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“जग केॅं युग परितारि रहल अछि आ अपन हाथ सुतारि रहल अछि…” 

— कीर्ति नारायण झा।     

मिथिला संस्कार केर उद्गम स्थल मानल जाइत अछि। अतिथि सेवा अथवा ककरहु सँ कोनो प्रकारक याचना नहिं केएनाइ, जतबे अछि ओतबहि में संतोष मिथिलावासी केर आदिकाल सँ परम्परा रहल अछि। ई सभ संस्कार केर एकटा शिक्षा थिकै। माय बापक सेवा केएनाइ, सर्वे भवन्तु सुखिनः के संग जीवन यापन केएनाइ, ई सभ संस्कार छलैक मिथिला के, मुदा आब ओहि भाव में आस्ते आस्ते कमी आबि रहल छैक आ आब एकटा बेटा बाप सँ कहैत छैक जे इ हमर दुर्भाग्य अछि जे अहाँ हमर पिता छी आ माय सँ कहैत छैक जे अपन पेएर धो कऽ आ, हमरा गोर लगवाक अछि। पता नहिं श्रवण कुमार बला संस्कार कतय हेरा गेलैक? आब पाश्चात्य सभ्यता ओकर स्थान लऽ लेलकै अछि। आब माय बापक समक्ष बेटा अपन कनियाँ के विशेष महत्व दैत छैक। लाखो अबगुण भेलाक उपरान्तो लोक अपन धिया पूता के बड़ाइ भरल जन सभा में करैत छैथि। ओ परोक्ष में कयल गेल बड़ाइ के बिसरि गेल छैथि। अपन कनियाँ आ बेटा के प्रसन्न करवाक लेल लोक सभटा मान मर्यादा के बिसरि रहल अछि आ जेकर भयंकर परिणाम सेहो बेटा उदण्ड भऽ कऽ दऽ रहल छथिन्ह। ओ बापक नियंत्रण सँ सदैव स्वतंत्र रहैत छैथि। हम सभ अपन पिताक डर सँ गाम में नाटक के रिहर्सल होइत छलैक तऽ जा धरि पिता सूति नहि रहैत छलाह ता धरि हम सभ घर सँ निकलैत नहिं छलहुँ आ आब पिता के बाद में पता चलैत छैन्ह जे एहि बेर दुर्गा पूजा आ सरस्वतीक पूजा में बाइजी के डाँस हेतैक आ पिता अथवा अभिभावक सँ पूछवाक कोनो प्रश्ने नहिं उठैत छैक। पहिले के जमाना में किछु विशिष्ट लोक के बरियाती में नर्तकी मँगाओल जाइत छलैक तकरा ओहि समय के लोक अन्तर्मन सँ स्वीकार नहिं करैत छलाह मुदा आब ई पैघ लोकक परिचय कहाओल जाइत छैक। हमरा सभकें मोन अछि जे कोनो मांगलिक काज में कीर्तन होइत छलैक, कोनो पैघ पैघ गबैय्या के मंगाओल जाइत छलैक। हमर अपन मामा डभारी गामक भैयाजी झा अपन इलाका मे एक नम्बर के कीर्तन करय बला छलाह आ हुनका एक मिनट के फुर्सति नहिं भेटैत छलैन्ह।रामलीला के आयोजन गामे गामे होइत छलैक जकरा आब पिछड़ल होयवाक परिचायक मानल जाइत छैक। आब जतेक मांगलिक कार्यक्रम होइत छैक ओहि मे गामक बिगड़ल धिया पूता के इच्छानुकूल मनोरंजन कार्यक्रम राखल जाइत छैक। फूहर फिल्मी आ भोजपुरी गीत सभ कार्यक्रम के हिलेने रहैत अछि आ गामक धिया पूता मस्त रहैत अछि आ धिया पूता के अभिभावक सभटा देखैत रहैत छैथि, सुनैत रहैत छैथि, हुनका ई मोन में भय रहैत छैन्ह जे विरोध कयला सँ परिणाम गम्भीर भऽ सकैत अछि। आब प्रायः अधिकतर स्थान पर यएह स्थिति अछि आ दिनानुदिन स्थिति बद सँ बदतर भेल जाइत अछि। आब यएह युग आबि गेलै अछि। हमरा ई सभ देखि ओ पाँती मोन पड़ैत अछि जे “जग के युग परितारि रहल अछि आ अपन हाथ सुतारि रहल अछि…

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