संकलन: अनिरुद्ध जोशी ‘शतायु’
अनुवाद: प्रवीण नारायण चौधरी
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भगवान राम : वन सँ लौटलाक बाद जखन भगवान् राम अयोध्याक शासन सम्हारला तऽ ओ कतेको वर्षो धरि भारत पर शासन केलनि।भारत केँ एकसूत्र मे बान्हिकेँ रखलनि। राम सब वनवासी, आदिवासी और वानर जाति सहित संपूर्ण भारतीय जाति केँ एकसूत्र मे बान्हिकय अखंड भारतक निर्माण केलनि। हुनकर राज्य दूर-दूर धरि पसरल छल।
रामक समय मे रावण, बाली, सुमाली, जनक, मय, अहिरावण और कार्तवीर्य अर्जुन नाम केर महान शासक छलाह, लेकिन सबहक अंत कय देल गेल छल। सब रामक राज्य मे शामिल भऽ गेल छलाह।
कार्तवीर्य अर्जुन या सहस्रार्जुन यदुवंशक एक प्राचीन राजा छलाह। वह बड़ा वीर और प्रतापी छलाह। ओ लंकाक राजा रावण जेकाँ प्रसिद्ध योद्धा सँ सेहो संघर्ष केने छलाह। कार्तवीर्य अर्जुन केर राज्यक विस्तार नर्मदा नदी सँ हिमालय धरि छल जाहि मे यमुना तट केर प्रदेश सब सम्मिलित छल। कार्तवीर्य अर्जुनक वंशज कालांतर मे ‘हैहय वंशी’ कहौला जिनक राजधानी ‘माहिष्मती’ (महेश्वर) छल। यैह हैहय सब सँ परशुराम केँ 21 बेर युद्ध भेल छल। रामक समयक सब राजा केँ अपन-अपन क्षेत्र छलनि लेकिन राम तऽ संपूर्ण भारत केँ एकसूत्र मे बान्हिकय एकटा शक्तिशाली साम्राज्य केर स्थापना केलनि और जनता केँ क्रूर शासक सबसँ मुक्ति दिऔलनि।
भरत तृतीय : महाभारत केर काल मे एकटा तेसरो भरत भेला। पुरुवंश केर राजा दुष्यंत और शकुंतला केर पुत्र भरत केर गणना ‘महाभारत’ मे वर्णित 16 सर्वश्रेष्ठ राजा सबमे होइत अछि। कालिदास कृत महान संस्कृत ग्रंथ ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ मे राजा दुष्यंत और हुनक पत्नी शकुंतला केर जीवनक बारे मे चर्चा भेटैत अछि।
उपदेवता मरुद्गणक कृपा सँ भरत केँ भारद्वाज नामक पुत्र भेलखिन। भारद्वाज महान ऋषि छलाह। चक्रवर्ती राजा भरत केर चरितक चर्चा महाभारतक आदिपर्व मे सेहो अछि।
राजा युधिष्ठिर : पांडव पुत्र युधिष्ठिर केँ धर्मराज सेहो कहल जाइत अछि। हिनक जन्म धर्मराज केर संयोग सँ कुंतीक गर्भ द्वारा भेलनि। महाभारत युद्धक बाद युधिष्ठिरे भारत पर राज केने छलाह। महाभारत युद्ध केर बाद लगभग 2964 ई. पूर्व मे युधिष्ठिर केर राज्यारोहण भेल छल।
युधिष्ठिर भाला चलेबा मे निपुण छलाह। ओ कहियो मिथ्या नहि बाजैथ। हुनक पिता यक्ष बनिकय सरोवर पर हुनकर परीक्षा सेहो लेने छलाह। महाभारत युद्ध उपरान्त युधिष्ठिर केँ राज्य, धन, वैभव सँ वैराग्य भऽ गेलनि। ओ वानप्रस्थ आश्रम मे प्रवेश करय चाहैत छलाह किंतु सब भाइ आ द्रौपदी हुनका अनेको प्रकार सँ बुझबैत क्षात्रधर्म केर पालन करबाक लेल प्रेरित केलखिन। हुनक शासनकाल मे संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप पर शांति और खुशहाली रहल।
युधिष्ठिर सहित पांचो पांडव अर्जुन पुत्र अभिमन्युक पुत्र महापराक्रमी परीक्षित केँ राज्य दैत महाप्रयाण हेतु उत्तराखंड दिशि चलि गेला और ओतय जाय पुण्यलोक केँ प्राप्त भेला। परीक्षितक बाद हुनकर पुत्र जन्मेजय राज्य सम्हारलनि। महाभारत मे जन्मेजय केर 6 और भाइ हेबाक बात कहल गेल अछि। ई भाइ सब छलाह – कक्षसेन, उग्रसेन, चित्रसेन, इन्द्रसेन, सुषेण तथा नख्यसेन।
