुत रास अनुभव सब अछि ताहि पर किछु लिखय चाहि रहल छी।
१. एहि २०७९ साल मे हमर ३ सन्तान (बेटी) सब करियर निर्माणक शुभ समाचार देलीह। १ सन्तान (बेटा) एसएलसी (मैट्रिक) पास कयलनि। बहुत सुखद रहल।
२. हमर एकमात्र छोट भाइ किडनी रिलेटेड समस्या सँ संघर्ष करबाक एकटा अति विचित्र वर्ष सिद्ध भेल अछि २०७९ वि. सं. साल, भगवती ओकरा जल्द स्वस्थ करथि से कामना। ई २०८० हमर परिवारक आ समस्त मानवक कोरोना पछातिक अपारगम्य मानवीय पीड़ा सँ मुक्त करय से प्रार्थना करैत छी ईश्वर सँ बेरम्बेर।
३. गामक भगवतीस्थान मे बड पैघ गेट निर्माणक प्रक्रिया सेहो लगभग पूर्ण भ’ गेल अछि। जाहि समाज मे अगबे नाम लेल लोक कीर्ति करैत अछि, टका देत त नाम चाही आ हरेक योगदान लेल टटका-टटकी रिटर्न लाभ चाहबे करी… तेहेन समय मे अपन चमत्कार आ प्रत्यक्ष प्रभाव लेल जानल जायवाली भगवती दुर्गा केर ई पवित्रतम् स्थान केना नित्य विकास कय रहल अछि आ केना उचकपनी कयनिहार केँ तुरन्त दण्डित कय केँ अपन महिमा बरकरार रखने छथि – ताहि सब बात लेल जीवनक ५०म् बसन्त धरि एक्के अनुभूति भेटल। भगवतीक चरणवन्दना करैत छी, सदिखन (जा धरि जिबी) भगवतीक काज मे समर्पित रही आ हुनकर भक्तिक तार टूटय नहि से विनती करैत छी। २०७९ एहि हिसाब सँ महत्वपूर्ण रहल, गेट बनि गेल।
४. आर्थिक लाभ-हानि ओना त कोनो बड पैघ बात नहि होइत छैक, योगक्षेम सबटा जानकीजी आ राघवजी संग गौरीशंकर केर हाथ छन्हि… तथापि हम माटि के मनुक्ख बड लोभ आ मोह मे फँसैत रहलहुँ, कहियो हानि मे दुःखी, कहियो लाभ मे सेलिब्रेशन…. बस, कोहुना स्वस्थ रहि पेलहुँ सैह बड पैघ बात। ठीके रहल २०७९! बेटा केँ पढ़ेबाक लेल व्याकुल छी, ओ अछि जे हमरे पढ़ेबाक लेल बेहाल अछि। तखन देखियौ! भगवतीक जेहेन इच्छा!!
५. काजक क्षेत्र मे हम जिनकर निमक खा रहल छी तिनकर निमक के सैरियत पूर्ण ईमानदारी सँ दय रहल छी। तखन त छुट्टी जे बेसी लैत छियैक से हुनको चुभैत छन्हि, से चुभनि। हमर काज हमहीं टा करैत छियैक, छुट्टी मे सेहो ओतबे इंगेजमेन्ट रहैत अछि। एमएलएफ मे सत्र संचालको रहैत छी त सार फोन पर बाँस भेल रहैत अछि, कौल-लौग एकर गवाही अछि। २०७९ मे हमर ब्लड प्रेशर १५०-१०० दबाई खेलाक बादो रहल, जानथि मैया! जेना रखबाक होइन से राखथि। जहिया ओ आन लोक ट्रान्सफर कय देती हँसिते जाय, आ बाकी लोक सेहो हँसिते अपन लोक मे आबाद रहय एतबे प्रार्थना।
६. सामाजिक काज करब हमर जीवनक मूल उद्देश्य अछि। हम नेहाल सिंह चौधरी परिवारक पुत्र छी। नेहाल सिंह चौधरी के तीन पुत्र मोहन सिंह चौधरी, जगमोहन सिंह चौधरी आ दुलार सिंह चौधरी मे सब सँ छोट दुलार सिंह चौधरीक सब सँ ज्येष्ठ पुत्र चन्द्र नारायण चौधरीक पुत्र शिव नारायण चौधरी, तिनकर पुत्र नरेन्द्र नारायण चौधरी, तिनकर पुत्र रघुवर नारायण चौधरी आ तिनकर ज्येष्ठ पुत्र हम प्रवीण नारायण चौधरी – इतिहास गवाह अछि संयोगवश लिखित साहित्य मे सेहो लिपिबद्ध अछि (पेज संख्या २२०, आईना ए तिरहुत, बिहारी लाल फितरत), समाज आ लोक लेल कीर्ति करैत जीवन जिबू, यैह मानव जीवन भेल, अन्यथा सारा बेकार। गरीबी-अमीरी क्षणिक भावबोध मात्र होइत छैक। ई अपन-अपन कर्म-कर्तव्य प्रति परायणता आ निष्ठा सँ भेटयवला भोग होइत छैक। बाकी एकर दम्भ करब सर्वथा वृथा सिद्ध होयत से नोट कय ली। २०७९ मे ई कीर्ति यात्रा आनहु वर्ष सँ बेस जोरगर रहल, बाबाधाम, विराटनगर, कुर्सों, आदि विभिन्न स्थान मे कीर्ति यात्रा निरन्तरता मे रहल। बाकी, जानथि जानकी!!
