“सोशल मिडिया एकटा एंटी बायोटिक जकाँ होइत छैक।”

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— कीर्ति नारायण झा।     

मिथिलाक बहुचर्चित मैथिली गीत गायक दिलीप दरभंगिया के प्रसिद्ध गीत “मेसेंजर पर मैसेज करबौ, दिल के हमर मलकाइन, तू ऑनलाइन रहियें” मिथिलाक के गली मोहल्ला मे गुंजैत रहैत अछि। एक आदमी सँ पता चलल जे एकटा बर कनियाँ के बिवाह व्हाटसेप के द्वारा ठीक भऽ गेलैक आ दहेजक कोन बात बिवाहक खर्च सेहो किछु नहि भेलैक आ दुनू के बिवाह मंदिर में भऽ गेलैक मुदा एकटा आओर दुखद घटना के पता चलल जे एस एम एस के माध्यम सँ हनीट्रेप के शिकार एकटा बड्ड नीक लोकक बेटा के जिनगी के तवाह सोशल मीडिया के माध्यम सँ भऽ गेलैक तें अपना सभक ओहिठाम एकटा कहबी छैक जे” अति सर्वत्र वर्जयेत” अर्थात् जखन कोनो चीज लिमिट सँ बेसी होइत छैक तऽ ओकर सदैव खराब प्रभाव पड़ैत छैक। यएह होइत छैक सोशल मिडिया के उपयोग के विषय में। एहि मे उपयोगकर्ता पर निर्भर करैत छैक जे एकर उपयोग सकारात्मक उपयोग के रूप में कऽ रहल छैथि अथवा नकारात्मक उपयोग के रूप में। ओना आइ काल्हि के दुनिया पूर्ण रूप सँ डिजिटलाइज भऽ गेल छैक आ जमाना के अनुरूप एकर स्वीकार्यता शत प्रतिशत भऽ गेल छैक। पहिले लोक के कुशल क्षेम केर जानकारी पाँच सात दिन बाद पोस्ट कार्ड, अंतर्देशीय अथवा लिफाफ के माध्यम सँ भेटैत छलैक मुदा आब जखन चाही तुरंत भेटि जाइत छैक। गामक लोक आब दुर्वाक्षत के मंत्र जे कनेक कठिन होइत छैक ओ फेसबुक अथवा ट्विटर के माध्यम सँ पढि कऽ माँगलिक काज सम्पन्न करैत छैथि। सोशल मिडिया के माध्यम सँ परिवार में कोना सामंजस्य बना कऽ राखल जाइत अछि ओ नीक – नीक लेख पढि कऽ प्राप्त कयल जा सकैत अछि। नीक सँ नीक बस्तु उचित दाम में कीनवाक लेल समुचित ज्ञान सोशल मीडिया के माध्यम सँ प्राप्त कयल जा सकैत अछि। मुदा एकर उपयोग अत्यंत सावधानी पूर्वक करवाक चाही नहिं तऽ सावधानी हँटल आ दुर्घटना घटल जाहि ठाम ओटीपी के माध्यम सँ खून पसीना सँ कमाओल गेल पाइ एक सेकेंड में साफ सेहो भऽ जाइत छैक। बच्चा आइ काल्हि ओ काठ बला खिलौना अथवा रंग बिरंग के गुड्डी गुड़िया के छोड़ि मोबाइल के अप्पन खेलौना बनबैत अछि ओहि मे सावधानी रखनाइ आवश्यक। डाक्टर केर अनुसार मोवाइल के एक्स्ट्रा रेज सँ बच्चा के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ैत छैक ओना आवश्यकता सँ अधिक एकर उपयोग सभक लेल हानिकारक मानल जाइत छैक। धिया पूता पहिले फुटबाल, क्रिकेट, वालीबॉल इत्यादि खेल खेलाइत छल जाहि सँ ओकर स्वास्थ सेहो ठीक रहैत छलैक, आइ काल्हि के धिया पूता घर में घुसल रहि कऽ सोशल मिडिया में पैसल रहैत अछि जाहि सँ ओकर शारिरिक विकास नहिं भऽ पबैत छैक जकर पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ैत छैक। सोशल मिडिया के बेसी उपयोग करवाक कारणे लोक पारिवारिक सदस्य सँ मिलवाक प्रक्रिया सँ दूर भऽ जाइत अछि जाहि सँ पारिवारिक आ सामाजिक बैमनस्यता बेसी भऽ जाइत छैक। एकर बेसी उपयोग सँ स्वास्थ पर सेहो प्रतिकूल प्रभाव पड़ैत छैक, अक्सर आदमी आलसी भऽ जाइत अछि, आँखि पर बहुत प्रभाव पड़ैत छैक, आ मानसिक तनाव में सेहो वृद्धि होइत छैक। घरबला आ घरबाली अपन अपन मोबाइल पर ब्यस्त रहवाक कारणे पारिवारिक सम्बन्ध पर सेहो एकर दुष्प्रभाव पड़ैत छैक। निष्कर्ष के रूप में कहल जा सकैत अछि जे सोशल मिडिया एकटा एंटी बायोटिक जकाँ होइत छैक जकर उचित उपयोग सँ बैक्टीरिया सँ मुक्ति भेटैत छैक आ आवश्यकता सँ बेसी उपयोग कयला पर उपयोगकर्ता स्वयं पारिवारिक, सामाजिक आ राष्ट्रीय उत्तरदायित्व सँ दूर भऽ कऽ खतरनाक बैक्टिरिया सँ आक्रांत भऽ जाइत छैथि। सोशल मिडिया के विषय में दू पांती हिन्दी में “बूढी हो गयी नन्ही आँखें, आ गए चश्मों के दौर। डब्बे में बन्द है खेल खिलौने, चुप हैं वो बचपन के शोर”