स्वयं महादेव सहाय रहलथि एहि महायज्ञक सफलता लेल – सौराठ सभा सन्दर्भ भाग-२

सौराठ सभागाछी मे सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग पूजन महायज्ञ

कल्पना करू त! एहि महायज्ञ केँ पूरा करय मे कि-केना आधार खर्च, पूजा-अर्चना केर व्यवस्थापन खर्च, बाहर सँ आयल लाखों लोकक स्वागत आ सत्कार संग रहबाक, खेबाक-पीबाक खर्च कतेक भेल हेतय?

सम्पूर्ण आयोजन मे ५ हजार सँ ऊपर गाड़ी-घोड़ा लागल छलैक। मधुबनी पंचकोशी सँ लैत मिथिलाक नामी-गिरामी गाम-ठाम सँ बस के बस आ स्कोर्पियो-बोलेरो व अन्यान्य वाहन सँ लोकक हुजुम उतरि गेल छलैक। हजारों पंडितजी अति विशिष्ट परिधान धोती, दुती वस्त्र व पाग आदि सँ सुसज्जित, सब नया परिधान मे। पंडालक निर्माण लगभग २ किलोमीटर के लम्बाई आ १०० फीट के चौड़ाई मे बनलैक। लाइट, साउन्ड, स्टेज, गेट एवं समस्त डेकोरेशन उत्कृष्ट आ पूर्ण जोखिममुक्त – सुनियंत्रित। एकहु टा बात एहेन नहि जे पूर्व-निर्धारित साहित्य अनुसार सम्पन्न नहि भेल हो। बेहतरीन व्यवस्थापनक अद्भुत नमूना सिद्ध भेलैक ई महायज्ञक आयोजन सौराठ सभागाछी मे।

इतिहास जे स्थापित रहल अछि सौराठ सभागाछी मे लाखों आदमी जुटबाक, घरही पाहुन लोकनिक भरल रहबाक, सब जाति-समुदायक लोक केँ बढ़ल उत्साह आ आयोजन केँ येन-केन-प्रकारेन सफल बनेबाक – से सब बात एहि बेर प्रत्यक्ष देखय लेल भेटल। पहिने कहाँ दिना बिहार सरकार आ मंत्री जी सब बोरा के बोरा चीनी पठबा देल करथिन आ सहभागी लाखों ब्राह्मण परिवारक लोक सँ जनसामान्य केँ शर्बत पियेबाक इन्तजाम भेल करैक। दहोंदिशि धर्मशाला बनायल गेल छलैक जतय लोक राति बिताओल करय, सब गामक अपन-अपन कैम्प लागय, भोजनक कनात सेहो विभिन्न स्थान पर लागल करैक…. से सबटा हमरा एहि बेर जिवन्त अवस्था मे देखायल।

एकटा रोचक बात कहय चाहब…. हमरा लघुशंका करबाक छल आ हम बाहर निकललहुँ त जल लय लघुशंका जेबाक व्यवस्था मन्दिरक पछुऐत दिश कतहु नहि देखायल… चापाकल खोजैत-खोजैत हमरा उत्तर दिशा मे लगभग ५०० मीटर जाय पड़ल आ वस्ती आबि जेबाक कारण व्याकुल मोने एम्हर-ओम्हर ताकि रहल छलहुँ… एतबा मे एक गोट भद्रलोक हमर अवस्था बुझि पुछलनि जे ‘जल चाही की?’… हम तपाक् जवाब देलियनि जे हँ, लघुशंका करबाक अछि। ओ तुरन्त गिलास आनि हाथ मे पकड़ा बगलहि दलान मे रहल चापाकल सँ जल लेबाक आग्रह कय बैसलाह। हमरा त बुझू हताशा सँ आशाक दीप जरबाक बोध भेल, तुरन्त गिलास मे जल लय हम निवृत्त भेलहुँ। मोने-मोन मिथिलाक ओहि महान अतिथि सत्कारक परम्परा आ महान आत्माक धनी सहयोगी व्यक्ति केँ प्रणाम करैत रहलहुँ।

