“महिलाक स्वास्थ्य केर संदर्भमे सजग होमयकेँ खगता “

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– आभा झा   

महिला समाजक अंग छथि ताहि दुवारे महिलाक चिंता सभकेँ हेबाक चाही। अक्सर देखल जाइत अछि कि घर और ऑफिसक जिम्मेदारीक बीच महिला सभ अपन स्वास्थ्यकेँ नजर अंदाज करैत छथि। जखन कि पुरूषक तुलना महिलाक स्वास्थ्य सँ जुड़ल परेशानी काफी जटिल होइत छैक। स्वस्थ जीवनक मूल अछि, स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर। ताहि दुवारे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य समान रूप सँ महत्वपूर्ण छैक। आइ काल्हि महिलाकेँ विभिन्न सामाजिक भूमिका निभबय पड़ैत छनि।ओ अक्सर काज और परिवारक वजह सँ तनावग्रस्त रहैत छथि। महिला अपना सँ बेसी घर-परिवारक लेल बेसी समय दैत छथि।यैह कारण अछि कि ओ अपन सेहत पर ध्यान नहिं दऽ पबैत छथि और हुनकर स्वास्थ्य खराब होमय लगैत छनि।प्रत्येक भूमिकाकेँ आवश्यकताक पूर्ति केनाइ और ओकर संग-संग स्वस्थ जीवन-निर्वाह केनाइ आसान नहिं छैक। महिलाकेँ अपन मानसिक स्वास्थ्यकेँ संग-संग शारीरिक स्वास्थ्य पर सेहो ध्यान देबाक चाहि ताकि ओ नीक स्वास्थ्य और खुशहाल जीवनक आनंद लऽ सकैथ। हमर सभक माँ, नानी, बाबी सभकेँ देखैत छलियनि कि दिनकेँ बारह बजे पूजा कयलाक बादे भोजन करैत छलीह। भोर सँ खाली चाहे टा पर रहैत छलीह। एहि सभक शरीर पर बड्ड खराब प्रभाव पड़ैत छैक। स्वास्थ्य नीक रहयकेँ लेल भोरका जलखइ सब सँ जरूरी छैक। एहि सभ पर महिला लोकनि बेसी ध्यान नहिं दैत छथिन। जाहि कारण सँ कतेक तरहक बीमारी हुनका घेर लैत छनि।अपन सही दिनचर्या, व्यायाम व पौष्टिक भोजन बहुत जरूरी छैक। अपन सेहतकेँ ध्यान परिवार सँ पहिने राखू। अगर अहाँ स्वस्थ रहब तखन परिवारो स्वस्थ रहत।

जखन एक महिला स्वस्थ रहैत छथि तखन ओ प्रसन्न रहैत छथि। हुनकामे एतेक शक्ति व बल होइत छनि कि ओ अपन दैनिक कार्य कऽ सकैथ। परिवार व समाजमे निर्धारित अपन अनेक भूमिकाकेँ निभा सकैथ। महिलाक स्वास्थ्य हुनकर जीवनक हर पहलु पर प्रभाव डालैत छैन्ह तइयो अनेक वर्ष तक ” महिलाक लेल स्वास्थ्य सेवा” के अर्थ गर्भावस्था तथा प्रसवमे देबय वाला मातृ स्वास्थ्य सेवा सँ बेसी किछु रहल अछि। केवल बच्चा पैदा करयकेँ क्षमताकेँ छोड़ि कऽ महिलाक स्वास्थ्य तथा ओहि सँ संबंधित अन्य आवश्यकताकेँ पुरूषक तुलनामे कम महत्व देल जाइत अछि। हरेक महिलाकेँ संपूर्ण जीवनमे पूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करयकेँ अधिकार छैक। महिलाक स्वास्थ्य पर न केवल हुनकर शरीरक संरचनाक, बल्कि हुनकर ईर्द -गिर्दकेँ सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, पर्यावरणक तथा राजनीतिक परिस्थितिकेँ प्रभाव सेहो हुनका पर पड़ैत छनि। भारतमे अखनो एक तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा सँ नीचा अछि। महिलाकेँ गरीबीकेँ दुष्प्रभाव बेसी झेलय पड़ैत छनि। गर्भावस्थामे पर्याप्त भोजन नहिं भेटैत छनि, अक्सर जन्मक समय कम वजनकेँ और आकारमे छोट तथा हुनकर शारीरिक वृद्धि मंद गति सँ होइत छनि। आमतौर पर स्वास्थ्य तथा शिक्षाक क्षेत्रमे लड़की व महिला उपेक्षित रहैत छथि। महिला अगर स्वास्थ्यक प्रति जागरूक नहिं हेती तखन अनेक प्रकारक बीमारी भऽ सकैत छनि।मासिक धर्मक समय स्वास्थ्य सुरक्षाक जरूरत अछि। मासिक चक्रकेँ दौरान साफ-सफाई नहिं राखय सँ हुनका खतरनाक बीमारी भऽ सकैत छनि। बेर-बेर मासिक धर्म और स्वास्थ्य सुरक्षाक बारेमे बतेला सँ महिला सब सजग हुए लागल छथि। पहिने बेसीतर महिला ओहि दिनमे कपड़ाकेँ इस्तेमाल करैत छलीह। बचपनमे जखन ( पहिल मासिक चक्र अबैत छल ) तखन लड़की सब बहुत असहज होइत छलीह। साफ-सफाई तऽ दूरक गप्प अछि हुनका सब सँ अलग कऽ देल जाइत छलनि। ओ भनसा घरमे नहिं जा सकैत छलीह कियैकि पुरान परंपराक अनुसार ओ अपवित्र होइत छलीह। ओतहि एक समस्या इहो छल कि ओहि समय सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध नहिं छल और अगर उपलब्ध रहितो तखन बड्ड महग रहैत छल। आब शिक्षा, जागरूकता और आत्मनिर्भरताक कारण महिला सब स्वास्थ्यक प्रति सजग भऽ रहल छथि और अपन बहिन बेटी सँ कहि रहल छथि – ” लाज आ चुप्पी होयत खत्म, जखन हम बहिन बेटी होयब संग।
महिला सब अपन स्वास्थ्यक लेल रूटीन चेकअप करबैत रहू। शारीरिक रूप सँ एक्टिव रहय लेल व्यायाम, योगा , टहलय लेल चौबीस घंटामे सँ एक घंटा जरूर दियौ। स्वस्थ जीवन जीबैकेँ लेल, स्वस्थ जीवनशैलीक संग पौष्टिक आहार लेनाइ महत्वपूर्ण छैक। विशेष रूप सँ महिलाकेँ बेसी पोषक तत्वकेँ आवश्यकता होइत छैक। कियैकि जीवनक प्रत्येक चरणमे हुनकर शरीरमे कतेको परिवर्तन होइत छैन्ह ताहि दुवारे उम्रकेँ हर स्टेजमे पोषक तत्वक सेवन केनाइ आवश्यक छैक। जय मिथिला जय मैथिली।

आभा झा
गाजियाबाद