“जातिवादक विकट स्थिति के बादो मिथिलाक भूमिक अनुकरणीय धर्म समभाव।”

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— कीर्ति नारायण झा।         

मनुखक जन्म एहि पृथ्वी पर समान रूपसँ होइत छैक आ जन्म के पश्चात् सभ शिशु रुदन करैत अछि आ माँ के अमृतरूपी दुग्धपान करैत अछि मुदा पृथ्वी स्पर्श करितहि ओकर एकटा विशेष जाति के रूप में नामकरण भऽ जाइत छैक जखन कि ओकरा मात्र नवजात शिशु के रूप में परिचय होयवाक चाही। आरंभ में कर्म के अनुरूप जाति बनाओल गेल छल – ब्राह्मण जकरा ब्रम्ह केर ज्ञान होअय, क्षत्रिय जिनका युद्ध के जानकारी हो, वैष्य जे वैष्णव धर्म के जाननिहार होइथ आ कर्म के माननिहार के शुद्र के रूप में नामकरण भेल छल। एहि जाति विभाजन के दुरुपयोग समाज के ठीकेदार आ राजनीति में अप्पन उल्लू सोझ करवाक लेल लोक आरम्भ कयलनि जे वर्तमान में राष्ट्र के समक्ष सुरसा जकाँ मुँह चियारि कऽ बैसल अछि आ परिवार के, समाज के आ राष्ट्र के बीच जहर घोलि कऽ भक्षण कऽ रहल अछि आ राष्ट्र के दुर्भाग्य जे आइ काल्हि नेता लोकनि एहि जहर के बीया रोपि कऽ सफल होइत छैथि मुदा प्रसन्नता एहि बात के लऽ कऽ अछि जे अपन सभक मिथिला एहि जहर सँ एखन धरि पूर्णरूपेण नहिं तऽ बहुत हद तक बांचल अछि। आइयो अपन सभक गाम में जाति के आधार पर सम्बन्ध विच्छेद नहिं भेल अछि। सम्बन्ध बेंगाइ भाई, मोती कक्का, भोला बाबा, सोमना बच्चा इत्यादि ओहिना सम्बन्ध बनल छैक। लोक एक दोसर के धाक करैत छैक उम्र के हिसाब सँ नहिं कि जाति के आधार पर। आइयो हमरा ओहिठाम दलान पर सभ सँ पहिले हमर बेंगाइ भाई सँ लोक के भेंट होइत छैक जखन कि जातीय आधार पर ओ धानुक जाति सँ अछि मुदा हमर सभक परिवार में ओहो एकटा अन्य सदस्य के रूप में समान अधिकार प्राप्त कयने अछि। जतेक बेर हम सभ चाह पीबै छी बेंगाइ भाई के सेहो देल जाइत छैन्ह। बेंगाइ के परिवार धीया पूता सदेव परिवार के सदस्य के रूप में हमरा सभक ओहिठाम उपस्थित रहैत अछि। गामक सभ धानुक लोकनि मलाह अथवा यादव बन्धु गाम पहुंचला पर पहिल सम्बोधन रहैत छैन्ह की समाचार भाई? कहिया अयलहुं? एखन रहब की नहिं? इत्यादि अपनत्व के भावना के गुदगुदाबैत सम्बोधन भेटैत अछि। एहन बात नहिं जे हम जँ गाम सँ बाहर छी तें एहेन सम्बन्ध अछि, ओहिठाम रहयबला लोक सभ संगे वेएह सम्बन्ध देखैत छी। सभ एक दोसर के दुख सुख में बराबर के सहयोगी रहैत छैथि एकटा ग्रामीण के रूप में नहिं कि कोनो जातीय आधार पर।. हमरा गाम में करीब करीब सभ जाति के लोक रहैत छैथि आ सभ एकटा ग्रामीण के रूप में एक दोसर के भावना सँ जूड़ल छैथि।हमरा गाम में सभ सँ धनीक एकटा बरैइ जाति सँ छैथि आ हुनके घर सँ गामक वर्तमान मुखिया सेहो छैथि जे गामक विकास हेतु सदैव तत्पर रहैत छैथि चाहे ओ सड़क बनेबाक बात होअय ओकरा जातीय टोल के आधार पर नहिं अपितु गामक टोल के आधार पर विकास कयल जाइत छैक। दुर्गा पूजाक चन्दा प्रत्येक ग्रामीण सँ लेल जाइत छैक आ दुर्गा स्थान में सभ अप्पन पूजा मानि उपस्थित होइत छैथि। मल्लाह लोकनि द्वारा आयोजित कमला पूजा मे समस्त ग्रामीण उपस्थित होइत छैथि। हमर सभक टोल में सोखा के भाव होइत अछि जे धानुक जाति के लेल विशेष पूजा होइत छलैक जाहि में समस्त ग्रामीण भक्त के रूप में उपस्थित होइत छैथि तहिना सत्यनारायण भगवानक पूजा गाम में कतहु आ किनको ओहि ठाम होइत छैन्ह तऽ उपस्थिति जाति के आधार पर नहिं भक्ति के आधार पर आ ग्रामीण के आधार पर होइत छैक एतबे नहिं मुसलमान लोकनि द्वारा आयोजित दाहा गामक सभ दरबज्जापर सँ घुमाओल जाइत छैक आ प्रायः सभक दरबज्जा पर दाहा के पूजा कयल जाइत छैक आ तखन दाहा रबाना होइत छैक ।. समाज में एतेक बेसी सद्भावना होयवाक कारणे अवसरवादी लोकनि नाक रगड़ि कऽ रहि जाइत छैथि मुदा गामक जातीय एकता आ अखंडता के भंग करवा में असफल रहैत छैथि। हमरा सभक ओहिठाम केर प्रत्येक ब्यक्ति के एहि बात केर ज्ञान छैन्ह जे बेगरता काल मे कोनो नेता नहि इ हमर गाम समाज काज मे अबैत छैथि। कोनो जातिक बेटी के बियाह में ग्रामीण के सहयोग देखि जातीय वैमनष्यता जरि कऽ खाक भऽ जाइत छैक। लोकक रक्त में रचल बसल सम्बन्ध के एतेक जल्दी कियो दुषित नहिं कऽ सकैत अछि ई समस्त मिथिला बासी के पूर्णरूपेण ज्ञात छैन्ह तें राष्ट्र में ब्याप्त जातीय विद्वेषपूर्ण वातावरण में अपन सभक मिथिला एखन धरि अप्रभावित अछि कारण एहि ठामक लोकक बीचमे सम्बन्ध उपर सँ नहिं आत्मा सँ बनल अछि जकरा कियो नहिं डगमगा सकैत अछि….