— रिंकू झा।
प्रकृति के नियम छै कि समय -समय पर ऋतु परिवर्तन होय छै। अही नियम के अनुसार भारत में मुख्यत छः टा ऋतु होय छै , ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु,बर्षा ऋतु, हेमन्त ऋतु, शिशिर ऋतु आर बसंत ऋतु। सब ऋतु के अपन -अपन बिशेष महत्व छै। मुदा बसंत ऋतु यानी मधुमास के बाते अलग छै , मधुमास के अर्थ भेल चैत्र मास अर्थात मिलन आर प्रेम के मास।, मधुमास के प्रेम आर उल्लास के ऋतु मानल जाय छै । बसंत ऋतु के सब ऋतु के राजा कहल जाय छै। चैत्र सँ बैशाख ई दु टा मास मधुमास कहाबय छै । भारतीय परम्परा के अनुसार मधुमास के प्रारम्भ माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि अर्थात बसंत पंचमी स मानल जाय छै ।ई कहु जे शरद ऋतु के समाप्ति भय जाय छै आर बसंत के आगमन होय छै। अही ऋतु में नहीं त बेशी सर्दी रहै छै आर नहीं बेशी गर्मी ताहि हेतु मधुमास में प्रकृति के सब अंग मस्ती में झूमै लागै छै। प्रकृति के सौन्दर्यता अदृभुत रूप स निखरी जाय छै। जेना पुराण वस्त्र के उतारी कय मनुष्य नव वस्त्र धारण करै छैथ तहिना प्रकृति पतझड़ के त्यागी कय नव रुप मे पल्लवित भय सामने आबैय छैथ। पौराणिक कथा के अनुसार मधुमास भगवान कामदेव के पुत्र बसंत के आगमन के प्रतिक छै । रंग -रुप में सौन्दर्यता के प्रतिक कामदेव के पुत्र बसंत के उत्पत्ति के सुखद समाचार सुनी के समस्त धरती प्रफुल्लित आर मुग्ध भय जाय छै। अही मास में बुढ, बच्चा आर जबान सब के मन प्रफुल्लित रहै छै। शरद ऋतु के कंपकंपी बला ठंढी स दुर ई ऋतु श्रृष्टि में नवीनता के संचार करै छै । बाग, बगीचा में सब तरफ रंग -बिरंगक फुल गेंदा, गुलाब, बेली , चमेली, कचनार आदि खिलै लागै छै , ओहि पर रंग -बिरंगक तीतली सब मंडराय लागै छै । पोखरी -तलाव में लाल, पियर, गुलाबी, कमल के फुल खिला जाय छै , ओहि पर भंवरा सब उमैरी उमैर कय फुलक रस मधुपान करय लागै छै। नदी पोखैर मे कल-कल निर्मल पाइन बहैत आर ओहि मे पशु पक्षी के बिचरण देखी मन द्रवित भय जाय छै ।खेत, पथार मे चारु तरफ लहलहाईत हरियर -हरियर फसल देख किसान सब खुशी सं झुमी उठैया । गहुंँमक बाली खेत मे देखैत सोना जकां पसरल अदृभुत लागै छै। फसल के पाकै के समय भय जाय छै , चारु तरफ सरसो के पियर -पियर फुल देखै में लागैत रहै छै जेना पियर साड़ी मे जड़ी गढाय पहीरने छथि धरती माँ ,जेना नव कनियाँ सब सोलह श्रृंगार मे लागै छैथ सजने सबरने तहीना प्रकृति के छटा देखै में सुन्दर प्रतीत होय छै ।अकाश में लाइन लगा क उड़ैत हंसक झुंड श्वेत माला जंँका बड्ड मनभावन लागैत रहै छै देखै में।चंहु दिस गाछ, वृक्ष हरियर -हरियर पात स भैर जाय छै ,फल -फुल स लैद्ध जाय छै । आम मे नव मज्जरी भैर जाय छै, महु गाछ मे फर लुधैक जाय छै , नीम मे फर सेहो भरल रहै छै ।भोरे-भोर कोयली कुहकै लागै छै जकर बोल सुनी मन प्रसन्न भय जाय छै।चिड़ै-चुनमुन चहकै लागै छै । मनुष्य के अन्दर कोनो भी काज के प्रति रुचि बैढ् जाय छै ,कारण मन प्रफुल्लित रहै छै, ।भोर के घुमब नीक लागै छै, हबा -बसात मे टहलव प्रशन्नचीत राखै छै मनुष्य के।
कवि के दृष्टि संँ सेहो मधुमास प्रेरणा सँ भरल रोचक ऋतु रहै छै जाहि मे कवि रंग -बिरंगक कबिता रची लै छैथ प्रेम, श्रृंगार,विरह आर संवेदना स भरल ।
स्वास्थ्य के दृष्टि सं सेहो मधुमास बहुत महत्वपूर्ण छै,कारण अहि ऋतु में मनुष्य के भीतर नव रक्त के संचार होय छै , जाहि सं बहुत तरहक रोग अपने आप खत्म भय जाय छै ।खान -पान के हिसाब सं सेहो समय अनुकूल रहै छै , बहुत तरहक साग, सब्ज़ी,आर फल ,फुल सस्ता और सुलभ भेटै छै ।
अहि ऋतु में बहुत रास पाबनि -तीहार मनाएल जाय छै ,जेना बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा कहल जाय छै कि विद्या के देवी सरस्वती माँ के जन्मदिन अही मास में होय छै , अहि दीन सँ पृथ्वी पर समस्त प्राणी आर जीव-जन्तु के अन्दर बाणी के संचार भेल छल । होली, अबीर गुलाल स भरल बदन जे सब मतभेद मिटा दै छै लोक के मन स ,बुड़ाइ पर अच्छाई के जीत मानल जाय छै , फागक गीत गली-गली में गूंजैत रहै छै , नव विवाहित बर कनीयाँ मधुर प्रेम रस में शहद जकांँ घुली मिली जाय छैथ। रामनवमी अहि मास मे श्री राम जी के जन्मौत्सव मनाएल जाय छै । शिवरात्रि सेहो अही समय मे होई छै। प्रेम के प्रतिक कामदेव आर रति के मधुमीलन के उपहार बसंत अही समय मे भेल छी , आदि बहुत रास पाबनि सब अही समय मे रहै छै। माघ मास में संगम में कल्पबास मनेल जाय छै ।अहि मास सं खरमास समाप्त भ जाय छै आर शुभ लग्न सब शुरू भ जाय छै । चैत्र नवरात्री सेहो अही समय मे होय छै । मिलन मास के संग संग इ विरह के सेहो दर्शाबै छै नव विवाहिता सब अही मधुमास में अपना जीवन संगी के बहुत मन सँ याद करै छैथ जिनकर प्रितम नै रहै छथीन संग मे वो सब कतेक तरहक विरह के गीत के माध्यम स अपन प्रितम के रिझाबै छैथ कृष्ण आर राधा के विरह के प्रतिक मानी।
जेना – ककरा संग खेलब ऋतु बसंत
आयल फागुन दुर बसु कंन्त,
उड़ी-उड़ी कागा जाहु विदेश,
हमरो प्रभुजी सँ कहब उदेश ।।
मनुष्य के जीवन में जे स्थान यौवन यानी युवावस्था के छै वो हे स्थान ऋतु में मधुमास के छै । निस्संदेह मधुमास के आगमन स समस्त धरती पर नवजीवनक संचार भय जाय छै।
जय मिथिला जय मैथिली 🙏🏽
✍️ रिंकु झा, ग्रेटर नोएडा