ई १६ चक्रवर्ती राजा छथि भारतवर्षक निर्माता – भाग ३

मैथिली जिन्दाबाद पर पढू भारतवर्षक निर्माता १६ चक्रवर्ती सम्राटक खिस्सा

संकलन: अनिरुद्ध जोशी ‘शतायु’

अनुवाद: प्रवीण नारायण चौधरी

(एहि सँ पूर्व २ टा आलेख प्रकाशित कैल जा चुकल अछि, मैथिली जिन्दाबाद केर आर्काइव – पुरान पोस्ट्स मे देखी)

मैथिली जिन्दाबाद पर पढू भारतवर्षक निर्माता १६ चक्रवर्ती सम्राटक खिस्सा
मैथिली जिन्दाबाद पर पढू भारतवर्षक निर्माता १६ चक्रवर्ती सम्राटक खिस्सा

चन्द्रगुप्त मौर्य : सम्राट चन्द्रगुप्त महान छलाह। हुनका ‘चन्द्रगुप्त महान’ कहल जाइत अछि। सिकंदर केर काल मे भेला चन्द्रगुप्त द्वारा सिकंदर केर सेनापति सेल्युकस केँ दुइ बेर बंधक बनाकय छोड़ि देल गेल छल। सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य केर गुरु चाणक्य छलाह। चन्द्रगुप्त मौर्य सेल्युकस केर पुत्री हेलन सँ विवाह केने छलाह। चन्द्रगुप्त केर एक भारतीय पत्नी दुर्धरा छलीह जिनका सँ बिंदुसार केर जन्म भेल।

