सन्दर्भ नेपालक आम निर्वाचन – परसू अपन मतदान जरूर करू

चुनाव नौटंकी नहि बाध्यता बुझू

सन्दर्भ ४ मंसिर (२० नवम्बर २०२२) केँ नेपाल मे आम निर्वाचन

लोकतंत्र मे लोक द्वारा चयनित जनप्रतिनिधि मार्फत सरकार गठन कय संवैधानिक मार्गदर्शन अनुसार शासन व्यवस्था संचालित होइत छैक। एकटा निश्चित समयावधि पर विभिन्न स्तर के जनप्रतिनिधिक चयन कयल जाइत छैक।

नेपाल मे तीन तह के जनप्रतिनिधिक चयन करैत तीन तरहक निकाय मार्फत लोकशासन चलेबाक पद्धति विकसित भेल अछि। नव संविधान २०७२ अनुसार राष्ट्रक संचालन एखन नव-नव विकसित भ’ए रहल छैक।

बहुत रास कमी-कमजोरी देखायल हँ विगत ७ वर्ष मे। राजनीतिक स्तर पर परिपक्वताक अभाव, यथास्थितिवादी, परम्परावादी राजनीतिक शक्ति, नेपाल केँ अपन बाप-दादा के प्राइवेट प्रौपर्टी बुझबाक अहंकारी भाव आ शासक वर्ग व शासित वर्ग बीच के खधारि…. तेकर बाद भयावह गरीबी आ अवसरक अकाल सँ लैत पूर्वाधारक विकास मे पर्यन्त बेईमान नीति-नीयति, अनेकों बात एहि देश केँ अविकसित अवस्था मे रहबाक लेल बाध्य कएने छैक।

लेकिन चुनाव सफलतापूर्वक पहिने एक बेर भ’ गेलैक, आब दोसर बेर स्थानीय निकाय केर चुनाव सेहो सफलतापूर्वक पहिनहि सम्पन्न भ’ प्रदेश व संघीय संरचना लेल जनप्रतिनिधि लोकनि चुनावी होड़ मे लागल छथि। चुनाव-प्रचार काल्हि तक भ’ कय सम्पन्न भ’ गेलैक।

आब मतदाताक बेर आबि गेलैक। परसू चुनाव थिकैक। विगत केर राजनीतिक टंटा सब देखि कतेको लोक उदासीन देखाइत अछि। ओकरा लेल हमर एतबा आह्वान रहत जे चुनाव नाटक नहि बाध्यता थिक जनता लेल।

अहाँ केँ जनप्रतिनिधि चुनहे टा पड़त। भले चोरबा, ढोढबा, अघोरबा… ई तीनहि टा चुनबाक लेल विकल्प अहाँक सोझाँ मे रहय! अहाँ केँ आगामी सरकार केर गठन लेल वोट दियइए टा पड़त। आब चयन अहाँक हाथ मे अछि, चोरबा के दी, ढोढबा के दी या फेर अघोरबा के दी।

हँ, एहि तरहक सीमित विकल्प आ नकारात्मक लोक केँ राजनीति मे निषेध करय लेल बौद्धिक समाज केँ दबाव बनेबाक जरूरत अछि। न्यायपालिका आ चुनाव आयोग आदि जे सब स्वतंत्र-स्वायत्त निकाय सब छैक, ओकरा द्वारा बन्दिश लगेनाय आवश्यक छैक जे ई जनप्रतिनिधि बनबाक लेल एकटा निश्चित योग्यता आ जनसेवा आ राष्ट्रसेवा प्रति प्रतिबद्धताक एकटा निश्चित मानदंड अनुकरण करयवला मात्र उम्मीदवारी दय सकैत अछि।

हमर कहबाक तात्पर्य आजुक एहि लेख मे एतबा अछि जे अहाँ आब माइन्ड मेक-अप कय लिअ आ परसू अपन मत एहेन उम्मीदवार केँ दियौक जेकरा सँ कनिकबो उम्मीद राखि सकैत छी।

एहेन गठबन्धन धार केँ तेज करू जे केन्द्र व प्रदेश मे राष्ट्रहित व जनहित मे निर्णय कय सकत। लोकक अधिकार आ समय केर जरूरत केँ पूरा करबाक सामर्थ्य आ साहस जाहि राजनीतिक शक्ति (दल) मे होइ तेकरा मजबूत करू।

जे सिर्फ खोंखी बेसी करय, अन्धराष्ट्रवाद के आइग लगाबय आ काज बेर मे पतनुकान लियए ओहेन केँ चुनबाक भूल बिल्कुल नहि करय जाउ। हमरा हिसाब सँ केन्द्र व प्रदेश मे विगत मे बनल सरकार, राजनीतिक शक्ति आ तेकरा सभक बीच भेल समझौता, आदि सब विन्दु पर ध्यान दैत अपन मत के सही उपयोग करू।

जँ एहि बेर चुकब त ५ वर्ष तक फेर झूलब। से ध्यान राखि सब कियो मतदान मे हिस्सा लेब।

हरिः हरः!!