— मीना मिश्रा
मानव मात्र के एकटा सुसंस्कृत, सुव्यवस्थित, संस्कारी ईंसान और एकटा योग्य नागरिक बनबैक
पहिल और प्रमुख माध्यम छथि हुनकर अभिभावक।ओ अभिभावक निस्संदेह हुनकर माता-पिता होइत छथिन और अगर कियो एहि शौभाग्य सं बंचित रहितो छथि त ई बागडोर कोनो और श्रेष्ठ जन के हाथ मे होईत छैन।
परिवार बच्चाक पहिल शरणस्थल और अभिभावक हुनकर पहिल गुरू,मार्गदर्शक और ब्यक्तित्व निर्माता होइत छथि।सामाजिक बातावरण के असर त परैत अछि मुदा एकटा सुव्यवस्थित अभिभावक विपरीत परिस्थितियो मे अपन संतानक नीक परवरिश करैत छथि।
आब प्रश्न अछि कि एकटा अभिभावक के की गुण हेबाक चाही जाहि सं बच्चा सबहक स्वर्णिम विकास भ सकै।
एहन देखल गेल अछि बाल-बच्चा वेह गुण और कैरियर अपनबैत अछि जे ओकर परिवार मे अधिकांश व्यक्ति केर या हुनकर माता पिताक होइत छनि।हमर देशक फिल्म जगत,राजनीतिक जगत एकर प्रत्यक्ष उदाहरण अछि।एकर मुख्य कारण अछि कि ओहि घरक वातावरण मे अभिभावक केर कर्मक्षेत्रक प्रभाव रहैत अछि और नव पीढी आस्ते-आस्ते ओही मे ढ़ैल जाइत अछि।
दोसर कारण छै कि ईश्वर जीव मात्र मे नकल के गुण द के धरती पर पठबै छथिन।जे कि जन्म सं रहैत अछि।बच्चा जन्मे सं वेह सीखैत अछि जे अपन माता पिता के देखैत अछि।ई ओकर प्रकृति प्रदत्त गुण छै।तें एक अभिभावक के अपन विचार नीक रखला सं हुनकर संतान संस्कारी नै भ सकैत छनि।हुनकर संतान वेह सीखैत छनि जे हुनकर माता-पिताक आचार मे रहैत छनि ।ताहि कारणे एक अभिभावक के हरदम अपन व्यबहारक अवलोकन आवश्यक।
अभिभावक के दोसर मुख्य जिम्मेदारी छनि “अनुशासन”।एक नीक ब्यक्तित्व के निर्माण मे एक नीक समाजक स्थापना मे अनुशासन के बहुत महत्व अछि।तें अभिभावक के लेल आवश्यक अछि के ओ अनुशासन के अपन जीवन मे सिरोधार्य करथि और अपन संतान के अनुशासन के महत्व बुझबैक कोशिश करथि।
अभिभावक के तेसर मुख्य जबाबदेही छथि अवलोकन केर।माता-पिता के अपन संतानक कार्य पर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूपे नजरि अवश्य रखबाक चाही।एहि उमेर मे बच्चा अपन नीक -बेजाय नहि बुझैत अछि।ओ कतय जाईत अछि,की करैत अछि एवं हुनकर संगति केहन छनि,हुनकर अध्ययन केहन छनि ई सब बुझब एक अभिभावक के परम कर्तव्य।
आबक माता-पिता लेल सोशलमीडिया सेहो एकटा चैलेंज बनल अछि।अगर ओ एहि सं दूर अपन धीया-पूता के रखैथ छथि त ओकर विकास मे बाधा उत्पन्न हेबाक पूर्ण संभावना छै।और अगर पूर्ण रूपेन बच्चा के स्वतंत्र छोड़ि देथि त बिगरैक सोलह आना संभावना।एहना मे नव पीढ़ीक माता-पिता के अत्यधिक सतर्क और बैलेंस रह परैत छनि।एकरा संग-संग परिवारक माधुर्यपूर्ण बातावरण सेहो विकास मे अहम भूमिका निभबैत अछि।जतय क्लेशपूर्ण बाताबरण होइत अछि ओतय नीको बच्चा क जीवन अंधकारमय भ जाइत छै।
तें इहो एक अभिभावक के कर्तव्य छनि कि ओ
पारिवारिक बाताबरण के शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण राखथि।एतेक भेलाक बाद निश्चर एक माता-पिता एक सुसंस्कृत नागरिक देश क द सकैत छथि।
सादर धन्यवाद।