“मिथिलाक लोककेॅं अपन मातृभाषाक प्रति उदासीनता आर ताहि हेतु निदान।”

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— रिंकू झा।     

  • जन्म सँ हम जाहि भाषा के प्रयोग करै छी,जे भाषा हम अपन माता -पिता, परिवार, समाज आर आस -पास के वातावरण स सीखै छी ओहे होई छै मातृभाषा ।
    कोनो भी क्षेत्र के पहचान ओहि क्षेत्र के भेष-भूषा, खान-पान आर रीति -रिवाज यानी संस्कृति के साथ -साथ ओहि क्षेत्र के भाषा सं होई छै। भाषा सहजता सं बुझा देत जे कोन व्यक्ति कोन क्षेत्र के छैथ
    । मैथिली भाषा सब सं सुंदर आर मधुर भाषा अछि , अही भाषा में जे मिठास छै ओ आर कोनो भाषा में नहीं छै । समस्त मिथिलावासी के लेल ई गर्व के बात छै जे मैथिली भाषा के अप्पन लिपि ,ब्याकरण ,पंचाग , मिथिला पेंटिंग आर एक स एक साहित्य, पोथी छै ।
    लेकिन ई एक टा विडंबना कही सकै छी जे जाहि मैथिली भाषा के संविधान के आठम अनुसूची में शामिल कऎल गेल ओहि भाषा के प्रति मिथिलावासी के अंदर उदासीनता के रुख देख रहल छी,हम सभ कहै के लेल मैथिल छी, मुदा मिथिलाक सभ्यता स दुर भय रहल छी , किया कि मैथिली बाजऎ में हमरा अहा के शर्म आबैया, अपना आप के मैथिल कहै स बचै छी ,देखू न बच्चा सभ के मैथिली बाजऎ अबिते नहीं छैन ,लीखब त दुर , मिथिलाक्षर बुझीतो नहीं छथिन । युवा पीढ़ी सब मैथिल कहबै में संकोच करै छैथ त बजता की , अपना भाषा के छोड़ी आन भाषा पर बेशी ध्यान दै छथीन जेना – हिन्दी , अंग्रेजी , आर देथिन किया नहीं अभिभावक सब सेहो ईहेऽ चाहै छैथ की हुनकर बच्चा फटाफट अंग्रेजी में बाजऎन ।साल भरूक बच्चा हेता नै की गिटिर-पिटिर अंग्रेजी शुरु कऽ दै छथीन बाजब बच्चा संगे । गली-गली में अंग्रेजी मीडियम स्कूल भेटत जाहि मे क्षेत्रीय भाषा के पाठ्यक्रम नहीं के बराबर भेटत ,।एक स एक अभियानी , राजनीतिक दल , सरकारी संगठन सब बरका-बरका भाषण देतैथ मातृभाषा बचाऊ बच्चा सभ के मैथिली बाजऎ सिखाउ मुदा घर में आबि अपना बच्चा संगे हिंदी आर अंग्रेजी में बजतैथ । खास कऽ शहर में रहै बला बच्चा सब माय -बाप स पुछीयौन त कहतैथ मैथिली बुझबे नहीं करै छै,बुझथिन केना अंहा सिखेबे नहीं केलियैन । सालो साल गाम घर स मतलबे नहीं रखलीयै ,दादी – नानी स खिस्सा पेहानी कि सुनतैथ बुझबे नहीं करथीन , अही सब में बच्चा के की दोष हम आहां बजीते नहीं छी त ओ कि बजता। एक टा कहबि छै जे कोनो भी भाषा के लोकप्रियता ताबे तक नहीं भेटै छै जा धरि ओहि भाषा के प्रयोग बेशी स बेशी लोक नहीं करै छैथ। हमर कहब ई कदापि नहीं अछि की आहां दोशर भाषा नहीं सीखू जुग के माँग छै सिखब किया नहीं जतेक सिखब ओतेक उत्तम मुदा अपन मातृभाषा जरुर एबाक चाही बेशी नहीयो कम स कम ओही क्षेत्र के लोकगीत, कथा कहानी,दोहा,पहाड़ा ,आर बोल -चाल के भाषा एबआक चाहि ।कहै छै न
    निज भाषा उन्नति अहै ,सब उन्नति को मूल।
    बिन निज भाषा ज्ञान के ,मिटै न हिय के शुल ।।
    अथार्त – अपन मातृभाषा के बिना कोनो प्रकार के उन्नति संभव नहीं अछि, बंगाली, पंजाबी, आसामी, उड़िया सभ कतहुं रहैथ मुदा ओ अपन घर में अपन भाषा के महत्व दै छैथ , मुदा मैथिल सभ शहर कि अबै छैथ अपन गाम -घर समेत भाषो बिसैर जाई छैथ। पश्चिमी सभ्यता के होड़ में युवा पीढ़ी सब अपन भाषा, संस्कृति सब किछु के बिसरने जा रहल छैथ ।
    मिथिला में सब तरहक संसाधन अछि जेना – सुंदर भुमी, प्रयाप्त जल , स्वच्छ बायु , बहुजन समाज,एक स एक महारथी सब छैथ तखनो हम एतेक पाछु किया छी , अप्पन भाषा बाजऎ में संकोच किया।
    ओना त मैथिली भाषा केर प्रचार -प्रसार जोर -सोर स चली रहल अछि, मुदा अहि बिषय पर हमरो अहां के ध्यान देबय परत जेना -अपन -अपन बच्चा सब स घर -परिवार में मैथिली में बाजी , मिथिला के संस्कृति स बच्चा सब के जोड़ने रही , मैथिली पोथी, लोकगीत, कथा आर साहित्य के बढावा दी । स्कूल, कलेज में मैथिली में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य रूप स प्रारंभ कयल जाए । माता पिता के चाहि कि काज परोजन में बच्चा सब के गाम घर लय क आबि ,अपन रीति रिवाज स बच्चा सब के अवगत कराबि , ।
    सरकार, शिक्षा विभाग, समाज,आर अभिभावक सब मिलि -जुली अहि क्षेत्र में अपन प्रदर्शन देखावैथ ,शोसल मिडिया अहि क्षेत्र में सेहो सकिर्य भुमिका निभा सकै छैथ , मिथिलाक्षर सिखै पर जोर देल जाए , मिथिलावासी चाहैथ तऽ कि नहीं हेत ,।
    कोनो भी भाषा के लुप्त भेनाई मतलब केवल ओ भाषा लुप्त नहीं होई छै बल्कि ओहि भाषा के साथ-साथ ओहि क्षेत्र के इतिहास, संस्कृति,आर सभ्यता सब लुप्त भऽ जाई छै,आर ई केवल ओहि क्षेत्र के नहीं बल्कि पुरा देश के लेल नुकसान होई छै तऽ चलु सब गोटे मिली मिथिला, मैथिल आर मैथिली भाषा केर उत्थान लेल जोर -शोर सं कदम बढाबि
    जय मिथिला जय मैथिली