“कला आ साहित्यमे लैंगिक समानताक दिशामे पहिल कदम छल महिलाक काज केर मान्यता”।

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— भावेश चौधरी।   

कोनो समाज आर संस्कृति के सुंदर रूप देबई में “कला आ साहित्य” केऽ अभिन्न भूमिका रहयऽ छै। सदियो सऽ कला आ साहित्य में महिला के प्रतिनिधित्व कम भ रहल अछि,आ ओकर आवाज के प्रायः चुप कराउल गेल अछि।लेकिन,पिछला किछु दशकऽ स कला आर साहित्य में महिला केऽ अधिक समावेशी आओर विविध प्रतिनिधित्व के तरफ महत्वपूर्ण बदलाव देखल गेलऽ अछि। अजुका ‘लेखनी के धार’ में महिला विमर्श पर कला आ साहित्य द्वारा उठाओल गेल कदम आ ओकर प्रभाव पर चर्चा करब।
कला आ साहित्य में लैंगिक समानता के दिशा में पहिलऽ कदम छेलै- “महिला के काज के मान्यता”। पहिने महिलाक कलात्मक आ साहित्यिक कृति केँ प्रायः अनदेखी कायल जाइत छल आ प्रायः खारिज कायल जाइत छल ! लेकिन २०वीं सदी में नारीवादी आन्दोलन के उदय भेल,जेकरऽ उद्देश्य महिला के काज के बढ़ावा देनाय आ कला और साहित्य मे लैंगिक असमानता के उजागर केनाई छेलै । महिलाक रचनाक एहि मान्यताक कारणेँ हुनक कलात्मक आ साहित्यिक योगदानक बेसी सराहना भेल छनि।
लैंगिक समानता के बढ़ावा दै लेल, कला आर साहित्य में जे कदम उठैलऽ गेलऽ छै,ओ छै -‘महिला केंद्रित रचना के निर्माण’।बहुत महिला लेखिका आर कलाकार एहन रचना बनाबय के विकल्प चुनलथि जे महिला के अनुभव के दर्शाबै छैन,जाहि में बेसी काल ओकरा सामने आबय वाला संघर्ष आर असमानता पर प्रकाश डाललऽ जाय छै।अहि स महिला अनुभव केऽ अधिक समझ पैदा भेलई आर पारंपरिक लैंगिक भूमिका आ रूढ़िवादिता के चुनौती दै में मदद भेटलै।
एतबे नै,मुख्यधारा के साहित्य आ कला में महिला के दृष्टिकोण आ अनुभव के बेसी समेटबाक प्रयास सेहो भेल अछि। साहित्य आ कला में महिला के प्रतिनिधित्व ऐतिहासिक रूप स विशिष्ट भूमिका आर रूढ़िवादिता तक सीमित रहलऽ छै, जेना कि अधीनस्थ पत्नी या मोहक मालकिन।लेकिन हाल के साल में महिला के अधिक विविध प्रतिनिधित्व के तरफ देखल गेलऽ, जेकरा में अनुभव आर दृष्टिकोण के विस्तृत श्रृंखला शामिल छै ।
एकरऽ परिणामस्वरूप साहित्य आर कला में महिला के अधिक सूक्ष्म आ यथार्थवादी चित्रण भ गेलऽ अछि ।
महिला के अनुभव के प्रतिबिंबित करै वाला रचना के निर्माण के अलावा बहुत महिला लेखिका आ कलाकार सेहो अपनऽ मंच के उपयोग लैंगिक समानता के वकालत करै लेल केलथि। बहुत रास नारीवादी लेखिका और कलाकार अपनऽ काज के उपयोग पारंपरिक लैंगिक भूमिका के चुनौती दै लेल आर महिला अधिकारऽ के बढ़ावा दै लेल केली। एहि स महिला के सामने आबि रहल मुद्दा के प्रति जागरूकता पैदा करबा मे मदद भेटल अछि आ परिवर्तन के प्रेरित करबा मे मदद भेटल अछि।
कला आ साहित्य द्वारा महिला बहस पर जे कदम उठायल गेलऽ छै ओकर एकटा महत्वपूर्ण प्रभाव छै कि ई उद्योग में महिला केऽ बढ़लऽ प्रतिनिधित्व । एहि प्रतिनिधित्व स सामने आबै वाला संघर्ष आर असमानता के उजागर करै में मदद भेलन,खास क लैंगिक आधारित हिंसा,कार्यस्थल पर भेदभाव,आरू प्रजनन अधिकारऽ के संबंध में।
निष्कर्षतः महिला विमर्श पर कला आर साहित्य द्वारा उठैलऽ गेलऽ कदमऽ स महिला के काज के पहचान, महिला केंद्रित रचना केऽ निर्माण, अधिक विविध दृष्टिकोण आर अनुभव केऽ समावेश, आ लैंगिक समानता केऽ वकालत, ई सब में अधिक समावेशी भेल।आर ई जरूरी छै कि हम सब महिला लेखिका आर कलाकारऽ के काज के समर्थन आर प्रचार-प्रसार जारी रखियै जाहि स हुनकऽ आवाज सुनलऽ जाय ।