“आयल वसंत मधुमास कि कुसुम फूलायल रे, ललना रे पसरल चहुँ मकरंद, कि गंध छिड़िआएल रे”

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— कीर्ति नारायण झा।       

“आयल वसंत मधुमास कि कुसुम फूलायल रे, ललना रे पसरल चहुँ मकरंद, कि गंध छिड़िआएल रे।. सुतल पलंग भय छत्तीस, तिरसठि कंत भेल रे, ललना रे मधुप करए अटखेल, मदन मन जागल रे…. मिथिलाक सुपरिचित कवि रैवती रमण झा “रमण” जी के लिखल” आयल वसंत मधुमास” में मधुमास केर चर्चा बहुत सुंदर ढंग सँ कयल गेल अछि । मधुमास, जाहि मास में समस्त वातावरण मधुमय भऽ जाइत अछि आ प्रकृति सेहो अपन मादकता पसारैत रहैत अछि।पतझड़रूपी विरह वेदना केर अन्त आ चारू कात पसरल हरियर प्रकृति आ सरिसो केर यौवनावस्था केर प्रतीक पीयर फूल, आमक मज्जर सँ टपकैत मधु केर आकर्षक बुन्द मधुमास केर आगमनक सूचना दैत विरहन केर मोन में आशा आ विश्वास केर संचार करैत अछि, कोयली केर मधुर स्वर वातावरणमे मादकता केर स्वर पसारि प्रकृति के रसमय करवा में सफल होइत अछि। गरम गुलाबी अनुभूति के संग लजाइत गर्म वसात केर संग मखमली जाड़ विरहन के आश भरोस के सशक्त करवाक लेल प्रयासरत रहैत अछि। मधुमाछी फूलक पराग के संग अपन मधुर आ मादक धुन मे रसपान करवाक लेल आगू पाछू करवाक लेल बेहाल अछि। सूर्य केर किरण गाछक दोग सँ झलकैत युगल के मन मोहि रहल अछि।आमक टिकुला के आकार के बढलाक कारणे आमक पल्लव ओकर भार सँ झुकल जा रहल अछि। अत्यन्त मनमोहक कमल फूल एहि मास मे उगैत प्रकृति के झंकृत करवाक सफल प्रयास करैत अछि। मधुमास में समस्त प्रकृति में प्रेम केर भाव परिदर्शित होइत अछि। ओना प्रेम शब्द एतेक महान होइत अछि जे ओकरा कोनो काल अथवा मास मे बान्हल नहिं जा सकैत अछि मुदा वातावरण के हिसाब सँ ई मधुमास एहि लेल सर्वथा उपयुक्त मानल जाइत अछि।शीतलहर केर अन्त आ हँसैत रौद केर चन्दनमय स्नान कवि के युगल जोड़ीक अनुपम ब्याख्या करवाक सुअवसर प्रदान करैत अछि । चारू कात वातावरण केर संगीतमय प्रसन्नता केर भाव वास्तव में कवि के मोन मे एकटा अलौकिक चेतनाक संचार करैत अछि जकरा कलमबद्ध कएनाइ अत्यन्त कठिन होइत अछि, कवि के मोन मे इ सिहकी मारैत काव्य के एक स्थान पर समेटनाइ असहज होइत छैक। प्रेमक अभिव्यक्तिक एहि मास मे हृदय आ लेखन कार्यक मादकता केर छिलकैत अभिव्यक्ति के समेटि एक स्थान पर मिलेवाक प्रयास वास्तव में एकटा उत्कृष्ट सृजन केर रूप धारण करैत अछि। अंत में प्रेमरूपी आस्थाक केंद्र बिंदु भगवान रामक जन्म केर दृष्टान्त “नवमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष अभिजीत नव प्रीता, मध्य दिवस अति शीत न धामा।पावन काल लोक विश्रामा। 🙏