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नीति, नीयत आ नियमः सन्दर्भ नारी आ नारी धर्म

कतय जा रहल अछि मानव समाज? 
 
मानव समाज मे नारीक महत्ता बहुत बेसी छैक। नारी मात्र ओ शक्ति छथि जिनका मे मातृत्वक गुण होइत छन्हि। पुरुषक आध्यात्मिक स्वरूप मे नारीक प्रतिरक्षा प्रति बेसी जिम्मेदार प्राकृतिक नियम थिक। मानव कि, पशुअहु सब मे यैह नीति लागू कयल गेल छैक प्रकृति द्वारा। एकटा नर चिड़ैयाँ अपन मादाक प्रतिरक्षा लेल सदिखन श्रमशील रहैत अछि। जखनहि मादाक पेट मे अंडारूपी शिशुक आगमनक संकेत भेटि जाइत छैक, ओ तुरन्त अपन चोंच सँ दाना चुगबाक संग-संग सुखायल झाड़-पात आ टहनी सब सेहो चुगि-चुगिकय खोंता बनेबाक लेल बेहाल भ’ जाइत अछि। ओकरा अपन रानीक चिन्ता त छहिये लेकिन सन्तानक चिन्ता बेसी छैक। ई जीवक स्वभाव थिक।
 
नीति आ नियम नारीक पक्ष मे रहितो नीयत जँ शुद्ध नहि रहय त वैह नारीक अवस्था प्रदर्शनक वस्तु बनि गेल करैत अछि। आइ व्यवसायिक विज्ञापन के त बात छोड़ू, सभ्य आ भव्य समाज मे सेहो ‘नग्नता’ केर नीयत एहि मातृत्व गुणधारी नारी केँ केना प्रस्तुत कय रहल अछि से देखू। स्वयं नारी फैशनक युग मे अपन प्राकृतिक रूप, गुण, धर्म आ मर्यादा केँ कोना खेलबाड़ कय रहल छथि से किनको सँ छुपल नहि अछि।
 
एकटा नया पर विधा आयल अछि ‘नारी विमर्श’। किछु कवि, लेखक, साहित्यकार आ चिन्तक सब तथाकथित ‘नारी विमर्श’ केँ बड़ा मनोयोग सँ प्राथमिकता दैत छथि। हिनका सभक नीति, नीयत आ नियम पर बड गौर कय केँ देखैत छी त बेसी लोक ‘मौगियाह’ टाइपक बुझाइत छथि। मंच सँ नारी-नारी आ नारी-अस्मिता, नारी-अधिकार, नारी-हिंसा विरूद्ध न्याय आदिक बड़ा जोर सँ वकालत करैत देखाइत छथि। जखन कि एहि विमर्शी सभक व्यक्तिगत जीवन मे सर्वाधिक नारी अत्याचारक अनेकों उदाहरण-उद्धरण सब भेटि गेल करैछ। जँ नीति-नियम सँ विपरीत नीयत रहत त मिथ्याचार मानल जायत। आइ नारीक प्राकृतिक आध्यात्म सँ इतर भौतिकतावाद आ बाजारवाद केर ‘इस्तेमाल होइवला वस्तु’ केर रूप मे राखब मानवीय नीयत पर बड पैघ सवाल ठाढ़ करैत अछि। लेकिन स्वयं नारी जखन अपन कपड़ा छोट कय लेथि, अपन पर्दा योग्य अंग केँ खुलेआम प्रदर्शन करय लगैथ त हमरा होइत अछि जे कामदेव-रतिक कोनो खतरनाक लीला सँ मानवक नीयत सँ पहिने नारी नीयत खराब भ’ गेल अछि जे अपन भौतिक सुख लेल कोनो वृत्ति पर उतारू भ’ गेल करैत छथि।
 
एतय कहय चाहब जे १००% लोक पर उपरोक्त कथा-दृष्टान्त कथमपि नहि लागू होइत अछि, लेकिन ई विचित्र सत्य सरेआम देखय लेल भेटबाक कारण बस अपन पाठकक नजरि मे विषय प्रवेश करेबाक लेल ई लेख लिखल अछि।
 
हरिः हरः!!

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