चन्द्रगुप्त अपन पुत्र बिंदुसार केँ गद्दी सौंपि देने छलाह। बिंदुसार केर समय मे चाणक्य हुनक प्रधानमंत्री छलाह। इतिहास मे बिंदुसार केँ ‘पिता केर पुत्र और पुत्र केर पिता’ कहल जाइत अछि, कियैक तऽ ओ चन्द्रगुप्त मौर्य केर पुत्र और अशोक महान केर पिता छलाह।
चाणक्य और पौरस केर सहायता सँ चन्द्रगुप्त मौर्य मगध केर सिंहासन पर बैसला और चन्द्रगुप्त द्वारा यूनानी सबहक अधिकार सँ पंजाब केँ मुक्त कराओल गेल। चन्द्रगुप्त मौर्य केर शासन-प्रबंध बड़ व्यवस्थित छल। एकर परिचय यूनानी राजदूत मेगस्थनीज केर विवरण और कौटिल्य केर ‘अर्थशास्त्र’ सँ भेटैत अछि। हुनक राज्य मे जनता हर तरहे सुखी छल।
चन्द्रगुप्त मुरा नाम केर भील महिलाक पुत्र छलाह। ई महिला धनानंद केर राज्य मे नर्तकी छली जिनका राजाज्ञा सँ राज्य छोड़िकय जेबाक आदेश देल गेल छलनि और ओ महिला जंगल मे रहिकय जेना-तेना अपन दिन बिता रहल छलीह। चन्द्रगुप्त मौर्य केर काल मे एक शक्तिशाली राष्ट्र छल।
अशोक : अशोक महान प्राचीन मे मौर्य राजवंश केर राजा भेलाह। अशोक केर दादाक नाम चन्द्रगुप्त मौर्य छल और पिताक नाम बिंदुसार छल। बिंदुसार केर मृत्यु 272 ईसा पूर्व मे भेल जेकर बाद अशोक राजगद्दी पर बैसला। मानल जाइत अछि जे अशोक केर मार्ग दर्शन चाणक्यक बाद 9 रहस्यमयी पुरुष द्वारा भेल छल।
अशोक महान केर समय मौर्य राज्य उत्तर मे हिन्दुकुश केर श्रेणी सँ लैत दक्षिण मे गोदावरी नदीक दक्षिण मैसूर धरि तथा पूर्व मे बंगाल सँ लैत पश्चिम मे अफगानिस्तान धरि छल। बस ओ कलिंग केर राजा केँ अपना अधीन नहि कय पेला। कलिंग युद्ध केर बाद अशोक महान गौतम बुद्ध केर शरण मे चलि गेला।
महात्मा बुद्ध केर स्मृति मे ओ एकटा स्तंभ ठाढ करौलनि, जे आइयो नेपाल मे हुनक जन्मस्थली लुम्बिनी मे मायादेवी मंदिर केर पास अशोक स्तंभ केर रूप मे देखल जा सकैत अछि।
सम्राट अशोक केँ अपन विस्तृत साम्राज्यक बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म केर प्रचार लेल जानल जाय लागल। अशोक केर काल मे बौद्ध धर्म केर जैड़ मिस्र, सऊदी अरब, इराक, यूनान सँ लैत श्रीलंका और बर्मा, थाईलैंड, चीन आदिक क्षेत्र मे गहिंराइ धरि जैम गेल छल। हुनकर समय मे एहि संपूर्ण क्षेत्र मे शांति और खुशहाली व्याप्त भऽ गेल छल। कतहु कोनो तरहक युद्ध नहि, सिर्फ बुद्ध केर गुंज छल।
पुष्‍यमित्र शुंग : बौद्ध धर्म केँ प्रचारित और प्रसारित करबा मे भिक्षु सँ बेसी योगदान अशोक केर छल। चंद्रगुप्त मौर्य जतय चाणक्य केर सान्निध्य मे सनातन हिन्दू धर्म केँ संगठित कय राजधर्म लागू केने छलाह ओतहि हुनकर पोता सम्राट अशोक कलिंग युद्ध उपरान्त बौद्ध धर्म अपनौलनि। बौद्ध धर्म अपनेलाक बाद अशोक राजपाट नहि छोड़लनि बल्कि एकटा बौद्ध सम्राट केर रूप मे लगभग 20 वर्ष धरि शासन केलनि। ओ अपने पूरा शासन तंत्र केँ बौद्ध धर्म केर प्रचार व प्रसार मे लगा देला। जखन मे नौम बौद्ध शासक वृहद्रथ राज कय रहल छलाह, तखन ग्रीक राजा मीनेंडर अपन सहयोगी डेमेट्रियस (दिमित्र) केर संग युद्ध करैते सिंधु नदीक पास धरि पहुंचि चुकल छल। सिंधु केर पार ओ भारत पर आक्रमण करबाक योजना बनौलक। यैह मीनेंडर या मिनिंदर केँ बौद्ध साहित्य मे मिलिंद कहल जाइत छैक।
