अभियानक सफलता लेल सार्थक योगदान आवश्यक

अभियानक फुल – कागज के या असली?

एकटा कहावत छै न ओ हिन्दीवला – ‘खुश्बू आ नहीं सकती है कागज के फूलों से’? ई कहावत छै आ कि शायरीक हिस्सा, जे हो, लेकिन बहुत बच्चे सँ हमरा पर ई गहींर छाप छोड़ने अछि। किनको मोन हुए त कनी पूरा लिखि देब। किदैन त कहय छय… बनावट के ऊसूलों से… कागज के फूलों से… एना मिलेने छय।
 
एकर विश्लेषण अपने सब केना करैत छियैक? ई बड प्रासंगिक अछि आइ सोशल मीडिया आ हाथे-हाथे एन्ड्राइड मोबाइल व कैमरा सुविधा रहलाक कारण मुंह आ देह के पोज दैत फोटो खींचा-खींचा पोस्ट करय मे। भाइ, सुविधा छैक सब लग, सब फोटो खिचबैत अछि आ पोस्ट करैत अछि, एहि मे हमर माथा कियैक दुखायत? खूब करथि लोक। लेकिन कोनो अभियान मे जखन लोक फोटो खिचबैत अछि आ यथार्थ परिवर्तन के काज नहि करैत अछि तखन त ‘मिथ्याचार’ के आरोप लगबे करतय न?
 
याद अछि ‘स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत’ एकटा बेहतरीन मिशन भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी चलौलनि। बाप रे बाप! आब त चारू दिश हाथ मे दास्ताना, नाक-मुंह पर मास्क आ फेर झाड़ुक पोनाठी मे बड़का बम्बुक लगाकय भीड़ लगाकय सफाइ करैत आ फोटो खिचबैत लोकक झड़ी लागि गेल।
 
अपन मिथिला मे सेहो बहुत रास ट्रेन्ड आयल। मैथिली-मिथिलाक हित-संरक्षण लेल काफी रास चिन्तन सब आरम्भ भेल। फोटो सब खिचेनाय शुरू भ’ गेल। आब त लगभग १३ वर्षक कयटा रेकर्ड सोझाँ देखैत छी। परिवर्तन कतेक भेल?
 
दहेज मुक्त मिथिला अभियानक १२ वर्ष बीति गेल। १३म् वर्ष मे चलि रहल छी। जगह-जगह समूह मिलन समारोह सब भ’ रहल अछि। गतिशीलता यथासम्भव अछि। लेकिन जतेक हेबाक चाही ततेक नहि अछि। कियैक? कियैक त –
 
१. ई अभियान कहियो सरकारी पैसा पर एनजीओ जेकाँ नहि चलल।
२. एक मुठ्ठी चाउर दे, घुरमा लगाय दे – एहि तर्ज पर यथासम्भव प्रयास सँ मात्र चलैत अछि थोड़-बहुत अभियान।
३. गोटेक दानी-महान सहयोगी सज्जन सब सोझाँ आबि सहयोग कय दैत छथि त थोड़ बहुत बढ़ पबैत छी।
४. कतहु आयोजन राखू त स्वच्छ हृदय सँ सोझाँ आबि ओकर लाभ उठेनिहार कम आ परोक्ष कौचर्य व निन्दा करनिहार बेसी छथि।
५. दहेज मुक्त विवाह केँ बढावा देबाक लेल बायोडाटा आदान-प्रदान करबाक परम्परा केँ बढाउ, बढाउ चिकरैत-भोकरैत रहि जाइत छी, मुदा अपन समाजक बहुल लोक कान मे तूर-तेल डालि सुति रहैत छथि, अन्ठा दैत छथिन।
 
आबि कि कयल जाय?
 
कि दहेज मुक्त मिथिला केँ ‘कागज के फूल’ बनाकय सुगन्ध पसारबाक सोच रखैत छी हमरा लोकनि?
आवश्यक ई छैक जे हरेक समाज मे जागृतिक स्तर उच्च हो आ सार्थक परिवर्तन लेल सहकार्य सँ अभियान केँ बढायल जाय। अभियान कथमपि कोनो एक व्यक्ति या पोस्टर ब्वाइ के नाम पर सफल नहि भ’ सकैत अछि, तेँ अभियान प्रति आम समाज मे स्वामित्वक भावनाक प्रसार हो आ सब कियो आपस मे मिलिजुलि सकारात्मक डेग सब उठबैत रहथि।
 
हरिः हरः!!