कुरु केर अंतिम राजा निचक्षु और नंद वंश : 1300 ईसा पूर्व धरिभारत मे 16 महाजनपद छल – कुरु, पंचाल, शूरसेन, वत्स, कोशल, मल्ल, काशी, अंग, मगध, बज्जि, चेदि, मत्स्य, अश्मक, अवंति, गांधार और कंबोज। अधिकांशतः महाजनपद पर राजा टा केर शासन रहैत छल, परंतु गण और संघ नाम सँ प्रसिद्ध राज्य मे लोकक समूह शासन चलबैत छल। एहि समूहक हर व्यक्ति राजा कहाइत छल। लेकिन एहि मे सँ सबसँ शक्तिशाली शासक मगध, कुरु, पांचाल, शूरसेन और अवंति केर छल। ओहि मेसेहो मगध केर शासन सबसँ शक्तिशाली छल।
महाभारतक बाद धीरे-धीरे धर्मक केंद्र तक्षशिला (पेशावर) सँ हँटिकय मगध केर पाटलीपुत्र मे आबि गेल। गर्ग संहिता मे महाभारतक बादक इतिहास केर उल्लेख भेटैत अछि। महाभारत युद्धक पश्चात् पंचाल पर पाण्डवो केर वंशज तथा बाद मे नाग राजा सबहक अधिकार रहल। पुराण मे महाभारत युद्ध सँ लैत नंदवंश केर राजा सब तक 27 राजा केरनामक उल्लेख भेटैत अछि।
एहि काल मे भरत, कुरु, द्रुहु, त्रित्सु और तुर्वस जेहेन राजवंश राजनीति केर पटल सँ गायब भऽ रहल छलाह और काशी, कोशल, वज्जि, विदेह, मगध और अंग जेहेन राज्य सबहक उदय भऽ रहल छल। एहि काल मे आर्य सबहक मुख्य केद्र ‘मध्यप्रदेश’ छलजेकर प्रसार सरस्वती सँ लैत गंगा दोआब धरि तक छल। एतहि कुरु एवं पांचाल जेहेन विशाल राज्य सेहो छल। पुरु और भरत कबीला मिलिकय ‘कुरु’ तथा ‘तुर्वश’ और ‘क्रिवि’ कबीला मिलिकय ‘पंचाल’ (पांचाल) कहायल।
महाभारतक बाद कुरु वंशक अंतिम राजा निचक्षु भेला। पुराणक अनुसार हस्तिनापुर नरेश निचक्षु जे परीक्षित केर वंशज (युधिष्ठिर केर 7म पीढ़ी मे) छलाह, हस्तिनापुर केर गंगा द्वारा बहायल गेला पर अपन राजधानी वत्स देशक कौशांबी नगरी केँ बनौलनि। एहि वंशक 26म पीढ़ी मे बुद्ध केर समय मे कौशांबीक राजा उदयन भेलाह। निचक्षु और कुरु सबहक कुरुक्षेत्र सँ निकलबाक उल्लेख शांख्यान श्रौतसूत्र मे सेहो अछि। जन्मेजय केर बाद क्रमश: शतानीक, अश्वमेधदत्त, धिसीमकृष्ण, निचक्षु, उष्ण, चित्ररथ, शुचिद्रथ, वृष्णिमत सुषेण, नुनीथ, रुच, नृचक्षुस्, सुखीबल, परिप्लव, सुनय, मेधाविन, नृपंजय, ध्रुव, मधु, तिग्म्ज्योती, बृहद्रथ और वसुदान राजा भेलाह जिनकर राजधानी पहिले हस्तिनापुर छल तथा बाद मे ओ समय अनुसार बदलैत रहल छल। बुद्धकाल मे शत्निक और उदयन भेलाह। उदयन केर बाद अहेनर, निरमित्र (खान्दपनी) और क्षेमक भेलाह।
नंद वंश मे नंद वंश उग्रसेन (424-404), पण्डुक (404-294), पण्डुगति (394-384), भूतपाल (384-372), राष्ट्रपाल (372-360), देवानंद (360-348), यज्ञभंग (348-342), मौर्यानंद (342-336), महानंद (336-324)। एहि सँ पूर्व ब्रहाद्रथ केर वंश मगध पर स्थापित छल।
अयोध्या कुल केर मनुक 94मा पीढ़ी मे बृहद्रथ राजा भेलाह। हुनकर वंश केर राजा क्रमश: सोमाधि, श्रुतश्रव, अयुतायु, निरमित्र, सुकृत्त, बृहत्कर्मन्, सेनाजित, विभु, शुचि, क्षेम, सुव्रत, निवृति, त्रिनेत्र, महासेन, सुमति, अचल, सुनेत्र, सत्यजित, वीरजित और अरिञ्जय भेलाह। ई सब मगध पर क्षेमधर्म (639-603 ईपू) सँ पूर्व राज केने छलाह।
क्रमश……