किंवदंति केर अनुसार ओ सीमावर्ती इलाकाक किछ बौद्ध भिक्षु केँ अपना संग मिला लेलक। ओ कहलक जे यदि अहाँ सब भारत विजय मे हमर संग देब तऽ हम विजय केर पश्चात बौद्ध धर्म अंगीकार कय लेब। हालांकि ‘मिलन्दपन्हो’ मे मिलिन्द एवं बौद्ध भिक्षु नागसेन केर मध्य सम्पन्न वाद-विवाद केर परिणामस्वरूप मिलिन्द सेहो बौद्ध धर्म स्वीकार केने छल नहि कि शर्त पर।
माना जाइत अछि जे बौद्ध भिक्षु केर वेश धारण कय मिनिंदर केर सैनिक मठ मे आबिकय रहय लागल। हजारो मठ मे सैनिक केर संग-संग हथियार सेहोनुकाक राखि देल गेल। एहि गति‍विधिक जानकारी बौद्ध सम्राट वृहद्रथ केर सेनापति पुष्यमित्र शुंग केँ लागि गेल।
पुष्यमित्र सम्राट वृहद्रथ सँ मठ केर तलाशी लेबाक आज्ञा मांगलनि, परंतु बौद्ध सम्राट वृहद्रथ ई कहैत मना कय देला जे अहाँकेँ फालतूक संदेह अछि। लेकिन पुष्यमित्र शुंग एक हिन्दू होइतो राष्ट्रभक्त छलाह। ओ राजाज्ञा केर पालन केने बिना मठ केर तलाशी लेलनि और सब भिक्षु केँ पकड़ि लेलनि और भारी मात्रा मे हथियार जब्त कय लेलनि, परंतु वृहद्रथ केँ आज्ञाक उल्लंघन नीक नहि लगलनि।  हालांकि एहि बात सँ कतेको लोक इनकार सेहो करैतो छथि।
कहैत छैक जे पुष्यमित्र शुंग जखन वापस राजधानी पहुंचला तखन सम्राट वृहद्रथ सेना परेड लैत जांच कय रहल छलाह। ओहि दौरान पुष्यमित्र शुंग और वृहद्रथ मे कहासुनी भऽ गेल। कहासुनी एतेक बढ़ि गेल जे वृहद्रथ सेहो तलवार निकालिकय पुष्यमित्र शुंग केर हत्या करय चाहला, लेकिन सेना केँ वृहद्रथ सँ बेसी पुष्यमित्र शुंग पर भरोसा छल। सेना मे बौद्ध सेहो होइत छल और हिन्दू सेहो। पुष्यमित्र शुंग ओतहि वृहद्रथ केँ वध कय देला और फेर ओ स्वयं सम्राट बनि गेला। अही दौरान सीमा पर मिलिंद सेहो आक्रमण कय देलक।
फेर पुष्यमित्र अपन सेना केर गठन केला और भारत केर मध्य धरि चढ़ि आयल मिनिंदर पर आक्रमण कय देला। भारतीय सैनिक केर सोझाँ ग्रीक सैनिक केर एको नहि चलल। अंतत: पुष्‍यमित्र शुंग केर सेना सेहो ग्रीक सेनाक पाछाँ करैते ओकरा सबकेँ सिन्धु पार धकेलि देलक।
किछु बौद्ध ग्रंथ मे लिखल अछि जे पुष्यमित्र बौद्ध सबकेँ सतौने छलाह, लेकिन कि ई पूरा सत्य अछि? कहैत छैक जे सम्राट ओहि राष्ट्रद्रोही बौद्ध केँ सजा देलक, जे ओहि समय ग्रीक शासक केँ संग दय रहल छल। मिलिंद पंजाब पर राज्य करनिहार यवन राजा मे सबसँ उल्लेखनीय राजा छल। ओ अपन सीमा केँ स्वात घाटी सँ मथुरा धरि विस्तार कय लेने छल। आबओ पाटलीपुत्र पर सेहो आक्रमण करय चाहि रहल छल।
पुष्यमित्र केर शासनकाल चुनौती सँ भरल छल। ओहि समय भारत पर कतेको विदेशी आक्रांता सब आक्रमण केलक, जेकर सामना पुष्यमित्र शुंग केँ करय पड़ल। पुष्यमित्र चारूकात सँ बौद्ध, शाक्यों आदि सम्राट सब सँ घेरायल छलाह। तैयो राजा बनि गेला पर मगध साम्राज्य केँ बहुत बल भेटल। पुराण केर अनुसार पुष्यमित्र करीब 36 वर्ष (185-149 ई.पू.) धरि राज्य केलनि। तेकर बाद हुनक राज्य केर जखन पतन भऽ गेल, तखन फेर सँ बौद्ध केर उदय भेल। हालांकि पुष्यमित्र शुंग केर बाद 9 और शासक भेला – अग्निमित्र, वसुज्येष्ठ, वसुमित्र, अन्ध्रक, तीन अज्ञात शासक, भागवत, देवभूति।
क्रमश:…….