“भारतीय सनातन परंपरामे सद्ति नारीक उच्चतम स्थान रहल अछि।”

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— उग्रनाथ झा।   

भारतीय सनातन परंपरामे सद्ति नारीक उच्चतम स्थान रहल अछि। एतेक तक जे नारी के पूजनीय मानल गेल छैक ।कहल जाए छैक जतय नारीक पूजा होईछ ओतय देवताक आवागमन (निवास) होए छैक । ताहि हेतु नारीक सद्ति श्रद्धाक नजरि सं देखल जाएत रहल छैक।ई भारतीय परंपराक अभिन्न अंग छैक।ताहि हेतु अपन उच्चस्थ मान रखबाक लेल नारि सद्ति लोक लज्जाक सिमामे बन्हाएल रहली । अपन देहरि के सिमान टपबा सं संकोचित रहली । जे हुनक मर्यादाके समाजमे दैदीप्यमान केने रहल ।मुदा इतिहास साक्षी रहल जे जखन जखन भारतीय समाजमे नारिक सीमान’क उल्लंघन क कियो भी सीमा टपबाक लेल मजबूर कयल त ओ लज्जाक प्रतिमूर्ति अपन ज्वालामुखी स्वरूप संग अदम्य उत्साह सऽ प्रतिकार केलैथ ।चाहे ओहि लेल सोझा साक्षात काल किऐक नहि हो ।जेना भिन्न भिन्न काल खंड में असुर संहार हेतु जगत जननी जगदम्बा अपन फराक फराक रूप धारण क दुष्टात्माक संहार केलनि ,ठिक ओहिना मृत्युलोकमे ममताक सागर , दयाक प्रतिमूर्ती नारी अपन स्वाभिमान के रक्षार्थ प्रचंड रूप धारण केलीह । एहन अजस्र नारिक शौर्य गाथा इतिहास अपना में समेटने अछि जे समाज में विकट विकट स्थिति के सम्हारबाक लेल अपना आप के निछौर देबा सं परहेज नहि केलनि।
जौ अगर भारतीय स्वतंत्रता संग्राममे नारीक योगदान पर नजरि देब त अनेकों विरांगना भेटजेतीह जे विलायती राज के नाक सँ पानि पीया लेलन्हि। भारतीय स्वतंत्रता संग्रामक पहिल विद्रोह सं जौ शुरू करी त महारानी लक्ष्मीबाईक शौर्य गाथा जगभाल पर चमकैत सुर्य सदृश भेटत।जे अपन वैधव्य प्राप्तिक व्यथा सं व्यथित रहितौ मर्यादाक रक्षार्थ अपन मुट्ठी भरि विरांगनाक संग अंग्रेजी साम्राज्यक कोढ़ हिलाक’ राखि देलन्हि।जाहि मे रानी के मुंहबोली सैनिक बुंदेलखंडी महिला सेना नायक झलकरी बाई छली । एहने विरांगनामे नाम छन्हि बेगम हजरत महल ,जहन हिनक पति जे अवध के नवाब रहैथ अंग्रेज द्वारा जहन रियासत सं निर्वासित कय लेल गेल तखन बेगम अपन समर्थक संग लड़ि पुनः अवध के नियंत्रण केलैथ।
एहन नहि जे हमरा सभक स्वतंत्रता संग्राममे सिर्फ पुरूषक शौर्य आ पराक्रम छल । महिला डेग दर डेग सहायक छलीह । कतौ प्रखर योद्धा बनी त कतहुं सहयोगी , उत्साह आ उर्जा बनी । एक एहने विरांगना छली दुर्गा भौजी जे भगवती चरण वोहरा के पत्नी छलीह ।जे भगत सिंह आ राजगुरू के संग स्वतंत्रता संग्राम सहायक रहली । जे अपन ओज सं भारत नौजवान सभाक सदस्यक रूपे स्वाधिनताक बिगुल फुकैत रहली । एते तक जे भिन्न भिन्न बमकांड सं ल क बम निर्माण तक में सक्रिय भागीदारी देलन्हि।
रानी वेलू नचियार हिनका मादे त इतिहास कहैत छैक जे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सं पहिनहि ई विलायती बाबू के भारतीय नारीक शक्ति सं परिचय करा देने रहथिन्ह जहन हिनक पति के ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा संघर्ष में हत्या क देल गेल तखन ई पड़ोसी राजा सभक मदद सं विलायती पलटन के हरौने रहथि। कहल जाएत छैक जे दुनिया में पहिल मानव बम आ महिला सेना के निर्माण कर्तृ वेलू नचियार छलीह । हिनकर सेना नायक अपन शरीर में आगि लगा विलायती बम बारूदक ढ़ेरि में पैस गेल छल फलत: विस्फोट सं विलायती पलटन काफी कमजोर भेल फलस्वरूप रानी सं हार स्वीकार करय पड़ल।
एहि के अलाबे बहुतों एहन नारि छथि जे अपन बौद्धिक , मानसिक आ शारिरिक चेतना सं स्वतंत्रता प्राप्ति क यज्ञ में आहुति दैत रहली जेना विजय लक्ष्मी पंडीत , कस्तुरबा गांधी,अरुणा आसफ अली, सरोजनी नायडू, मारग्रेट नोबल उर्फ सिस्टर निवेदिता,मीरा बेन , भिकाजी कामा,सुचेता कृपलानी आदिक महत्वपूर्ण भूमिका बिसराएल नहि जा सकैछ। सभक परोक्ष वा अपरोक्ष रूपे स्वाधिनताक श्वास लेल अतुलनीय योगदान छन्हि। ई सभ ” नारि अबला होईछ ” केँ मिथक के तोड़ैत ई साबित केलैथ जे भारतीय नारि लोक लज्जा आ मर्यादा में रहनाए प्रथम धर्म बुझैत छैक ताहि हेतु अबला छैक परंतु यदि मर्यादा आ स्वाभिमानक हनन भेल त दूर्गा काली बनबा में परहेजों नहि करैत छैक । तै
उपर्युक्त प्रसंग सं दृष्टिगत अछि जे भारतीय स्वतंत्रता संग्राममे नारिक योगदान अविस्मरणीय आ अद्वितीय रहल अछि।आ सभ तरहे सहयोगी बनि डेग सं डेग मिलाक चलली।