मिथिला संस्कृति पर लोकपलायन सँ खतरा

मिथिलाक सुप्रसिद्ध लोकसंस्कार पर लोकपलायन सँ बढि रहल अछि खतरा - संरक्षण लेल राज्य सँ अपेक्षा - स्व-जागृतिक आवश्यकता

mithila cultureवर्तमान मिथिला समाजक सोझाँ रोजी एकटा प्रमुख चुनौतीक विषय होइत छैक। स्थिति मे बहुत तेजी सँ बदलाव एनाय स्वाभाविके बुझाइत छैक, कारण लोकपलायनक समस्या दिनचर्या समान स्थापित भऽ रहल अछि आइ मिथिलाक्षेत्र मे। एखनहु गोटेक समृद्ध-सक्षम वा संकल्पित बुढ-पुराण जिबैत भेट सकैत छथि जे अपन गामक सीमा तक नहि नंघने हेता, दु:ख-सुख सब तरहें अपन डीहे पर दिवस गमा लेलनि। मुदा नव पीढी एहेन रूढिवादी विचारधारा मे अपना केँ नहि ढालि सकैत अछि। गाम मात्र प्रारंभिक शिक्षा या फेर सामाजिक – व्यवहारिक शिक्षा तक लेल अनिवार्य छैक, सेहो मात्र ओतबे जनसंख्याक लेल जेकर मूल एखनहु गाम सँ जुड़ल छैक। ओ जे आइ सँ दशकों पूर्व मजदूरी करबाक लेल गाम सँ बाहर गेल, ओतय ओकर आमदनी आ रहन-सहन यदि बन्हा गेल तऽ अपन परिवार सहित ओ ओतहि बसोवास करय लागल, गाम ओकरा लेल कहियो मौका-कूमौकाक बात तक सीमित भऽ गेल अछि।

एकटा प्रश्न शिक्षा जेकर महत्त्व आब लगभग शत-प्रतिशत जनमानस बुझय लागल छैक ओहि लेल प्रवास पर गेनिहार मैथिल किछु बेसिये जाग्रत अछि। अपन पेटो काटि लोक आगाँक पीढी केँ शिक्षा सँ सशक्त बना रहल अछि। लेकिन एहि सब संक्रमणकाल सँ निकैल रहल मैथिल अपन मूल्यवान् परंपरा सँ सेहो बहुत तेजी सँ दूर भऽ रहल अछि। एहि तरहें ई स्पष्ट छैक जे लोकसंस्कृतिक स्थापित अस्तित्व शीघ्रहि नाश केँ प्राप्ति करत आ पहिचानक विशिष्टताक एकमात्र आधार लोकसंस्कृतिक नाश भेला सँ मानव सभ्यताक विविधता समाप्त होयत, वर्चस्वक लड़ाई बढत आ मानवीय मूल्य, नीति, सिद्धान्त आदि सबटा बात मे मात्र भौतिकतावादीक एकछत्र राज स्थापित होयत। जेकर परिणाम वीभत्स भऽ सकैत अछि। अत: हरेक क्षेत्रक विशिष्टताक रक्षा करब राज्यक प्रमुख जिम्मेवारी अछि। मिथिलाक पहिचान केर रक्षा आ मैथिल केर पौराणिक स्थापित सभ्यताक सुरक्षा सेहो क्षेत्रक आर्थिक विकास टा सँ संभव होयत जाहि दिशा मे वर्तमान राज्यक ध्यान जायब आवश्यक अछि।