अहाँ विश्वास करू – आयोजक कतेक लोक केँ भोजन करौलनि, कतेक लोक केँ सुतबाक इन्तजाम कय सकलाह आ कतेक लोक ओहि व्यवस्था मे रहलाह से सब हमरा नहि पता, मुदा जखन गाम मे घुमय गेलहुँ त हरेक दरबज्जा मे २०-२५ गोटे के सुतबाक इन्तजाम, बाकायदा मशहरी लागल…, सब घर मे अतिथि सब केँ खुएबाक इन्तजाम आ हर तरहक अतिथि सत्कार लेल सौराठ एवं पोखरौनीवासी एकदम तत्पर… मानू एहि सँ पैघ दोसर कोनो धर्म नहि हुनका सभक लेल। हम सैल्यूट करैत छी सौराठ-पोखरौनी गामवासी केँ।

यैह हाल अगल-बगल के गाम-समाजक सेहो होयत से हमरा पूरा विश्वास भ’ गेल। भोरे ४ बजे सँ लगभग १० बजे तक ‘हर हर महादेव’ केर जयकारा करैत हजारों गाड़ी पोखरौनी जतय हम रुकल रही ओहिठाम सँ गुजरैत देखि बुझा गेल जे लोहा-कपसिया व अन्य-अन्य उत्तर भरक गाम सँ लोक सब जत्था-के-जत्था आबि रहल छथि। ८ बजे जखन पंडाल मे प्रवेश कयलहुँ त सब पंडाल घर लगभग २०० सँ ५०० लोक केँ तन्मयतापूर्वक बैसल आ पार्थिव शिवलिंग निर्माण मे लागल देखि आश्चर्यचकित रहि गेलहुँ। कहलियैक मोनेमोन – वाह रे हमर मिथिला आ वाह हे मैथिल ब्राह्मण समाज! गज्जब स्फूरणा, गज्जब एकजुटता!! देवाधिदेव महादेव प्रति अहाँ लोकनिक तदारुकता संग समर्पण के विलक्षण नमूना देखि हम मंत्रमुग्ध भ’ गेलहुँ।

बाहर निकलैत छी त जगह-जगह पर कनात लागल देखलियैक। सब कियो अपना-अपना जत्था लेल महाभोजक इन्तजाम मे लागल छल। व्रत जे रखने रहथि ओ सब त सन्ध्याकाल पूजा-पाठ सँ निवृत्त भेलाक बादे पारण करता, भोजन करता… लेकिन सङ्गोरिया स्त्री-पुरुष सब जे सैकड़ों-सैकड़ों के संख्या मे आयल छथि ओ सब अपनहि व्यवस्था मे पाकि रहल सुस्वादु प्रसादरूपी भोजन ग्रहण करता। बहुत नीक लागल चारूकात पसरल कनात सब देखिकय। लोकक स्वस्फुर्त सहभागिता सँ पैघ-पैघ काज केना चुटकी बजबिते भ’ जाइत छैक से अनुभव भेल।

कनिकाल लेल आयोजनकर्ता सब सँ भेटय गेलहुँ त हुनको सभक इन्तजाम देखि बहुत नीक लागल। भोजन सँ लैत फलाहार आदिक व्यवस्थापन मे ओ सब लागल छलथि। माइक्रोफोन द्वारा सब सूचना एकदम सिस्टमेटिक ढंग सँ प्रचार कयल जा रहल छल। स्टाल संख्या फल्लाँ मे माटि पहुँचाउ…. फल्लाँ गाम के फल्लाँ पंडितजी लेल फल्लाँ इन्तजाम करू…. फल्लाँक कनियाँ फल्लाँ ठाम अपन पतिदेव सँ भेटय पहुँचू…. अहा!! मैथिलीक मिठास सँ अनुगूंजित वातावरण आ ताहि मे अत्यन्त मधुर स्वर सँ पठित वेदक ऋचा व महादेवक सुन्दर-सुन्दर गान (रुद्री पाठ, रुद्राष्टक, महामृत्युंजयक विभिन्न स्तोत्र, आदि) सँ उपस्थित लाखों लोकक मन-मस्तिष्क हरियर-हरियर छल।

एतेक पैघ व्यवस्थापन केना चुटकी बजबिते पूरा होइत छैक से सिद्ध कयलक अछि ‘सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग पूजन महायज्ञ’। ई दीप कहियो मिझाय नहि। सब केँ एहने स्फूरणा सँ काज करैत रहबाक अछि। संकल्पित रहू।

हरिः हरः!!