— उग्रनाथ झा।
जहन मातृभाषाक चर्चा होएत छैक त सहजहि भाव परिलक्षित होएत जे ” माय’क भाषा ” यानी माय जे बजैत होथि ओ भाषा । किएक त नेनपनहि स’ ओहि भाषाके सुनबा आ बजबाक प्रति अनुराग भरल रहैछ । ताहि हेतु ओ कोनो भी भाषा हो ओहि भाषी लेल अति प्रिय आ स्वाभिमान होएत छैक । कहल जाएत छैक जे जीव मात्र अपन अभिव्यक्ति जे ध्वनि उत्पन्न करैत छैक ओ ओहि जीव’क बोली कहल जाए छैक । जहन ओ बोली के’ भाषा विज्ञान/ व्याकरण , शब्द भंडारक , कसौटी पर कसल जाए छैक तखन ओ भाषा’क स्थान पबै छैक । ओहि भाषाक निरूपण लेल अपन लिपि ओकरा सशक्तता प्रदान करैत छैक । जौ देखल जाए एहि मानक पर सोलह आना ठाढ़ होएत छथि हमरा सभक मातृभाषा मैथिली । एकर वैज्ञानिकता , व्याकरणक कसौटी पर कसल , समृद्ध शब्द भंडार आ लिपि सं सजल स्वरूप विश्वक सभ भाषाक बीच निस्सन स्थान दिआबैत छैक । एकर साहित्यिक सृजनात्मक ऐतिहासिकताक मुकाबला में ककरो स’ दुबर नहि ।मुदा तखनहुं आई धरि ई भाषा स्थान मान सम्मान लेल चहुंदिश अपना सं घेराएल टुगर बनल छैक । जे हमरा समस्त मैथिल लेल सोचनीय प्रश्न थीक।
आखिर सोचनीय प्रश्न जे करोड़ों मैथिलक मातृभाषा एना उपेक्षित किएक ? जहां तक हमर चिंतन आ अध्ययनशीलता सं ज्ञात भेल जे आपसी समन्वय आ मतभेद के कारण जेना पैतृक सम्पत्तिक हृास होएत छैक ,ठिक तहिना हमरा लोकनिक मातृभाषा पैतृक सम्पतिक बंटवाराक बलि चढ़ल छथि । एकर समग्रता के अक्षुण्ण बनाक’ रखबाक स्थानापन्न भयबट्ट कए क’ सत्यानाश क देल गेल । आपसी रगड़घस के परिणाम छैक जे आई जन जन के बीच अभिव्यक्ति के रूप में मैथिली त छथि , मुदा हृदय स’ मातृत्वक सम्मान विलोपित भ गेल छैक । आई हमरा सभ ततेक खंड खंड भेल छी जे ओकरा जोड़बा लेल ओ हिम्मती दर्जी नहि भेंट रहल छैक । विगत सौ बर्ष सं लगभग मैथिली के स्थान दिएबाक लेल मैथिल लोकनि प्रयासरत छथि मुदा सफलताक दूर दूर तक आश नै देखाए छैक ।जेकर किछु कारण छैक
1)मैथिली के क्षेत्रीय आधार पर बंटवारा जेना – अंगिका , बज्जिका , खोरठा , मैथिली इत्यादि । जेना की हमरा सभ जनै छि कहल जाए छैक कोस कोस पर पानी बदले, तीन कोस पर वाणी । त सहजहि छैक जे एतेक विस्तृत भुभाग पर बाजल जाए वाला मैथिलीक शैली में परिवर्तन होएत । जेकर शैलीक अंतर के कारण एक दोसराक बोल के मैथिलीक मानक भाषा नहि होमय के दोषारोपणक प्रतिफल जे एकहि मैथिली पर दियादी बंटवाराक सीमा घिचाएल । जे सतत कमजोर करैत रहल ।उदाहरण दिल्ली, हरियाना, पंजाब आपस में सटल रहबाक बादो हिन्दी बजबाक शैली अलग छैक ,जखन की लिखबाक शैली समान छैक । मुदा ओकरा हिन्दिए कहल जाएछ।