७. आध्यात्मिक उन्नतिक दिशा मे स्वाध्यायक नव अध्याय “रामचरितमानस मोती” आरम्भ भेल अछि। टुकधुम-टुकधुम बढ़ि रहल छी। अयोध्याकाण्ड केर अन्तिम छोर पर पहुँचि गेल छी। मर्यादा पुरुषोत्तम राम केर आदर्श वला आत्मानुभूति मे भरत चरित्रक काफी प्रेरणादायक अध्याय सेहो जुड़ि गेल अछि। तुलसीदासजी त हमर फेवरेट छथिये, हुनक लेखनशैली सँ एहि प्रवीण शरीरक एक-एक बुन्द रक्त केँ शिक्त कय रहल छी, ई हमरा लेल बड पैघ गौरवबोध के विषय अछि।
८. बाकी, एखन हमर सरस्वती बेटीक बहुल्य सान्निध्य भेटि रहल अछि। ओकरा सँ वचन लेलहुँ अछि जे आध्यात्मिक उन्नति के शिखर धरि ओ जाय। हालांकि ओकरो सरस्वती वर्तमान युग अनुसार काफी प्रभावित भ’ रहल छथिन, तथापि हमरा विश्वास अछि जे ओ गीताक अध्ययन पूरा कय लेत आ अपने सभक लेल मैथिली मे किछु नव चीज राखि सकत। एखन आर बच्चा सब जेकाँ ओकरो करियर के चिन्ता बेसी छैक, जखन कि जौन डियर मे ओकरा प्लेसमेन्ट भेटि चुकल छैक। से अपने सब आशीर्वाद देबैक – २०८० मे जखन ओ सेटल भ’ जायत त निश्चिते आगामी वर्ष मे मैथिली भाषा-साहित्य केँ नव दिशा अपन लेखनी सँ देत। बस आशीर्वाद दैत रहबैक।
९. हमर बेटा पढाई-लिखाई नहि कय रहल अछि। ओकरा उपर बाबा के क्रान्तिकारी विचार सवार छैक। विराटनगर आ काठमांडू सँ हम हारि गेल छी। आब नव स्थान के खोजी मे छी। लेकिन बाबा के सिद्धान्त रहनि सम्माननीय नेता सूरज नारायण सिंह वला – बढ़ने दो, मुड़ जायेगा। ओ कहि रहल अछि जे ‘मुड़ेगा नहीं, मुड़ गया’। मुदा बड झूठ बजैत अछि हमरा पोल्हाबय लेल, बाप सिखेने रहथि जे सिगरेट पीनाय सिखि गेलें त हिम्मत राख आ सभक सोझाँ मे पियल कर, ई कि भेलय जे चोरा-नुकाकय पिबैत छिहिन। तखन, भगवती हमर बेटा केँ शक्ति देथि, ओ स्वस्थ आ मस्त रहय, बाकी कुर्सों ड्योढ़ि वला लोकक आदतियो अनुसार जीबि लेत त हमर आत्मा सुखिये रहत। बस, कीर्ति यात्रा केँ अनवरत गतिमान टा राखय। २०७९ मे हमरा ओकर कमजोर प्रदर्शन सँ बड़ दुःख-कष्ट पहुँचल अछि, लेकिन हमर उम्मीद ओकरा पर ओहिना बनल अछि, कारण हम अपनो बड़ा नङ्गट रही ओकर उमेर मे। बाद मे बाप के शिक्षा पर पूरा अमल कयलहुँ त सबटा दिक्कत स्वतः दूर भ’ गेल।
बेसी कतेक लिखू! मोन भेल जे ई सब लिखि देब त मोन हल्लूक होयत। भारी-भारी बनल रहब हमरा सँ पार नहि लगैत अछि, ई सार स्मोकिंग हमरा सँ नहि छुटि सकल अछि एखन धरि… हँ, कम जरूर भेल अछि। भैर दिन मे एक-दू टा मात्र चाही। ओना बम्बई मे खाली रही त ४-५ पैकेट खत्म करैत २०७९ केर सुखद अन्त कयलहुँ। ॐ तत्सत्!
हरिः हरः!!