(लोकगीत संकलन सँ: साभार रामचन्द्र सिंह, महिया, दरभंगा)
रूसल भंगिया हमार, मनाय दऽ गौरी शिव जोगिया के
शिव जोगिया के होऽ – शिव भंगिया केऽऽऽऽ – २
रूसल भंगिया हमार……………..
खुआ मलीदा शिव के मनहु न भावे – २
भाँग धथुरा देखि मन ललचाये – होऽऽ – भाँग धथुरा देखि मन ललचाये!
भाँग धथुरा कहाँ पायब – २ – मनाय दऽ गौरी शिव जोगिया के…..
रूसल भंगिया हमार……………….
कोठा-अटारी शिव के मनहु न भावे – २
जंगल पहाड़ देखि मन ललचाये – होऽऽ – जंगल पहाड़ देखि मन ललचाये!
जंगल पहाड़ कहाँ पायब – २ – मनाय दऽ गौरी शिव जोगिया के……
रूसल भंगिया हमार मनाय दऽ गौरी ….
सल्ला-दुसल्ला शिव के मनहु न भावे – २
बाघ के छाला देखि मन ललचाये – होऽऽ – बाघ के छाला देखि मन ललचाये!
बाघ के छाला कहाँ पायब – २ – मनाय दऽ गौरी शिव जोगिया के……
रूसल भंगिया हमार मनाय दऽ गौरी…..