“नारी कहियो दुर्गा त’ कहियो रानी लक्ष्मीबाई बनि अपन शक्ति देखौलनि”

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— आदिती सिंह।   

बदलैत समाज में महिलाक बड्ड पैघ भूमिका रहल ऐछ सिर्फ बदलैते समाज टा में नय पहिनेहो महिलाक बड पैघ भूमिका रहल ऐछ,, तखन जेना जेना इ समाज इ देश बदलैत गेल तेना तेना महिलाक भुमिका सेहो बदलैत गेल,, देश सं लके विदेश तक महिला अप्पन भूमिका से अपन स्थान अपने बनौने छैथ, ज परिवार में एकटा पुरुष शिक्षित होय छैथ त बस ओतबे तक सीमित रहय ये लेकिन परिवार में जं एकटा महिला शिक्षित होय छैथ त पुरा समाज पुरे देश दुनिया के लोग शिक्षित होय ये बच्चाक पहिल शिक्षा अपन माँये सं भेटय छय जे कि एकटा महिला होय छैथ,, बदलैत समाज में आब महिला सब तरहें सक्षम छैथ आत्म निर्भर छैथ जेकर कारण ऐछ बदलैद समाज में स्त्रीक शिक्षा एकटा महिला अप्पन बल पर अप्पन हिम्मत से पुरे परिवार कहु बा पुरा देश दुनिया के चलबैक हिम्मत रखय छैथ,, महिला अही समाज अही देश दुनिया में अप्पन नाम अप्पन पहचान खुद बना रहल छैथ,, महिला सिर्फ चाइर दिबारी के अंदरे टा नय बाहरो अप्पन नामक पंचम खुब फहरबय छैथ,, महिला कहियो सं अबला नय रहली ओ सबदिन सं सबले नारि छेली बस परिस्थितिक अनूकुल ओ सबदिन चलैत रहली जेना जेना समय अप्पन रंग देखौलक ओ ताहि रंग में रंगैत चैल गेली, महिला सब दिन सं संघर्षे करैत रहली कहियो अपना लेल नय किछो केली, कहियो परिवारक लेल त कहियो देशक हित के लेल महिला जरुरत परला पर अप्पन रुप बदलैत गेली कहियो काली त कहियो दुर्गा त कहियो रानी लक्ष्मीबाई बैन के अप्पन शक्ति के देखौलैन जेना जेना समय बदलल तेना तेना ओ अही समाज में बदलैत चैल गेली अपन समाज आ देश के बचबैत गेली महिला शक्ति के बर्णण त कियो नय क सकैत छैथ,, एकटा महिला सं पुरे श्रीस्टी के नीर्माण होयत ऐछ ताहु मे इ बदलैत समाज आ दोहरी मानसिकता सं भरह समाज में महिलाक भुमिका के त कोनो जबाबे नय हुवे बहुत पैघ योगदान द रहल छैय ।।