2) मैथिलीक जातीय आधार पर बंटवारा जेना – ठेठ भाषा , ररहा भाषा , सोतियामी भाषा इत्यादि । जेना हमरा सभ जनै छि जे कोनो भी भाषाक अभिव्यक्ति मौखिक आ लिखित रूप में उच्च मापदंड करबाक लेल शिक्षित भेनाए जरूरी होएत छैक । जे जतेक शिक्षित हुनकर अभिव्यक्ति ओतेक शुद्ध । मुदा जखन शिक्षित वर्ग के द्वारा अल्प शिक्षित पर सिर्फ प्रभाव जमेबाक लेल ओकर भाषा के हीन आ अवैज्ञानिक करार देल जाए त निश्चय दरार उत्पन्न होएत छैक ।किएक कोनो व्यक्ति जाहि माहौल परिवेश में नेनपन सं जे अभिव्यक्ति करैत रहल ओ ओकरा लेल सर्वोपरि छैक ।ई दरारि जे दिनों दिन एकटा विशेष जनबल समुह के मातृभाषाक अनुराग सं दूर करैत रहल । फलत: कमजोर होइत गेलहुं।
3) किछु प्रबुद्ध जन जौ एकरा समग्र जुड़ाव के प्रति समर्पित रहला त किछु आत्ममुग्ध भाषाक ठिकेदार अपन कुचक्र सं एहि दरारि के सतत कोरियाबैत रहल । जे आई धरि मातृभाषाक के एकोर केने जा रहल छैक ।
उपर्युक्त बिन्दू पर सम्यक विचारोपरांत दृष्टिगत होएत छैक जे मैथिलक आपसी द्वेषक प्रतिफल जे मैथिली आई दछिनाहा, पछिमाहा, सोईतपूरा बड़का छोटका के भाषाक गोधियागोधौबली के कुचक्र में फंसीं कुंठित छथि। हमरा सभ सरकार के द्वारा रचित कुचक्र कहैत छि मुदा जौ निष्पक्ष भाव सं देखब त ठिक ओहिना लागत जेना चारि भाई के बीचक झगड़ा में पंचपरमेश्वर अपन निजगूत निर्णय नहि क पएबाक कारणे बैसारक दिन आगु बढ़ादैत छथि। तहिना मैथिलीक हित में सरकार सतत करैत रहल छैक ।जेहो कनि मनि बाट पर रहैत छैक से आपसी घमर्थन देख ओकरो टांग घीच के पटैक दैत छैक । फलस्वरूप जे भाषा शिक्षा आ रोजगारक साधन होए छैक ओकरा घोंघाउजक कारणे शिक्षामे धीरे धीरे लुप्त करैत जा रहल छैक रोजगार त दूरक बात छैक । चेतबाक छैक मैथिल केँ । बंगाल में बंगाली अनेकों शैली में बाजल जाए छैक , अनेक शब्द के अंतर छैक तत्पश्चात बंगाली भाषा के श्रेणी समान छैक त ओकर मातृभाषा सशक्त आ स्वाभिमान के परिचायक छैक ।
निदान – जाहि दिन मैथिलक हित पोषण लेल सृजित संस्था आ समर्पित मैथिली सेवी समग्र मैथिल यानी बड़का ,छोटका , मूर्ख , विद्वान, दक्षिण सं उत्तर , पूब सं पश्चिम मिथिलाक के एकीकृत क मातृभाषाक अनुरागक दीप हृदय में जरा देता ओहि दिन मैथिली विश्वकीर्तीमान स्थापित करैत हिंदभाल पर दैदीप्यमान रहतीह ।एहि लेल हमरा लोकनि के समस्त मैथिलक बोली के मैथिली मानय पड़त ओकरा ओहि रूप में अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता देमय पड़त । तखनहि मैथिलीक कल्याण होएत । जेना विश्व भरि में चतरल अंग्रेजी स्थान विशेषक विशेषता अपना में समेटि इंडियन इंग्लिश लिटरेचर, ब्रिटिश इंग्लिश लिटरेचर, अमेरिकन इंग्लिश लिटरेचर कहाएत छैक तहिना दक्षिण मैथिली साहित्य , पश्चिम मैथिली साहित्य , इत्यादि रूपेण अंगीकृत करब तखनहि समग्र मिथिलाक मैथिली समाहित होएत । अन्यथा बहूत देरी भ चुकल अछि ।
विशेष अगिला सत्र में……